मानव सम्पदा पोर्टल पर उपलब्ध चयन वेतनमान मॉडयूल के माध्यम से प्रकरणों के निस्तारण के संबंध में समीक्षा बैठक
शिक्षकों को समयबद्ध चयन वेतनमान में 'खेल', बाबुओं की चाल और अधिकारियों की ढिलाई से ऑनलाइन सिस्टम भी हारा
लखनऊ: परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के लिए शासन ने चयन वेतनमान पाने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से आनलाइन व्यवस्था लागू की थी। उद्देश्य साफ था बिचौलियों और बाबुओं के खेल पर लगाम लगे। 10 वर्ष की सेवा पूरी करते ही शिक्षक स्वतः इस श्रेणी में शामिल होकर लाभ पा सकें। आनलाइन सिस्टम से उम्मीद थी कि किसी शिक्षक को न तो चक्कर लगाने होंगे और न ही किसी जुगाड़ के सहारे अधिकार का लाभ लेना पड़ेगा, लेकिन जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल उलट है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा की तरफ से नाराजगी जताई गई है।
चयन वेतनमान की प्रक्रिया पर बाबू राज और ढिलाई की ऐसी पकड़ है कि शासन की मंशा पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। बार-बार प्रयास करने के बाद भी शिक्षकों को यही बताया जाता है कि फाइल लंबित है। शिक्षकों का आरोप है कि आनलाइन व्यवस्था लगाने के बाद भी मनमानी खत्म नहीं हुई। पहले की तरह ही बाबुओं का दबदबा कायम है। आनलाइन व्यवस्था धरी रह गई, बीइओ से बीएसए के बीच फंसी प्रक्रिया फंसी हुई है।
शिक्षकों का कहना है कि कई लिपिक फाइल आगे बढ़ाने में टाल-मटोल करते हैं और अप्रत्यक्ष रूप से कुछ देने की उम्मीद रखते हैं। जब तक संकेत न मिले, फाइल आगे नहीं बढ़ती। शासन ने जिन कारणों से आनलाइन प्रणाली लागू की थी, वही कारण आज भी जस के तस बने हुए हैं।
सवाल यह है कि जब आनलाइन प्रक्रिया स्वतः शिक्षकों को श्रेणी में शामिल कर देती है, तो फिर फाइलें ब्लाक और बीएसए कार्यालय में क्यों अटक रही हैं? शासन की मंशा और तकनीकी व्यवस्था के बावजूद जिम्मेदारों की ढिलाई और घालमेल ने साफ कर दिया है कि बिना जवाबदेही तय किए व्यवस्था सुधरने वाली नहीं। जिम्मेदारों की लापरवाही पर महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी ने भी नाराजगी जताई है और कारण पूछते निराकरण का आदेश दिया है।
परिषदीय शिक्षक परेशान – ऑनलाइन सिस्टम में बढ़ा इंतजार, चेतावनी के बाद भी BSA और BEO नहीं दे रहे मंजूरी, सबसे खराब प्रदर्शन वाले 25 जिलों को नोटिस जारी
अफसरों ने 'हैंग' कर दिया चयन वेतनमान
लखनऊ । दस साल की संतोषजनक सेवा पर शिक्षकों को चयन वेतनमान का लाभ मिलने का नियम है। इसमें पदोन्नति के बिना वेतन और ग्रेड-पे बढ़ता है। शिक्षकों को झटपट यह लाभ दिलाने के लिए एक साल पहले पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन की गई थी, लेकिन इसके बाद देरी का ग्राफ और बढ़ गया है। शिक्षक लगातार शिकायतें कर रहे है और आला अफसर चेतावनी दे रहे हैं, लेकिन खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) और बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) मंजूरी नहीं दे रहे। यही वजह है कि चयन वेतनमान के 73% मामले अब भी लंबित है। इस पर महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने सबसे खराब प्रदर्शन वाले 25 जिलों के BSA को चेतावनी दी है।
दिसंबर 2024 से नई व्यवस्था
बेसिक शिक्षा विभाग ने चयन वेतनमान समेत शिक्षको के सेवा संबंधी पांच ऑनलाइन मॉड्यूल जारी किए थे। ये सभी काम ऑनलाइन शुरू करने के लिए 16 दिसंबर 2024 को आदेश भी जारी हुआ था, लेकिन इसके बाद सेवा संबंधी फाइलों की देरी और बढ़ गई है। सबसे ज्यादा शिकायते चयन वेतनमान से जुड़ी है। शिक्षको के बार-बार आवेदन पर भी चयन वेतनमान की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ रही।
1902 में 1389 मामले पेंडिंग
शिकायतो पर समीक्षा की गई तो पता चला कि चयन वेतनमान निस्तारित करने की प्रक्रिया बेहद सुस्त है। इस पर डीजी स्कूल शिक्षा ने पांच नवंबर को सभी बीएसए को एक हफ्ते में सभी मामले निस्तारित करने के आदेश दिए थे। महानिदेशक ने दोबारा समीक्षा की तो सामने आया कि प्रदेश में चयन वेतनमान के 1902 में 1389 मामले अब भी लंबित है। इस मामले में शुक्रवार को फिर से ऑनलाइन समीक्षा होगी।
इन जिलों को चेतावनी
मऊ, चंदौली, हापुड़, बदायूं, रामपुर, शामली, गोरखपुर, सम्भल, बलिया, कौशाम्बी, आगरा, हरदोई, अमेठी, प्रयागराज, वाराणसी, बांदा, कानपुर नगर, मथुरा, अम्बेडकर नगर, मेरठ, आजमगढ़, लखनऊ, संत रविदास नगर, सोनभद्र और एटा।
मानव सम्पदा पोर्टल पर उपलब्ध चयन वेतनमान मॉडयूल के माध्यम से प्रकरणों के निस्तारण के संबंध में समीक्षा बैठक
Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2
on
7:47 AM
Rating:
Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2
on
7:47 AM
Rating:







No comments:
Post a Comment