बच्चों की सुरक्षा एवं संरक्षा के सम्बन्ध में
सभी स्कूलों को गठित करनी होगी बाल सुरक्षा समिति, हर कक्षा से दो-दो छात्र कमेटी में किए जाएंगे शामिल
• आसपास हो रही घटनाओं से छात्रों को समिति करेगी सतर्क
लखनऊ : सभी स्कूलों में विद्यार्थियों को सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए बाल सुरक्षा एवं संरक्षा समिति का गठन करना होगा। इस कमेटी में प्रत्येक कक्षा के एक छात्र व एक छात्रा को शामिल किया जाएगा। एक महिला शिक्षक व एक पुरुष शिक्षक को भी इसमें शामिल किया जाएगा, जो कि इस समिति का संचालन करेंगे। हर महीने इसकी बैठक होगी और छात्रों को आसपास हो रही आपराधिक घटनाओं के बारे में जानकारी देकर उन्हें सतर्क किया जाएगा।
महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा की ओर से सभी विद्यालयों में अनिवार्य रूप से इसके गठन के निर्देश जारी किए गए हैं। विद्यार्थी आपराधिक घटनाओं का शिकार न बनें इसके लिए उन्हें क्या क्या सतर्कता बरतनी चाहिए, इस पर हर महीने विद्यालय में बाल सुरक्षा एवं संरक्षा समिति की बैठक में चर्चा की जाएगी। कमेटी के सदस्य अपनी-अपनी कक्षाओं में जाकर विद्यार्थियों को बताएंगे कि विद्यालय के आसपास किस तरह की घटनाएं हो रही हैं और उन्हें कैसे शरारती तत्वों से बचना है। अभिभावकों को भी इस बैठक में आमंत्रित किया जाएगा। शरारती विद्यार्थियों पर भी नकेल कसी जाएगी।
अगर कोई विद्यार्थी विद्यालय में ब्लेड, नुकीली व धारदार वस्तुएं लेकर आता है तो उसकी शिकायत इस कमेटी से की जाएगी। शिकायत करने वाले विद्यार्थी का नाम गोपनीय रखा जाएगा। वहीं प्रार्थना सभा में छात्रों को ऐसी वस्तुएं विद्यालय में न लाने की चेतावनी दी जाएगी। छात्र के खिलाफ विद्यालय कार्रवाई करेगा।
छात्रों, अभिभावकों और जनसमुदाय को शिकायतों के निराकरण के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर शुरू किए गए टोल फ्री नंबर 1800- 889-3277 के विषय में जानकारी दी जाएगी। विद्यालयों के प्रवेश द्वार और नोटिस बोर्ड पर इसे चस्पा किया जाएगा। टोल फ्री नंबर के माध्यम से प्राप्त हुई शिकायतों का त्वरित निस्तारण किया जाएगा। विद्यार्थी को शारीरिक दंड देने पर पूरी तरह प्रतिबंध है, इसकी जानकारी सभी अभिभावकों को दी जाएगी।
बच्चों की सुरक्षा और संरक्षा पर लेकर होगी सख्ती, बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश जारी
लखनऊ: उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग ने छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुनः कड़े निर्देश जारी किए हैं। महानिदेशक, स्कूल शिक्षा ने एक औपचारिक पत्र के माध्यम से सभी स्कूलों को निर्देशित किया है कि किसी भी बच्चे के साथ शारीरिक या मानसिक दंड का व्यवहार नहीं किया जाएगा। यह कदम निःशुल्क बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत बच्चों की सुरक्षा और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अधिकार को बनाए रखने के लिए उठाया गया है।
शिक्षा का भयमुक्त माहौल सुनिश्चित करने पर जोर
पत्र में इस बात पर बल दिया गया है कि स्कूलों में ऐसा वातावरण सृजित किया जाए, जिसमें बच्चे भयमुक्त होकर शिक्षा प्राप्त कर सकें। साथ ही, बच्चों को प्रोत्साहित किया जाए कि वे किसी भी प्रकार के शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न की शिकायत करें। इसके लिए प्रत्येक विद्यालय में शिकायत पेटिका स्थापित की जाएगी, जिसमें बच्चे बिना किसी भय के अपनी शिकायतें डाल सकें।
दंड पर सख्त प्रतिबंध और कानूनी प्रावधान
शासनादेश के अनुसार, बच्चों को किसी भी प्रकार का शारीरिक दंड या मानसिक उत्पीड़न देने पर सख्त प्रतिबंध है। जो कोई भी इन नियमों का उल्लंघन करेगा, उस पर संबंधित सेवा नियमों के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। इस संबंध में शिक्षकों को सुरक्षा एवं संरक्षा मॉड्यूल के अंतर्गत प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे बच्चों के साथ संवेदनशीलता से पेश आ सकें।
सुरक्षा किट और आकस्मिक चिकित्सा व्यवस्था
स्कूलों में आकस्मिक चिकित्सा के लिए सुरक्षा किट की अनिवार्यता पर जोर दिया गया है, जिसमें डिटॉल, पट्टी, एंटीसेप्टिक क्रीम, सेनेटरी नैपकिन, और अन्य आवश्यक चिकित्सा सामग्री शामिल होगी। यह किट आकस्मिक घटनाओं के समय बच्चों को त्वरित सहायता प्रदान करने के लिए तैयार रखी जाएगी।
बाल सुरक्षा समिति का गठन अनिवार्य
प्रत्येक स्कूल में बाल सुरक्षा समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें हर कक्षा से एक छात्र और एक छात्रा शामिल होंगे। यह समिति बच्चों की सुरक्षा और उनके परिवेश में घटित होने वाली घटनाओं पर नजर रखेगी। इसके साथ ही, समिति के सदस्य छात्रों और अभिभावकों को जागरूक करने के लिए नियमित बैठकें आयोजित करेंगे।
शिकायतों के त्वरित निवारण के लिए टोल-फ्री नंबर
मुख्यमंत्री द्वारा शुरू किए गए टोल-फ्री नंबर (1800-889-3277) के माध्यम से बच्चों या अभिभावकों द्वारा दर्ज शिकायतों का त्वरित निस्तारण किया जाएगा। इस टोल-फ्री नंबर को हर स्कूल के नोटिस बोर्ड पर प्रमुखता से अंकित किया जाएगा ताकि अधिक से अधिक लोग इसका उपयोग कर सकें।
बच्चों की सुरक्षा के प्रति सरकार द्वारा उठाए गए ये कदम सराहनीय हैं, लेकिन इन निर्देशों का पालन सही ढंग से सुनिश्चित करना आवश्यक है। यदि समय रहते इन निर्देशों का सख्ती से अनुपालन नहीं हुआ, तो बच्चों की सुरक्षा में चूक हो सकती है। सभी संबंधित अधिकारियों से अपील है कि वे बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें और सुनिश्चित करें कि किसी भी प्रकार की लापरवाही न हो।
बच्चों की सुरक्षा और संरक्षा के संबंध में सरकार द्वारा जारी किए गए ये दिशा-निर्देश सभी स्कूलों को बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं। यदि इन निर्देशों का सख्ती से पालन किया गया तो न केवल बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि एक सुरक्षित और स्वस्थ शैक्षणिक माहौल का निर्माण होगा।
बच्चों की सुरक्षा एवं संरक्षा के सम्बन्ध में
Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2
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5:39 AM
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