उत्तर प्रदेश में अब इंटर पास छात्र कर सकेंगे डीएलएड, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दाखिले के लिए स्नातक की शर्त हटाई

इंटरमीडिएट से डीएलएड मामले में अपील करेगी पीएनपी संस्था, वर्ष 1998 से डीएलएड प्रवेश के लिए योग्यता स्नातक निर्धारित

परीक्षा नियामक प्राधिकारी नहीं कराता है स्पेशल डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजूकेशन


प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजूकेशन (डीएलएड) के दो वर्षीय पाठ्यक्रम में प्रवेश की अर्हता इंटरमीडिएट से बढ़ा कर स्नातक करने के राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने प्रदेश सरकार के निर्णय को मनमाना और भेदभाव पूर्ण करार दिया था।

इस आदेश के खिलाफ डीएलएड कराने वाली संस्था परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) अपील करेगी। इसके लिए विधि विशेषज्ञों से राय ली जा रही है।

डीएलएड के दो वर्षीय कोर्स के लिए पीएनपी ने 11 सितंबर को नोटिस जारी किया था। इसके लिए यूपी डीएलएड की वेबसाइट पर 18 सितंबर से आवेदन लिए जा रहे हैं। नौ अक्तूबर तक ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे। उसके बाद मेरिट के आधार पर चयन होगा।

चयनितों को 67 सरकारी कॉलेजों, जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान (डायट) और करीब 2900 निजी कॉलेजों में प्रवेश मिलेगा। इस कोर्स के लिए सरकारी और निजी विद्यालयों में करीब सवा दो लाख सीटें हैं। दो वर्षीय कोर्स करने वालों को प्राइमरी विद्यालयों में शिक्षक की नौकरी मिलती है।

2019 से प्राइमरी विद्यालयों में शिक्षक की भर्ती नहीं आई है, इसलिए हर वर्ष निजी विद्यालयों की हजारों सीटें खाली रह जाती हैं। इस कोर्स में प्रवेश के लिए वर्ष 1998 में योग्यता स्नातक निर्धारित की गई थी। उससे पहले इंटरमीडिएट से बीटीसी होता था।

इस कोर्स के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हुई तो यशांक खंडेलवाल समेत कई लोगों ने अर्हता मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की। बताया कि डीएलएड स्पेशल कोर्स (दिव्यागं बच्चों को पढ़ाने के लिए) की योग्यता इंटरमीडिएट निर्धारित है। इसलिए डीएलएड के लिए भी योग्यता इंटरमीडिएट होनी चाहिए।

 प्रदेश में एक ही कोर्स के लिए अलग-अलग अर्हता निर्धारित है। पीएनपी सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी ने बताया कि प्रदेश में डीएलएड स्पेशल कोर्स संचालित ही नहीं है। जब कोर्स ही नहीं है तो भेदभाव जैसी बात कैसे हुई। नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) के अनुसार डीएलएड की योग्यता स्नातक निर्धारित है। उसी आधार पर प्रवेश लिया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में किस कोर्स का हवाला दिया है, उसकी जानकारी नहीं है। इस मामले में विधि विशेषज्ञों से राय ली जा रही है।



उत्तर प्रदेश में अब इंटर पास छात्र कर सकेंगे डीएलएड, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दाखिले के लिए स्नातक की शर्त हटाई, 
फैसले को चुनौती देगा विभाग

■ इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के पाठ्यक्रम में प्रवेश अर्हता बढ़ाने का आदेश रद्द किया

■ अदालत का प्रदेश सरकार को निर्देश, सभी याचियों को प्रवेश प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दी जाए

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) की ओर से संचालित डीएलएड दो वर्षीय प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में प्रवेश की अर्हता इंटरमीडिएट से बढ़ा कर स्नातक करने के राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने इस संबंध में जारी 9 सितंबर 2024 के शासनादेश के उसे अंश को रद्द कर दिया है, जिसमें दो वर्षीय पाठ्यक्रम में प्रवेश की अर्हता को बढ़ाकर इंटरमीडिएट से स्नातक कर दिया गया था। 


कोर्ट ने प्रदेश सरकार के निर्णय को संवैधानिक, मनमाना और भेदभाव पूर्ण करार दिया है। यशांक खंडेलवाल और नौ अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मनीष कुमार ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि प्रवेश प्रक्रिया 12 दिसंबर तक में भाग लेने की अनुमति दी जाए।

याचिका में 9 सितंबर 2024 को जारी शासनादेश को यह कहते हुए चुनौती दी गई कि इसमें डीएलएड दो वर्षीय पाठ्यक्रम की अर्हता राज्य सरकार ने इंटरमीडिएट से स्नातक कर दिया है, जबकि डीएलएड (स्पेशल कोर्स) जो दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने का प्रशिक्षण है कि अर्हता इंटर ही है। इस आदेश से कुछ वर्ग के अभ्यर्थियों से भेदभाव होगा जो डीएलएड में प्रवेश चाहते हैं क्योंकि इसके स्पेशल कोर्स की अहर्ता अब भी इंटर है, इससे वर्ग में वर्ग पैदा हो जाएगा। 
सरकार की दलील, यह उसका नीतिगत निर्णय

सरकार का तर्क था कि उसे एनसीटीई द्वारा तय योग्यता से उच्च योग्यता तय करने का अधिकार है। यह उसका नीतिगत निर्णय है जिसका न्यायिक पुनरावलोकन संभव नहीं है। यह तभी हो सकता है जब आदेश असंवैधानिक हो। कोर्ट ने कहा कि निजी संस्थानों में इसी पाठ्यक्रम की अर्हता इंटरमीडिएट है। सरकार से डीएलएड डीएलएड स्पेशल कोर्स के लिए अलग-अलग योग्यता तय करना वर्ग में वर्ग पैदा करना है, जबकि दोनों में तात्विक फर्क नहीं है।


हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देगा विभाग

प्रयागराज। डीएलएड में 12वीं पास अभ्यर्थियों को प्रवेश का अवसर दिए जाने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बेसिक शिक्षा विभाग ने स्पेशल अपील की तैयारी शुरू कर दी है। बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने हाईकोर्ट का आदेश देखने के बाद विधिक राय लेनी शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार इस फैसले के खिलाफ जल्द ही विभाग की ओर से अपील की जाएगी।
उत्तर प्रदेश में अब इंटर पास छात्र कर सकेंगे डीएलएड, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दाखिले के लिए स्नातक की शर्त हटाई Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 1 on 5:14 AM Rating: 5

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