पहले से कार्यरत अध्यापकों को काउंसलिंग में शामिल करने का निर्देश


पहले से कार्यरत अध्यापकों को काउंसलिंग में शामिल करने का निर्देश


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती में ऐसे अध्यापकों को भी काउंसलिंग में शामिल करने का निर्देश दिया है जो पहले से सहायक अध्यापक हैं और स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। इनको काउंसलिंग में शामिल होने के लिए विभाग की ओर से अनुमति नहीं दी जा रही है, जिसके खिलाफ अध्यापकों ने हाईकोर्ट की शरण ली है।


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापक भर्ती में चयनित पहले से कार्यरत अध्यापकों को काउंसिलिंग में शामिल होने के लिए नियोक्ता से अनापत्ति प्रमाणपत्र लाने की शर्त को प्रथम दृष्टया मनमानी पूर्ण करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी शर्त लगाने का विधिक आधार नहीं है। टीचर पॉपुलेशन रेशियो का आधार याचियों की राह का रोड़ा नहीं बन सकता।


कोर्ट ने कहा कि काउंसलिंग के लिए एनओसी की शर्त लगाना विधिपूर्ण कार्य नहीं है। कोर्ट ने सोनभद्र के राघवेंद्र प्रताप सिंह सहित 15 याचियों को सहायक अध्यापक भर्ती की काउंसलिंग में शामिल करने व परिणाम घोषित करने का निर्देश दिया है। मगर, बिना अदालत के आदेश के इनको नियुक्ति नहीं दी जाएगी।
याचिका की अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी। 


याचिका पर न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने सुनवाई की। याचीगण का कहना है कि वह विभिन्न स्कूलों में अध्यापक हैं और वह 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती में भी चयनित हुए हैं। उन्हें काउंसलिंग में शामिल करने से यह कहते हुए मना कर दिया गया कि पहले वे नियोक्ता से अनापत्ति प्रमाणपत्र लाएं। ऐसी शर्त याचियों के अनुच्छेद 14 एवं 16 के अंतर्गत मिले रोजगार के अवसर की समानता के मूल अधिकारों का उल्लंघन करती है। कोर्ट ने शर्त को मनमाना पूर्ण मानते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
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