इलाहाबाद में चयनित सह समन्वयक चयन एवं पदस्थापना में अनियमितता की जांच के आधार पर डायट प्राचार्य व तत्कालीन बीएसए को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के लिए डीएम ने लिखा पत्र
इलाहाबाद : सर्व शिक्षा अभियान में चयनित सह समन्वयक चयन एवं पदस्थापना में अनियमितता की जांच के आधार पर वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति कर दी गई है। साक्षात्कार के सदस्यों द्वारा अभ्यर्थियों को दिए गए अंकों की सूची विवरण जांच अधिकारी को उपलब्ध कराने में आना कानी की गई है। जिलाधिकारी संजय कुमार द्वारा जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर डायट प्राचार्य राजेंद्र प्रताप, तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी हरिकेश यादव को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के लिए शासन को लिखा गया है।
जिला समन्वयक सुरेंद्र वर्मा की प्रतिनियुक्ति समाप्त कर उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही के लिए भी शासन को लिखा गया है। डीएम ने बताया कि फरवरी 2011 में बीआरसी, यूआरसी और सह समन्वयक पद पर चयन के लिए परिषदीय स्कूलों में कम से कम आठ साल का शिक्षण अनुभव मांगा गया था। किन्तु अक्टूबर 2011 के शासनादेश में सह समन्वयक के पद के लिए पांच का अनुभव अनिवार्य किया गया था। 23 अगस्त को जांच आख्या में साफ तौर पर अनियमितता मिली है। इसके आधार पर यह कार्यवाई की गई है। इस चयन प्रक्रिया में सभी विकास खंड में लगभग 80 पदों पर नियुक्ति की गई थी।
बेसिक शिक्षा विभाग में सह समन्वयकों की नियुक्ति में जांच के बाद बड़े पैमाने पर गड़बड़ी उजागर हुई है। डीएम संजय कुमार ने शुक्रवार रात इस धांधली के जिम्मेदार जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी हरिकेश यादव के निलंबन की संस्तुति शासन से कर दी। इस मामले में दोषी पाए गए जिला समन्वयक सुरेन्द्र वर्मा की प्रतिनियुक्त भी डीएम ने समाप्त कर दी है। उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए शासन को लिख दिया है।सह समन्यकों की नियुक्ति में गड़बड़ी की शिकायत पर डीएम ने इस मामले की जांच तीन सदस्यीय समिति से कराई थी। इस समिति के सदस्य मुख्य राजस्व अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक व राजकीय बालिका इंटर कॉलेज कटरा के प्राचार्य ने जांच करने के बाद रिपोर्ट शुक्रवार को डीएम को सौंप दी। रिपोर्ट के मुताबिक इस पद के लिए विज्ञापन ही गलत जारी किया गया था। शासनादेश के मुताबिक इस पद के लिए पांच साल का शिक्षण अनुभव होना चाहिए। जबकि विज्ञापन में 08 साल का शिक्षण अनुभव दिया गया था।सह समन्यक पदों के लिए हुई लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित किए बिना ही साक्षात्कार करा लिया गया था। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में भी प्राप्तांक में संशोधन किए गए थे। कई लोगों के नंबर काटकर बढ़ा दिए गए थे।
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