रिटायर शिक्षकों के हवाले हुई शिक्षा व्यवस्था


  • भर्ती में ढिलाई व मुकदमेबाजी के चलते अब सेवानिवृत्त शिक्षकों का ही आसरा
  • उच्च के बाद बेसिक शिक्षा विभाग नुस्खा आजमाने को तैयार
लखनऊ : शिक्षकों की भर्ती में नाकाम सरकारी तंत्र ने शिक्षा की गाड़ी को खींचने के लिए अब सेवानिवृत्त शिक्षकों पर दांव खेला है। सुस्ती और मुकदमेबाजी के कारण समय से शिक्षकों की भर्ती कर पाने में नाकाम शिक्षा महकमों के लिए रिटायर शिक्षक उम्मीद की किरण बने हैं। उच्च शिक्षा में इसकी शुरुआत हो चुकी है और बेसिक शिक्षा विभाग इस नुस्खे को आजमाने पर शिद्दत से विचार कर रहा है। उच्च शिक्षा विभाग के अधीन अनुदानित महाविद्यालयों में शिक्षकों के तकरीबन एक-तिहाई पद अरसे से खाली हैं। इन महाविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्तियों का दारोमदार उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग पर है। पिछले साल जुलाई में आयोग के निवर्तमान अध्यक्ष उदयराज गौतम का निधन हुआ था। तब से लेकर अब तक सरकार को आयोग के विधिवत गठन की फुर्सत नहीं मिल पाई। आयोग गठित न होने से भर्तियों पर ब्रेक लगा हुआ है। मुकदमेबाजी के कारण भी सैंकड़ों पदों पर नियुक्तियां नहीं हो पा रही हैं। शिक्षकों की कमी को लेकर राजकीय महाविद्यालयों की स्थिति भी दयनीय है। राजकीय महाविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए विभाग जिस रफ्तार से लोक सेवा आयोग को अधियाचन भेजता है, उस गति से आयोग शिक्षकों का चयन नहीं कर पा रहा है। लंबे समय तक शिक्षकों की नियुक्ति से आंखें मूंदे रहने वाला बेसिक शिक्षा विभाग भी अब अध्यापकों की कमी को दूर करने के लिए सेवानिवृत्त शिक्षकों की सेवाएं लेने की सोच रहा है। परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के 72825 पदों पर भर्तियों का मामला लंबे समय से हाई कोर्ट में अटका है। सचिव बेसिक शिक्षा नीतीश्वर कुमार कहते हैं कि भर्ती प्रक्रिया में लगने वाले लंबे समय को देखते हुए हम शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए रिटायर अध्यापकों की सेवाएं लेने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। विभाग ऐसा इसलिए भी सोच रहा है क्योंकि शिक्षामित्रों को स्थायी शिक्षक बनाने की जो योजना महकमे ने बनाई है, हाई कोर्ट के फैसले ने उसकी राह दुश्वार कर दी है। हाई कोर्ट ने तय कर दिया है कि परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अध्यापक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करना जरूरी है। सरकारी एलोपैथिक मेडिकल कॉलेजों में भी रिटायर शिक्षकों को संविदा पर नियुक्त करने की व्यवस्था लागू है।
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खबर साभार :  दैनिक जागरण


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रिटायर शिक्षकों के हवाले हुई शिक्षा व्यवस्था Reviewed by Brijesh Shrivastava on 9:41 AM Rating: 5

3 comments:

Unknown said...

Nojawano ko bhul kar unhi nokri de rahi sarkar jinko ghar par aaram karna chaheye...kitno ko to dekhai bhi nhi deta to kya padhayege....hum gov. Ko chunav m dekhayege.....

Anonymous said...

kya inlogo ko tet ki jaroorat nahi hai sarkar ki mansa hai ki sab purani hi byostha ko aage karna hai tab kyo tet ka hawala dekar sab bharti ko court me dal deti hai dharya rakhe election me sp gov lutiya dubne wali hai sp sarkar ne naojawan ko berojgar banya hai...

Anonymous said...

वाह भाई ,यहाँ बेचारे शिक्षा मित्रो के लिए स्नातक एवं tet की बात कर रहे है जिन्होंने अपने जीवन का कीमती समय का त्याग कर शिक्षा व्यवस्था सुधारी और फिर से वही कक्षा आठ पास वालो से पढ्वाकर बच्चो का भविष्य बर्बाद करेगे और बेरोजगारी बढायेगे

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