11 साल बाद भी प्रदेश के लाखों शिक्षकों को पेंशन का फायदा नहीं मिल रहा, 500 करोड़ का बजट जारी होने के बावजूद शिक्षकों के वेतन से पेंशन के लिए कटौती नहीं शुरू हुई
पुरानी पेंशन नीति समाप्त होने के बाद कई विभागों में नई पेंशन नीति शुरू हो गई, लेकिन 11 साल बाद भी प्रदेश के करीब 3 लाख शिक्षकों को इसका फायदा नहीं मिल रहा। शिक्षकों को नई नीति के तहत पेंशन का लाभ देने के लिए "500 करोड़ का बजट भी जारी चुकी है। इसके बावजूद शिक्षकों के वेतन से पेंशन के लिए कटौती नहीं शुरू हुई है। यही वजह है कि विधानसभा चुनाव से पहले सरकार पर दबाव बनाने के लिए शिक्षक और कर्मचारी संगठन आंदोलन तेज कर रहे हैं।
पिछले साल शिक्षक भी इस पर राजी हो गए थे कि जब तक पुरानी पेंशन की मांग स्वीकार नहीं होती, तब तक नई पेंशन लागू कर दी जाए। इसके तहत आधा हिस्सा वेतन से कटना है, जबकि आधे हिस्से के लिए प्रदेश सरकार ने "500 करोड़ का बजट जारी कर दिया। इसके बाद माध्यमिक के कुछ शिक्षकों के वेतन से कटौती भी शुरू हो गई, लेकिन फंड आवंटित न होने से अभी तक उनके पेंशन खाते में धनराशि नहीं जा रही। सूत्रों के मुताबिक, "500 करोड़ का बजट इसके लिए पर्याप्त नहीं हैं। इसी कारण वित्त विभाग ने धनराशि जारी नहीं की है।
पुरानी पेंशन नीति के लिए आंदोलन हो रहा है, लेकिन सरकार नई पेंशन भी नहीं दे पाई है। कोई आंदोलन होता है तो लाठियां ही मिलती हैं। सरकार को चुनाव में इसके नतीजे भुगतने होंगे। -डॉ. आरपी मिश्र, प्रांतीय मंत्री, माध्यमिक शिक्षक संघ
शिक्षक अपना हक मांग रहे हैं तो उसके बदले लाठियां बरसाई जा रही हैं। चुनाव से पहले प्रशासन का यह रवैया सरकार को काफी भारी पड़ सकता है। -विनय कुमार सिंह, अध्यक्ष, प्रशिक्षित शिक्षक स्नातक असोसिएशन
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