नर्सरी से 12 वीं तक की स्कूली शिक्षा को एकीकृत बनाने के एलान के साथ ही सरकार ने अमल की तैयारी शुरु की, अप्रैल से स्कूली शिक्षा का बदलेगा ताना-बाना
नर्सरी से 12 वीं तक की स्कूली शिक्षा को एकीकृत बनाने के एलान के साथ ही सरकार ने इसके अमल की तैयारी शुरू कर दी है। वह मार्च तक इसके लिए कानून लाएगी, जबकि एक.अप्रैल.यानी.नए.शैक्षणिक.सत्र से देशभर में एकीकृत स्कूली शिक्षा योजना लागू हो जाएगी।
मौजूदा समय में देश में स्कूली शिक्षा टुकड़ों में बंटी है। प्राथमिक शिक्षा का संचालन सर्व शिक्षा अभियान और शिक्षा के अधिकार कानून जैसे कानूनों के तहत किया जा रहा है, जबकि माध्यमिक शिक्षा का संचालन राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत हो रहा है। नर्सरी को अभी तक स्कूली शिक्षा में कहीं जगह ही नहीं मिली है। वित्त मंत्री अरुण जेटली की इस घोषणा के साथ ही नर्सरी की शिक्षा भी अब स्कूली शिक्षा का अंग होगी। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि जल्द ही वह कैबिनेट के सामने इससे संबंधित कानून को रखेंगे। वहां से मंजूरी मिलने के बाद ही इसपरअमल की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। उन्होंने बताया कि स्कूली शिक्षा के लिए यह एक बड़ा कदम होगा।
मंत्रलय के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, इस नए बदलाव के साथ ही सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, मिड-डे मील जैसी तमाम योजनाओं का बजट एक हो जाएगा।
संबंधित योजनाओं के लिए अलग-अलग आवंटन
बजट में फिलहाल इन योजनाओं के लिए अलग-अलग आवंटन जारी किया गया है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में सर्व शिक्षा अभियान के लिए करीब 2628 करोड़ दिए गए है, जबकि राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान को 383 करोड़ और मिड-डे मील को 233 करोड़ रुपये दिए गए हैं। इसके अलावा सरकार ने बजट में स्कूली शिक्षा के बजट को करीब आठ फीसद बढ़ाते हुए 50 हजार करोड़ का प्रावधान किया है। यह राशि वित्तीय वर्ष 2017-18 की तुलना में करीब 3643 करोड़ ज्यादा है।
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