सरकार के साथ पुरानी पेंशन की मांग को लेकर वार्ता विफल, 25 से 27 अक्टूबर तक हड़ताल का लिया निर्णय, बात न बनी तो 27 अक्टूबर से होगी अनिश्चितकालीन हड़ताल
● पेंशन मांगने दिल्ली तक जाएंगे राज्यकर्मी, पुरानी पेंशन मुद्दे पर विपक्ष कर्मचारियों के साथ
● मुख्य सचिव के साथ वार्ता विफल, मुख्यमंत्री के सामने रखा जाएगा पुरानी पेंशन का मामला
● 25 से 27 अक्टूबर तक हड़ताल का लिया निर्णय
तब भी बात न बनी तो 27 अक्टूबर से होगी अनिश्चितकालीन हड़ताल
● नई पेंशन योजना में 10 हजार करोड़ रुपये का हिसाब न होने का लगाया
सरकार के साथ पुरानी पेंशन की मांग को लेकर वार्ता विफल, 25 से 27 अक्टूबर तक हड़ताल का लिया निर्णय, बात न बनी तो 27 अक्टूबर से होगी अनिश्चितकालीन हड़ताल
लखनऊ : मंच के संयोजक हरिकिशोर तिवारी व अध्यक्ष डॉ.दिनेश चंद शर्मा ने पुरानी पेंशन बहाल होने तक आंदोलन के न रुकने का शंखनाद करते हुए दिल्ली तक पहुंच कर केंद्र सरकार की कुर्सी हिलाने की चेतावनी दी। करीब 2.50 करोड़ राज्य कर्मचारी व 32 लाख केंद्रीय कर्मचारियों से नई पेंशन योजना के नाम पर लिए गए लगभग दस हजार करोड़ रुपये का सरकारों के पास कोई लेखा-जोखा न होने का हवाला देते हुए कहा कि अब सभी राज्यों में ऐसा आंदोलन खड़ा किया जाएगा। वक्ताओं ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना बहाल न हुई तो अगले साल केंद्र उनको भी पेंशन न देने का एलान कर देगी, जिन्हें देने का वादा उसने किया है और जिन्हें वर्तमान में पेंशन मिल रही है।
■ आंदोलन के लिए बड़े अधिकारी जिम्मेदार : कर्मचारी अधिकारी महापरिषद के पूर्व अध्यक्ष बाबा हरदेव सिंह ने आंदोलन के लिए सरकार के बड़े अधिकारियों को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा, अब सरकार को कर्मचारियों से सीधे वार्ता कर हल निकालना चाहिए। मंच के अध्यक्ष डॉ.दिनेश चंद शर्मा ने कहा कि सीएजी रिपोर्ट के बाद सरकार पर विश्वास करना कर्मचारी हित में नहीं है।
संयोजक हरिकिशोर ने कहा कि सरकार कर्मचारियों से रात दिन विकास कार्य कराती है, इसलिए उनकी जायज समस्याओं का समाधान भी त्वरित गति से होना चाहिए। तिवारी ने कहा कि सरकार ने वार्ता में कोई समय तय नहीं किया है, इसलिए पूरे प्रदेश के कर्मचारी व शिक्षक अब हड़ताल पर जाएंगे। रेलवे नेता शिवगोपाल मिश्र ने हक की लड़ाई ठहराते हुए केंद्रीय कर्मचारियों के भी पूरी तरह साथ रहने का दावा किया।
■ विधानभवन भी घेरा : एक ओर ईको गार्डन कर्मचारियों व शिक्षकों के नारों से गूंज रहा था तो इधर उनके एक बड़े समूह ने विधान भवन को घेर लिया। प्रदेश के सभी जिलों के साथ कई अन्य राज्यों से भी आए कर्मचारियों की भारी संख्या देख बैकफुट पर आया पुलिस-प्रशासन उनसे हटने का आग्रह करने से ज्यादा कुछ नहीं कर सका। आधे घंटे तक ठप रही व्यवस्था के बाद कर्मचारी तब ही हटे, जब मंच के नेताओं ने उन्हें यहां से हटने का निर्देश दिया।
■ खूब लगे नारे, निशाने पर रही सरकार : कर्मचारी नेताओं ने रैली में 2.30 लाख कर्मचारियों व शिक्षकों के शामिल होने का दावा किया। इसमें राज्यकर्मियों व शिक्षकों के साथ केंद्र सरकार के रेलवे सहित अन्य कर्मचारी मौजूद थे। उनकी भारी मौजूदगी के बीच सरकार के साथ सांसद व विधायक भी निशाने पर रहे। वक्ताओं ने कहा कि कुछ समय के लिए ही रहने वाले सांसदों-विधायकों को एक नहीं कई पेंशन मिलती हैं, जबकि जीवन भर सेवा देने वाले कर्मचारियों की एकमात्र पेंशन से भी सरकार खिलवाड़ कर रही है।
■ उमस ने किया बेहाल : रैली स्थल के आसपास हालांकि पानी के टैंकरों की व्यवस्था की गई थी लेकिन, टेंट के नीचे भारी उमस के कारण पसीने से लथपथ कर्मचारी-शिक्षक बेहाल रहे। वाहन खड़ा करने की जगह न बचने के कारण कई बसें और चौपहिया वाहन एक किलोमीटर से भी ज्यादा दूर रुक गए। इन वाहनों और रैली स्थल के बीच आवाजाही से हर ओर जुलूस जैसा नजारा था।
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