69000 : अहम बदलाव से घटा चयन गुणांक का फैसला, सामान्य, ओबीसी और एससी के अंतिम कटऑफ में बड़ा अंतर नहीं

69000 : जिला आवंटन के फेर में गिरी मेरिट, बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से जारी मेरिट में पूर्व अनुमान गलत साबित

अहम बदलाव से घटा चयन गुणांक का फैसला, सामान्य, ओबीसी और एससी के अंतिम कटऑफ में बड़ा अंतर नहीं

परिषदीय स्कूलों के लिए 69000 सहायक अध्यापकों के चयन में अहम बदलाव हुआ है। जिस तरह से भर्ती की लिखित परीक्षा में बड़ी संख्या में अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए थे, उससे सभी चयन गुणांक का फासला बड़ा होने की उम्मीद थी लेकिन, जिला आवंटन में एसटी को छोड़कर अन्य के चयन गुणांक में बहुत अंतर नहीं है। 


सामान्य व ओबीसी के अंतिम कटऑफ अंक के बीच दशमलव का ही फासला है। इतना ही नहीं सभी वर्गों की चयन सूची सीटों के सापेक्ष एक साथ बढ़ती गई। मेरिट में आए अभ्यर्थी मनचाहा जिला पाने में सफल रहे हैं, वहीं कम मेरिट वालों को दूर जिले में चयन का अवसर मिला है। 


बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से जिला आवंटन में 67867 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। सूची में यह उल्लेख नहीं है कि चयनित अभ्यर्थी किस वर्ग का है, उसका गुणांक क्या था? अभ्यर्थी की मूलभूत जानकारी व आवंटित जिले का ही उल्लेख है।  

सोशल मीडिया व अभ्यर्थियों ने खुद हर वर्ग का अंतिम गुणांक तय किया है। इसमें सामान्य वर्ग का 67.1, ओबीसी का 66.7 और एससी का 61.5 तक चयन गुणांक माना जा रहा है। इतना कम अंतर होने का कारण हाईकोर्ट का एनआरसी लागू करने था लेकिन, करीब 50 का आदेश है। इससे अभ्यर्थियों को वे चयनित हैं। मनचाहा जिला और कुछ को चयनित होने का अवसर मिल गया है। आवंटन में करीब 31 हजार रैंक तक ही सामान्य वर्ग का चयन होना चाहिए।



प्रयागराज। परिषदीय विद्यालयों के लिए 69 हजार शिक्षक भर्ती में अभ्यर्थियों की ओर से लगाए जा रहे सारे पूर्वानुमान गलत साबित है। मेरिट की इस बाजीगरी के शिकार हुए अभ्यर्थियों का कहना है कि 68,500 शिक्षक भर्ती में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की ओर से कोर्ट में जिला आवंटन को लेकर एक याचिका दायर की गई थी। 


आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का कहना था कि 68500 भर्ती में आरक्षित वर्ग के जो अभ्यर्थी अनारक्षित कोटे में नियुक्ति पा गए थे, उनको प्रथम वरीयता के जिले न मिलकर नीचे की वरीयता वाले जिले मिले थे। वहीं उनसे कम नंबर पर आरक्षित कोटे में नियुक्त शिक्षकों को कोटे में टॉपर होने की वजह से प्रथम वरीयता का जिला मिल गया था। 


उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में हुई 68500 भर्ती में आरक्षित वर्ग के जो अभ्यर्थी अनारक्षित कोटे में नियुक्ति पा गए थे, उनको प्रथम वरीयता के जिले न मिलकर नीचे की वरीयता वाले जिले मिले थे. जबकि उनसे कम नंबर पर आरक्षित कोटे में नियुक्त शिक्षकों को कोटे में टॉपर होने की वजह से प्रथम वरीयता का जिला मिल गया था। अनारक्षित कोटे में नियुक्त आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने इस विषमता को आधार बनाकर कोर्ट का सहारा लिया था। जिस पर हाई कोर्ट का आदेश आरक्षित वर्ग के मेरिट वाले अभ्यर्थियों के पक्ष में आया था। 


जिसमें कहा गया कि मेरिट वाले आरक्षित कोटे के अभ्यर्थियों को उनकी वरीयता का जिला ही मिले। अगर वो अनारक्षित में न मिले, तो उन्हें आरक्षित कोटे में मानते हुए प्रथम वरीयता का जिला दिया जाए। इस बार 69 हजार शिक्षक भर्ती में बेसिक शिक्षा विभाग ने कोर्ट के आदेश का पालन किया, इसलिए शिक्षक भर्ती की मेरिट सबके पूर्वानुमानों को गलत साबित करते हुए नीचे आ गई।
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