असहायता प्राप्त निजी स्कूलों पर भी लागू होता है RTE एक्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ का अहम फैसला

असहायता प्राप्त निजी स्कूलों पर भी लागू होता है RTE एक्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ का अहम फैसला 

कम उपस्थिति और खराब प्रदर्शन पर रोके गए निजी स्कूल के दो छात्रों को फिर से प्रवेश देने का हाईकोर्ट का आदेश

कोर्ट ने कहा, प्रारंभिक शिक्षा तक किसी बच्चे को रोका या अनुत्तीर्ण नहीं किया जा सकता


लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई एक्ट) के सभी प्रावधान निजी असहायता प्राप्त स्कूलों पर भी लागू होते हैं। कोर्ट ने दो छात्रों को कम उपस्थिति और कमजोर शैक्षणिक प्रदर्शन के आधार पर कक्षा में रोकने के निजी स्कूल के फैसले को गलत ठहराते हुए उन्हें दोबारा प्रवेश देने और परीक्षा कराने का आदेश दिया।


न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने यह आदेश 11 व 14 वर्ष के दो बच्चों के पिता की ओर से दाखिल याचिका पर दिया। इसमें, बच्चों को कक्षा में रोकने वाले स्कूल के निर्णय को कानून की मंशा के खिलाफ कहकर चुनौती दी गई थी।

दोनों बच्चे राजधानी के आईसीएसई से अनुसार प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक किसी संबद्ध एक निजी स्कूल में पढ़ते हैं। कोर्ट ने कहा कि आरटीई एक्ट की धारा 16 के बच्चे को रोका या स्कूल से बाहर नहीं किया जा सकता। इस प्रकार स्कूल का कदम अधिनियम का उल्लंघन है।

स्कूल के अधिवक्ता की दलील थी कि निजी असहायता प्राप्त संस्थानों पर आरटीई एक्ट पूरी तरह लागू नहीं होता, जिसे कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की नजीर का हवाला देते हुए खारिज कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि अधिनियम की धारा 2 (एन) में परिभाषित सभी स्कूलों समेत सभी प्राइवेट असहायता प्राप्त स्कूलों पर भी आरटीई एक्ट बाध्यकारी है।
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