पढ़े नहीं तो फेल होंगे 6 से 8वीं तक के छात्र, अगले सत्र से बदलाव लागू होने की संभावना, कानून मंत्री को भेजा गया था प्रस्ताव
⚫ सख्त हिदायत
☀ फेल नहीं करने की नीति सिर्फ पांचवीं कक्षा तक अनिवार्य होगी
☀ अगले सत्र से कक्षा छह से फेल किए जा सकेंगे छात्र
नई दिल्ली : शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत अब अगले साल से कक्षा छह से बच्चों को फेल नहीं करने की नीति खत्म हो जाएगी। मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने इस मुद्दे पर कानूनी प्रक्रिया पूरी कर ली है। कानून मंत्रलय ने सुझाया है कि अधिनियम में संशोधन किए बगैर कक्षा छह के बच्चों को फेल नहीं करने की नीति बदली जा सकती है। अब अगले सत्र से स्कूलों में यह बदलाव लागू होने की संभावना है।
आरटीई के तहत अभी तक कक्षा आठ तक बच्चों को फेल नहीं किया जा सकता है। 2010 से यह कानून लागू है और विभिन्न अध्ययन रिपोर्ट यह बताती है कि इस प्रावधान के लागू होने से बच्चों में पढ़ने की प्रवृत्ति घट रही है। इसलिए पिछले दिनों मंत्रलय ने केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड में इस नीति में बदलाव का फैसला लिया था, जिसका प्रस्ताव कानून मंत्रलय को भेजा गया था। मंत्रलय के सूत्रों के अनुसार कानून मंत्रलय ने इस पर सहमति प्रकट की है। अब इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी दी जाएगी । इसमें बच्चों को फेल नहीं करने की नीति कक्षा आठ की बजाय कक्षा पांच तक ही सीमित रहेगी।
कक्षा छह से बच्चों को परीक्षा प्रणाली से गुजरना होगा । मंत्रलय के एक अधिकारी के अनुसार चूंकि नीति को खत्म नहीं किया गया है इसलिए इस मामले में कानूनी राय यह कहती है कि इसके लिए कानून में संशोधन नहीं करना पड़ेगा। शिक्षा का अधिकार कानून सरकार को यह अधिकार देता है कि वह नियमों में बदलाव कर सकती है। इसलिए यहां भी राज्यों को विकल्प दिया जा रहा है कि यदि वे चाहें तो पांचवीं कक्षा के बाद बच्चों को फेल करने की नीति अपना सकते हैं।
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