NCERT के अनुरूप बदलेगा डीएलएड पाठ्यक्रम, SCERT ने शुरू की तैयारी
डीएलएड प्रशिक्षुओं के लिए बन रही 'शिक्षण अधिगम सिद्धांत' हैंडबुक, पाठ्यक्रम में बदलाव की तैयारी
यह पुस्तक सीखने को वैज्ञानिक एवं मनोवैज्ञानिक आधार देगी
स्थानीय संदभों व अनुभव से जुड़े शिक्षण को बढ़ावा देने का लक्ष्य
प्रयागराजः प्रदेशभर के डीएलएड प्रशिक्षुओं के पाठ्यक्रम में बदलाव की तैयारी की जा रही है। इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार की पुस्तकें तैयार की जा रही हैं, जो नई शिक्षा नीति के अनुसार एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम को पढ़ाने के दृष्टिकोण से विकसित की जा रही हैं। वर्तमान आवश्यकताओं और कौशल विकास के विभिन्न पहलुओं को इसमें शामिल किया जा रहा है। इसी क्रम में, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के मार्गदर्शन में कालेज आफ टीचर एजुकेशन, वाराणसी में डीएलएड प्रथम सेमेस्टर के द्वितीय प्रश्न पत्र 'शिक्षण अधिगम सिद्धांत' विषय पर एक हैंडबुक का निर्माण किया जा रहा है।
डायट प्रयागराज के प्रवक्ता वीरभद्र प्रताप के अनुसार, गाजीपुर, राज्य शिक्षण संस्थान प्रयागराज, चित्रकूट, भदोही के विशेषज्ञ विभिन्न बिंदुओं पर पाठ्य सामग्री लिख रहे हैं। इस पुस्तक में दक्षता आधारित शिक्षा, अनुभवात्मक अधिगम, बहुआयामी शिक्षण, तकनीक संवेदी शिक्षण और प्रशिक्षु केंद्रित प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित किया गया है। यह पुस्तक शिक्षण की अवस्थाओं, स्तरों, विधियों और सिद्धांतों को इस प्रकार विकसित करेगी कि प्रशिक्षु कक्षा में अपेक्षित समझ के स्तर को प्राप्त कर सकें।
ब्लूम टैक्सोनामी आधारित उद्देश्य लेखन नई शिक्षा नीति के अनुरूप है। इसमें आधुनिक और नवाचारी शिक्षण विधियों का विकास किया गया है, जैसे ब्लेंडेड लर्निंग, क्लासरूम, कोआपरेटिव लर्निंग, स्टीम और पीयर लर्निंग। इसका उद्देश्य प्रशिक्षुओं का विश्लेषणात्मक चिंतन बढ़ाना है।
शिक्षण अधिगम सामग्री व आइसीटी एकीकरण को बढ़ावा : पुस्तक में शिक्षण अधिगम सामग्री और आइसीटी एकीकरण को बढ़ावा दिया गया है। खिलौनों के आधार पर टीएलएम (टीचिंग लर्निंग मैटेरियल) बनाने की प्रेरणा दी गई है, जिससे प्रशिक्षु कक्षा को खुशनुमा वातावरण और तकनीक से जोड़ सकेंगे। यह शैक्षणिक परियोजना कालेज आफ टीचर एजुकेशन, वाराणसी के प्राचार्य अखिलेश पांडेय के नेतृत्व में और डा. रिचा जोशी के शैक्षणिक संयोजन में पूरी की जा रही है।
NCERT के अनुरूप बदलेगा डीएलएड पाठ्यक्रम, SCERT ने शुरू की तैयारी, अगले शैक्षणिक सत्र से चौथी कक्षा में भी एनसीईआरटी की पुस्तकें चलेंगी
लखनऊ : कक्षा एक से आठ तक एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) का पाठ्यक्रम लागू होने के बाद अब डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) का पाठ्यक्रम भी पूरी तरह बदल जाएगा। एससीईआरटी (राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद) ने माना है कि पुराने पैटर्न से प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को शिक्षक बनने के बाद नई एनसीईआरटी की पुस्तकों को पढ़ाने में व्यावहारिक दिक्कतें आ रही हैं। इसी वजह से डीएलएड पाठ्यक्रम को अब एनसीईआरटी के मानकों, नई शिक्षण पद्धतियों और सीखने के परिणामों के अनुरूप अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
परिषदीय विद्यालयों में कक्षा तीसरी तक एनसीईआरटी आधारित पाठ्यक्रम पूरी तरह लागू किया जा चुका है। अगले शैक्षणिक सत्र 2026-27 से चौथी कक्षा में भी एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाई जाएंगी। अगले तीन वर्षों में परिषदीय स्कूलों में एनसीईआरटी आधारित पाठ्यक्रम पूरी तरह लागू हो जाएगा। ऐसे में शिक्षक प्रशिक्षण का भी उसी लाइन में अपडेट होना अनिवार्य है। इसी को ध्यान में रखते हुए डीएलएड पाठ्यक्रम में बड़े बदलाव किए जा रहे हैं, ताकि भविष्य के शिक्षक नई शिक्षा व्यवस्था के अनुरूप दक्ष बन सकें।
अब तक डीएलएड की पढ़ाई पुराने सिलेबस पर आधारित थी, जबकि परिषदीय विद्यालयों में एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाई जा रही हैं। ऐसे में प्रशिक्षण और वास्तविक कक्षा-शिक्षण के बीच बड़ा अंतर पैदा हो गया था। परिषद का मानना है कि प्रशिक्षु शिक्षक अगर एनसीईआरटी पैटर्न के अनुसार तैयार नहीं होंगे तो बच्चों को नई पुस्तकों के हिसाब से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना चुनौतीपूर्ण होगा।
एससीईआरटी संशोधित ड्राफ्ट तैयार कर रहा है। उम्मीद है कि नया पाठ्यक्रम लागू होने से प्रशिक्षु शिक्षक एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम को बेहतर समझ पाएंगे। संशोधित पाठ्यक्रम में प्रायोगिक गतिविधियों को विशेष रूप से शामिल किया जा रहा है ताकि शिक्षक प्रशिक्षण सीधे कक्षा में उपयोगी साबित हो सके। परिषद के निदेशक गणेश कुमार ने बताया कि डीएलएड पाठ्यक्रम अपडेट करने पर तेजी से काम चल रहा है। इसमें एनसीईआरटी के कंटेंट और नई पद्धतियों की जरूरत के आधार पर बदलाव किए जा रहे हैं।
डीएलएड प्रशिक्षुओं के लिए बन रही 'बाल विकास एवं सीखने की प्रक्रिया' पर हैंडबुक, पुस्तक में बाल विकास की आधारभूत अवधारणाओं को बताया
बुद्धि एवं व्यक्तित्व के सिद्धांत प्रशिक्षु गहनता से समझेंगे
प्रयागराज : कक्षा एक से आठवीं तक एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू होने के बाद डीएलएड पाठ्यक्रम में भी बदलाव की तैयारी है। उनका प्रशिक्षण नए तौर तरीकों के साथ होगा। इससे पूर्व प्रशिक्षण में प्रयोग होने वाली नई पुस्तकें तैयार कराई जा रही हैं। ये राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, राष्ट्रीय पाठ्यचयां रूपरेखा 2022 व 2023 के अनुरूप होंगी। एससीईआरटी के मार्गदर्शन में कालेज आफ टीचर एजुकेशन, वाराणसी में 'बाल विकास एवं सीखने की प्रक्रिया' पर हैंडबुक तैयार हो रही है। इसके लेखन में प्रयागराज के साथ चित्रकूट, भदोही, गाजीपुर, गोरखपुर, बांदा, बाराबंकी, सहारनपुर, संतकबीर नगर, मऊ, मीरजापुर, अमरोहा, देवरिया, महाराजगंज, सोनभद्र, रामपुर के विषय विशेषज्ञ शामिल हैं।
हैंडबुक के खंड एक में बाल विकास की आधारभूत अवधारणाएं बताई गई हैं। संप्रत्यय और परिभाषाएं, वृद्धि एवं विकास में अंतर, विकास को प्रभावित करने वाले कारक वंशानुक्रम एवं पर्यावरण के साथ विकास की अवस्थाएं एवं आयाम को समझाया गया है। इसमें शैशवावस्था, बाल्यावस्था, सामाजिक, किशोरावस्था के शारीरिक, संज्ञानात्मक, संवेगात्मक, नैतिक एवं सांस्कृतिक विकास, भाषा एवं साक्षरता विकास का भी उल्लेख है। तीसरा अध्याय बुद्धि एवं व्यक्तित्व पर केंद्रित है। इसमें बुद्धि की संकल्पना, प्रकार, सिद्धांत, बुद्धि परीक्षण, व्यक्तित्व के प्रकार, वर्गीकरण, सिद्धांत एवं परीक्षण, वैयक्तिक भिन्नताएं तथा शिक्षा में उनका महत्व समझाया गया है।
सृजनात्मकता, चिंतन एवं कल्पनाशीलता को महत्व देते हुए पाठ्यसामग्री का हिस्सा बनाया गया है। इसमें संप्रत्यय, तत्व, प्रक्रियाएं, सृजनात्मकता और शैक्षिक उपलब्धि, चिंतन, तर्क एवं कल्पनाशीलता का विकास समझाने का प्रयास है। हैंडबुक के लेखन में प्रयागराज डायट प्रवक्ता वीरभद्र प्रताप भी शामिल हैं। बताते हैं कि इस हैंडबुक का दूसरा खंड अधिगम प्रक्रिया पर केंद्रित है। इसमें संकल्पना एवं कारक, अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक, अधिगम उपागम-व्यावहारिक, संज्ञानात्मक, रचनावादी जैसे बिंदु को समाहित किया गया है।
प्रमुख अधिगम सिद्धांत भी बताए गए हैं। इनमें थार्नडाइक : प्रयास एवं त्रुटि सिद्धांत, पावलव शास्त्रीय अनुबंधन, स्किनर क्रियाप्रसूत अनुबंधन, कोहलर सूड़ा सिद्धांत, पियाजे संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत, वायगोत्स्की सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत, ब्रूनर खोज आधारित अधिगम, गाग्ने अधिगम के सोपान पर विस्तृत जानकारी है। तीसरे अध्याय में अधिगम से संबंधित प्रक्रियाएं समझाई गई हैं। इसमें अधिगम वक्र, अधिगम पठार-कारण एवं निराकरण, अधिगम स्थानांतरण-प्रकार एवं अनुप्रयोग, अभिप्रेरणा, रुचि, अवधान, स्मरण एवं विस्मरण-प्रक्रिया एवं प्रकार की जानकारी डीएलएड प्रशिक्षुओं को दी जागरी।
तीसरा खंड सांख्यिकी का है। अर्थ एवं महत्त्व को समझाते हुए माध्य, माध्यिका, बहुलक, आंकड़ों का रेखाचित्रीय निरूपण प्रशिक्षु जानेंगे। खंड पांच में व्यावहारिक एवं गतिविधि-आधारित कार्य की चर्चा है। सीटी आधारित माडल निर्माण, बुद्धिमत्ता एवं तर्क क्षमता के लिए पजल निर्माण, समस्या समाधान आधारित गतिविधियां, कल्पनाशीलता व चिंतन आधारित कहानी कविता/पहेली निर्माण के तरीके बताए गए हैं।
NCERT के अनुरूप बदलेगा डीएलएड पाठ्यक्रम, SCERT ने शुरू की तैयारी
Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2
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6:50 AM
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