69000 : 142 प्रश्नों पर 20 हजार आपत्तियों की होगी जांच, एक हफ्ते में होगा विशेषज्ञ सामिति का गठन

69000 :  142 प्रश्नों पर 20 हजार आपत्तियों की होगी जांच, एक हफ्ते में होगा विशेषज्ञ सामिति का गठन


कसौटी पर 69 हजार शिक्षक भर्ती की पूरी परीक्षा, हो सकते हैं बड़े बदलाव

यूजीसी के विशेषज्ञ जांचेंगे 150 में 142 सवाल के उत्तर

 

शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में पूछे गए नाथपंथ के प्रवर्तक, संविधान सभा के अध्यक्ष कौन थे, जैसे सवालों को भूल जाइए। अब भर्ती की लगभग पूरी लिखित परीक्षा के सवाल-जवाब की पड़ताल होनी है। 


हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अनंतिम आंसर शीट (उत्तरकुंजी) पर मिली आपत्तियों के जांच के आदेश दिए हैं (हाईकोर्ट के आदेश का पेज संख्या 33 का अंतिम पैरा)। उस समय 142 सवालों पर 20557 अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन आपत्तियां भेजी थी। ज्ञात हो कि लिखित परीक्षा में कुल 150 सवाल पूछे गए थे। ऐसे में बड़ी संख्या में सवालों के जवाब बदल सकते हैं। 


अधिक सवालों के जवाब बदलने पर पूरी परीक्षा ही संकट में आ सकती है। बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों की 69000 शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा छह जनवरी 2019 को कराई गई थी। आठ जनवरी को उसकी उत्तरकुंजी जारी करके 11 जनवरी तक आपत्तियां मांगी गई। 


परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय को तीन दिन में ही 142 सवालों पर 20557 अभ्यर्थियों ने आपत्ति भेजी। अंतिम उत्तरकुंजी जारी करने से पहले ही कोर्ट ने कटऑफ अंक विवाद में स्थगनादेश जारी कर दिया। इससे अंतिम उत्तरकुंजी आठ मई 2020 को जारी हुई और इसके आधार पर भर्ती का रिजल्ट और जिला आवंटन सूची आदि निर्गत हुई।


 हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बुधवार को जारी आदेश में स्थगनादेश आठ मई से ही लागू किया है। वजह यह है कि कोर्ट उसके पहले मिली आपत्तियों की जांच रिपोर्ट चाहता है। इस प्रक्रिया में लंबा समय लगने से इन्कार नहीं किया जा सकता। ज्ञात हो कि भर्ती के कटऑफ अंक का विवाद कोर्ट में करीब डेढ़ साल विचाराधीन रहा।


 69 हजार शिक्षक भर्ती में बड़े पैमाने पर मिली आपत्तियों से परीक्षा संस्था ही नहीं शासन तक असहज रहा। इसीलिए जब यूपीटीईटी 2019 का आयोजन हुआ तो प्रति सवाल आपत्ति करने के लिए 500 रुपये शुल्क लगाया गया। इसमें यह भी प्रावधान किया गया कि यदि अभ्यर्थी की आपत्ति सही होगी तो लिया गया धन वापस किया जाएगा। भर्ती संस्था ने विशेषज्ञों की राय पर तीन प्रश्नों में सभी अभ्यर्थियों को समान अंक दिया था।


05 Jun 2020
परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69 हजार शिक्षक भर्ती के लिए 6 जनवरी 2019 को हुई लिखित परीक्षा के सिर्फ चार प्रश्नों पर विवाद नहीं है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने परीक्षा के बाद 8 जनवरी 2019 को अंतरिम उत्तरकुंजी जारी कर आपत्तियां मांगी थी।


69000 शिक्षक भर्ती
कुल 150 में से 142 प्रश्नों पर 20 हजार से अधिक अभ्यर्थियों ने साक्ष्यों के साथ ई-मेल से आपत्ति दर्ज कराई थी। हालांकि कटऑफ को लेकर विवाद के कारण संशोधित उत्तरकुंजी जारी नहीं हो सकी।


छह मई को कटऑफ मामले का निपटारा होने के बाद 9 मई को संशोधित उत्तरमाला जारी हुई। जिसमें हिन्दी के तीन प्रश्नों को पाठ्यक्रम से बाहर का मानते हुए सभी अभ्यर्थियों को तीन-तीन अंक समान रूप से देकर 12 मई को परिणाम घोषित कर दिया गया।

रिजल्ट से असंतुष्ट अभ्यर्थियों ने चार प्रश्नों के उत्तर के खिलाफ याचिका दायर कर दी जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बुधवार को पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी। हाईकोर्ट ने अंतरिम उत्तरकुंजी पर अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल सभी आपत्तियों पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से गठित विशेषज्ञ समिति से राय लेने का आदेश दिया है।


इससे साफ है कि सिर्फ विवादित चार प्रश्न पर ही नहीं बल्कि सभी 142 प्रश्नों पर मिली 20 हजार से अधिक आपत्तियां जांच के लिए भेजी जाएंगी। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की ओर से 12 जून तक प्रश्नपत्र, अंतरिम उत्तरकुंजी और आपत्तियां यूजीसी के सचिव को भेजी जाएगी। इसके एक हफ्ते में विशेषज्ञ समिति का गठन होगा जो अगले दो सप्ताह में सभी आपत्तियों का निस्तारण करेगी।
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