हाईकोर्ट का निर्णय : बेसिक शिक्षिकाओं को अपने ससुराल वाले जिले में नियुक्ति का अधिकार
हाईकोर्ट का निर्णय : बेसिक शिक्षिकाओं को अपने ससुराल वाले जिले में नियुक्ति का अधिकार
अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के मामले में कोर्ट ने पति-पत्नी के एक ही जिले में नियुक्ति की मांग को सही ठहराया, असाध्य रोगों से पीड़ित अध्यापक भी 5 वर्ष की सेवा अनिवार्यता के दायरे से बाहर।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ा रहे सहायक अध्यापकों के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के मामले में ऐसे अध्यापकों को राहत दी है, जिनकी पत्नियां भी अध्यापक हैं और अपनी ससुराल वाले जिले में नियुक्त हैं। साथ ही कोर्ट ने ऐसे अध्यापकों को भी राहत दी है जो या तो स्वयं अथवा उनके माता-पिता किसी असाध्य रोग से पीड़ित हैं।
कोर्ट ने ऐसे अध्यापकों को विशेष परिस्थिति में मानते हुए एक जनपद में पांच वर्ष की सेवा अनिवार्यता से छूट पाने का हकदार माना है और उनके स्थानांतरण पर विचार कर निर्णय लेने का सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को आदेश दिया है। हालांकि कोर्ट ने उन अध्यापकों की अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की मांग नामंजूर कर दी है जो स्थायी रूप से दिव्यांग हैं। संजय सिंह और 25 अन्य, राज कुमार सिंह व 12 अन्य, वीरसेन व 20 अन्य और वरुण कुमार व 32 अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने दिया है।
याचीगण का पक्ष रख रहे अधिवक्ता नवीन कुमार शर्मा का कहना था कि संजय सिंह व अन्य के केस में याचीगण की सेवा 5 साल की नहीं हुई है, किंतु उनकी पत्नियां दूसरे जिलों में नियुक्त हैं। उनका भी उन्हीं जिलों में स्थानांतरण किया जाए, जहां उनकी पत्नियां तैयार कार्यरत हैं। बेसिक शिक्षा परिषद के अधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए कहा कि 5 साल सेवा की अनिवार्यता में महिलाओं को छूट है, पुरुषों को ऐसी छूट नहीं है, इसलिए स्थानांतरण की मांग याचीगण की पत्नियां कर सकती हैं।
कोर्ट का कहना था कि महिलाओं को अपने ससुराल वाले जिले में नियुक्ति पाने का अधिकार है। इस मामले में याचीगण की पत्नियां पहले से ही अपने ससुराल वाले जिले में नियुक्त हैं। इसलिए वे स्थानांतरण की मांग नहीं कर सकतीं। कोर्ट ने कहा कि पति पत्नी को एक ही जनपद में नियुक्ति पाने का अधिकार है।
इसलिए सचिव बेसिक शिक्षा परिषद की याचीगण के प्रत्यावेदन पर 4 सप्ताह में विचार कर निर्णय लें। इसी प्रकार से राज कुमार सिंह व अन्य के केस में याचीगण या उनके अभिभावक किसी न किसी असाध्य बीमारी से पीड़ित हैं, इसलिए कोर्ट ने उनको 5 वर्ष की सेवा अहर्ता से छूट देते हुए उनके प्रत्यावेदन पर विचार कर निर्णय लेने के लिए कहा है।
जबकि वीरसेन के केस में कोर्ट ने उन लोगों को राहत दी है, जो किसी असाध्य बीमारी से पीड़ित हैं। जिन अध्यापकों में स्थायी दिव्यांगता है, उसे कोर्ट ने विशेष अथवा आपात स्थिति मानने से इनकार कर दिया। जबकि वरुण कुमार और 32 अन्य के केस में वे याची गण हैं जो आकांक्षी जनपदों (ऐसे पिछड़े जिले जहां अध्यापकों के स्थानांतरण पर सरकार ने रोक लगाई है) में नियुक्त हैं तथा वहां से स्थानांतरण चाहते हैं, इनके मामले में कोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद और राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।
HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD
Court No. - 2
Case :- WRIT - A No. - 631 of 2021
Petitioner :- Sanjay Singh And 25 Others
Respondent :- State Of U.P. And 4 Others
Counsel for Petitioner :- Navin Kumar Sharma
Counsel for Respondent :- C.S.C.,Santosh Kumar
Hon'ble Suneet Kumar,J.
Heard Sri Navin Kumar Sharma, Advocate, for petitioners; and, learned Standing Counsel and Smt. Archana Singh, Advocate, for the respondents.
Petitioners (26 in number) are Assistant Teachers, who have not put in five years of continuous service but seek inter-district transfer at the place of posting of their wife, who either is a Teacher or a Government employee. The wife is residing with in-laws.
Smt. Archana Singh, learned counsel appearing for respondents, submits that the wife can seek transfer as there is relaxation in their case but for male teachers, there is embargo of five years.
In my view, the stand taken is hyper technical for the reason that under the U.P. Basic Education (Teachers) (Posting) Rules, 2008 a lady can seek transfer to the place of in-laws. In the facts of the instant case, it is stated that wives of petitioners are residing with their in-laws. Therefore, wives cannot seek transfer away from house of the in-laws. In the special circumstances, only the petitioners, who are male teachers, can seek transfer in view of decision in Divya Goswami and others Vs. State of U.P. and others 2020 (11) ADJ 137 subsequently modified by order dated 03.12.2020.
In view, thereof, on the consent of learned counsels for the parties, the petition is disposed of directing the second respondent, Secretary, U.P. Basic Education Board, to consider the case of the petitioners on merits for inter-district transfer expeditiously, preferably within four weeks from the date of filing certified copy of this order along with copy of the representation and the material in support of exceptional exigency/circumstances.
Order Date :- 5.10.2021
P. Sri.
हाईकोर्ट का निर्णय : बेसिक शिक्षिकाओं को अपने ससुराल वाले जिले में नियुक्ति का अधिकार
Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2
on
6:38 AM
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