जुगाड़ से चल रही पढ़ाई : 42 हजार स्कूल प्राथमिक स्कूल एक शिक्षक के भरोसे
जुगाड़ से चल रही पढ़ाई
- 6828 परिषदीय स्कूल ऐसे जहाँ एक भी शिक्षक नहीं
- इनमें 5374 प्राथमिक स्कूल और 1454 उच्च प्राथमिक विद्यालय
- 42 हजार स्कूल प्राथमिक स्कूल एक शिक्षक के भरोसे
- 10 हजार उच्च प्राथमिक विद्यालय एक शिक्षक के भरोसे
- 62 हजार स्कूलों में महज दो-दो शिक्षक तैनात
- हर साल 12 से 14 हजार शिक्षकों के रिटायरमेंट ने खाई और बढ़ाई जबकि शिक्षा के अधिकार (RTE)
- अधिनियम के मुताबिक कक्षा एक से पांच तक में
दाखिल 60 बच्चों पर दो, 61 से 90 बच्चों पर तीन, 91 से 120 बच्चों पर चार,
121 से 200 बच्चों पर पांच शिक्षक होने चाहिए।
- परिषदीय स्कूलों का हाल
- कुल प्राथमिक स्कूल-1,13,197
- कुल उच्च प्राथमिक स्कूल-46,133
- एक शिक्षक वाले प्रा. स्कूल-32723
- एक शिक्षक वाले उच्च प्रा. स्कूल-9965
- दो शिक्षक वाले प्राथमिक स्कूल-42861
- दो शिक्षक वाले उच्च प्रा. स्कूल-19216
- प्राथमिक स्कूलों की स्थिति
- शिक्षकों के सृजित पद-365881
- शिक्षामित्रों के सृजित पद-175917
- कार्यरत शिक्षक-170037
- कार्यरत शिक्षामित्र-166822
- कुल शिक्षक शिक्षामित्र-336859
- आरटीई मानक के मुताबिक होने चाहिए - 456484 शिक्षक
- शिक्षकों की जरूरत-119625
- उच्च प्राथमिक स्कूलों का हाल
- शिक्षकों के सृजित पद-1,53,105
- कार्यरत शिक्षक-1,04,692
- आरटीई मानक के मुताबिक होने चाहिए-171335 शिक्षक
- शिक्षकों की जरूरत-66643
एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन (असर - ASER) रिपोर्ट 2013 के मुताबिक यदि उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पांचवीं में पढ़ने वाले 25 प्रतिशत बच्चे ही दूसरी कक्षा की किताब पढ़ने के काबिल हैं और महज 11 फीसद ही गणित में भाग के सवाल हल कर पाते हैं तो यह अकारण नहीं है। बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित स्कूलों में नौनिहालों को पढ़ाने के लिए गुरुजनों का अकाल है।
स्थिति कितनी विस्फोटक है इसका अंदाजा सिर्फ इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि सूबे के 42 हजार से ज्यादा परिषदीय स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई का जिम्मा सिर्फ एक-एक शिक्षक के हवाले है। सूबे के 42 हजार से ज्यादा परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में शिक्षा का बोझ यदि एक शिक्षक के कंधों पर है तो लगभग दस हजार उच्च प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं जिनमें अकेला अध्यापक शिक्षा की गाड़ी खींचने को मजबूर है। इससे भी हैरतअंगेज तो यह है कि सूबे के 6828 परिषदीय स्कूल ऐसे भी हैं जिनमें एक भी शिक्षक नहीं तैनात है। इनमें 5374 प्राथमिक स्कूल हैं तो 1454 उच्च प्राथमिक विद्यालय। इन स्कूलों में शिक्षा की गाड़ी जुगाड़ तकनीक से खींची जा रही है। दूसरे स्कूलों के शिक्षकों और शिक्षामित्रों को संबद्ध करके यहां पढ़ाई की औपचारिकता निभाई जा रही है। प्रदेश में 62 हजार से अधिक स्कूल ऐसे भी हैं जिनमें महज दो-दो शिक्षक तैनात हैं।
परिषदीय स्कूल शिक्षकों की कमी की समस्या से तो जूझ ही रहे थे, लेकिन पिछले कई वर्षो से भर्तियों में आया ठहराव और हर साल 12 से 14 हजार शिक्षकों के रिटायरमेंट ने कोढ़ में खाज वाले हालात पैदा कर दिए हैं।
क्या कहता है आरटीई :
शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम के मुताबिक कक्षा एक से पांच तक में दाखिल 60 बच्चों पर दो, 61 से 90 बच्चों पर तीन, 91 से 120 बच्चों पर चार, 121 से 200 बच्चों पर पांच शिक्षक होने चाहिए। जिन स्कूलों में डेढ़ सौ से अधिक बच्चे हैं वहां पांच शिक्षकों के अलावा एक हेड टीचर भी होना चाहिए। जिन स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या 200 से अधिक हो, वहां छात्र-शिक्षक अनुपात 40 से अधिक नहीं होना चाहिए।
खबर साभार : दैनिक जागरण
जुगाड़ से चल रही पढ़ाई : 42 हजार स्कूल प्राथमिक स्कूल एक शिक्षक के भरोसे
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
8:50 AM
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1 comment:
agar ek headmaster roz patra vayavahar karke ghar chala jata ho to schoolo ka kya hoga ...ye sab ho raha hain advance city meerut ke schoolo me
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