समय पर दाखिले, पढ़ाई और परीक्षाएं न होने से बीटीसी का सत्र करीब दो साल पिछड़ा, अब नौबत 2016-17 का सेशन जीरो करने की

लखनऊ : समय पर दाखिले, पढ़ाई और परीक्षाएं न होने से बीटीसी का सत्र करीब दो साल पिछड़ चुका है। अब नौबत 2016-17 का सेशन जीरो करने तक की आ गई है। वहीं, कॉलेज सत्र जीरो होने की आशंका से परेशान हैं। 


इधर, प्रदेश सरकार लगातार बीटीसी कॉलेजों को सम्बद्धता देती जा रही है। जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थानों(डायट) में 10,500 सीटें हैं। वहीं, पिछले साल तक बीटीसी की लगभग 70 हजार सीटें निजी कॉलेजों में थीं। इस बार 2017-18 में यह सीटें बढ़कर 1.5 लाख से ज्यादा हो जाएंगी। लेकिन दाखिलों और पढ़ाई का सिस्टम अभी तक नहीं सुधरा है। बीटीसी की पढ़ाई का हाल यह है कि अभी 2014-15 के फाइनल सेमेस्टर की पढ़ाई चल रही है। 2015-16 के दूसरे सेमेस्टर की पढ़ाई चल रही है। 2016-17 के दाखिलों के लिए अब तक विज्ञापन भी नहीं निकला है। जबकि अब तक 2017-18 के दाखिले शुरू हो जाने चाहिए थे।




इस बारे में मैं अभी कुछ बताने की स्थिति में नहीं हूं। फाइल देखने के बाद ही कुछ बता पाऊंगा।  -आरपी सिंह, अपर मुख्य सचिव, बेसिक शिक्षा



पढ़ाई और परीक्षाएं लेट होने से छात्रों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। यदि समय से पढ़ाई और परीक्षाएं होतीं तो प्रदेश के हजारों छात्र अब तक बीटीसी पास कर चुके होते और नौकरी के लिए अर्ह होते। अभी तक दो पुराने बैच की ही पढ़ाई चल रही है। अब यदि सेशन जीरो किया जाता है तो हजारों छात्र बीटीसी की पढ़ाई से वंचित हो जाएंगे।  -विनय त्रिवेदी, अध्यक्ष, स्ववित्तपोषित महाविद्यालय संघ

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