सीटें भरने की मशक्कत के बाद भी186 डीएलएड (पूर्व बीटीसी) कालेजों की 4380 सीटें रह गई हैं खाली, सीटें भरने को लेकर अफसरों में असमंजस
इलाहाबाद : डीएलएड (पूर्व बीटीसी) 2017 की 4380 सीटें अब तक भर नहीं सकी हैं। यह सीटें प्रदेश के पूरब व पश्चिम के जिलों में स्थित 186 कालेजों की हैं, इनमें सर्वाधिक 84 कालेज गाजीपुर के हैं, वहीं सबसे कम दो कालेज आजमगढ़ में रह गए हैं। इसी तरह से पश्चिम के मेरठ, मुजफ्फर नगर आदि जिले भी हैं। यह सीटें अब कैसे भरे इसको लेकर अफसरों में असमंजस है।
डीएलएड 2017 के लिए तीसरे चरण में विशेष आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को अतिरिक्त मौका दिए जाने के बाद भी 33116 सीटें खाली रह गई थी। परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव डा. सुत्ता सिंह ने इन सीटों को भरने के लिए सभी सीटें सामान्य घोषित करके बीते 27 से 29 अक्टूबर तक अभ्यर्थियों से विकल्प मांगे थे। बताते हैं कि इस बार सीटों के सापेक्ष अभ्यर्थियों ने कालेजों के विकल्प ही नहीं दिए। ऐसे में 33116 सीटों के सापेक्ष केवल 28736 को ही कालेज आवंटित हो सके हैं और 4380 सीटें खाली गई हैं।
सचिव की मानें तो कुल सीटें दो लाख 900 में से एक लाख 97 हजार 620 सीटें आवंटित की जा चुकी हैं। इस बार प्रदेश के 2818 डीएलएड कालेजों को यह सीटें आवंटित थी, उनमें से 2632 की सभी सीटें भर गई हैं, जबकि 186 कालेजों की सीटें खाली गई हैं। उनमें आजमगढ़ जिले के दो, बागपत के 13, गाजीपुर के 84, मेरठ के 61, मुजफ्फर नगर के चार, सहारनपुर के 15 व शामली के सात कालेज शामिल हैं। इन कालेजों की सीटें अब 10 नवंबर के पहले कैसे भरी जाएं इसको लेकर मंथन शुरू हो गया है।
ज्ञात हो कि तैयारी थी कि 10 नवंबर तक सभी कालेजों की सीटें भरकर सत्र विधिवत चलाया जाएगा। बड़ी संख्या में कालेजों को सीटें खाली हैं ऐसे में अब चौथे चरण के लिए विकल्प मांगना लगभग मजबूरी बन गई हैं। वैसे तो तमाम कालेजों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर रखी है कि परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के असहयोग के कारण उनके यहां पर सीटें भरना मुश्किल हो रहा है।
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