बीमा पॉलिसी बंद, फिर भी शिक्षकों के वेतन से हो रही प्रीमियम की कटौती, हर महीने लगभग दो लाख शिक्षकों के वेतन से कट रहे 87-87 रुपये

समूह बीमा योजना बंद होने के बाद भी बेसिक शिक्षा विभाग शिक्षकों से काटता रहा धन

आठ साल से कट रही गुरुजी की जेब, बीमा योजना में कवरेज नहीं होने के बाद भी कटौती जारी

बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों की बीमा पालिसी के नाम पर कट रही किस्त

वर्ष 2014 के बाद नियुक्त शिक्षक व कर्मियों से हो रही 87 रुपये की मासिक कटौती

बीमा पॉलिसी बंद, फिर भी शिक्षकों के वेतन से हो रही प्रीमियम की कटौती

हर महीने लगभग दो लाख शिक्षकों के वेतन से कट रहे 87-87 रुपये

हर महीने बेवजह डेढ़ करोड़ कटवा रहे परिषदीय शिक्षक, जानिए क्यों?

 सामूहिक बीमा के नाम पर वेतन से हो रही कटौती

 प्रत्येक शिक्षक से हर महीने 87 रुपये ले रहा विभाग


प्रयागराज : बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में एक अप्रैल 2014 के बाद नियुक्त शिक्षक और कर्मचारी हर महीने अपने वेतन से डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक की राशि बेवजह कटवा रहे हैं। एलआईसी ने शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की सामूहिक जीवन बीमा पालिसी संख्या क्रमश: 4521 व 116846 को 31 मार्च 2014 में ही बंद कर दी थी। 31 मार्च 2014 के पूर्व नियुक्त शिक्षक तो इस योजना से आच्छादित हैं लेकिन उसके बाद नियुक्त शिक्षकों और कर्मचारियों को कवर न मिलने के बावजूद उनके वेतन से आठ साल बाद भी कटौती जारी है।


प्रत्येक शिक्षक के खाते से हर महीने 87 रुपये की कटौती होती है। यदि प्रदेशभर के डेढ़ लाख से अधिक परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में वर्तमान में कार्यरत 4.5 लाख से अधिक शिक्षकों में से दो लाख शिक्षक भी एक अप्रैल 2014 के बाद नियुक्त मान लिए जाएं तो ये शिक्षक सरकार को 87 रुपये के हिसाब से सरकार को प्रतिमाह तकरीबन पौने दो करोड़ बेवजह दे रहे हैं। क्योंकि एक अप्रैल 2014 के बाद नियुक्त शिक्षक के निधन पर बीमा की राशि एक लाख रुपये नहीं मिलती है। बेसिक शिक्षा परिषद के वित्त नियंत्रक रवीन्द्र कुमार ने सभी जिलों के वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा को पत्र लिखकर 31 मार्च 2014 के पूर्व और बाद में नियुक्त शिक्षकों और कर्मचारियों की सूचना मांगी है।


31 मार्च 2014 के बाद से सामूहिक बीमा योजना बंद है लेकिन कटौती हो रही है। कई बार अधिकारियों से कटौती बंद करने का अनुरोध किया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। 31 मार्च 2014 के बाद नियुक्त शिक्षकों से जितने रुपये लिए गए हैं उन्हें ब्याज के साथ लौटाया जाए। - देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, जिलाध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ



लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद में 31 मार्च 2014 के बाद नियुक्त दो लाख से अधिक शिक्षकों व कर्मचारियों की सामूहिक बीमा पॉलिसी बंद होने के बावजूद उनके वेतन से हर महीने प्रीमियम के तौर पर 87 रुपये की कटौती की जा रही है। यह पैसा सरकारी खजाने में जा रहा है लेकिन इसके एवज में उनको कोई दूसरी पॉलिसी नहीं दी गई है।


गौरतलब है कि बेसिक शिक्षा विभाग ने 31 मार्च 2014 के बाद नियुक्त हुए परिषदीय शिक्षकों, सहायता प्राप्त विद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए एलआईसी के जरिये पॉलिसी नंबर 4521 व 116846 के तहत समूह बीमा कराया था। जबकि एलआईसी ने अप्रैल 2019 में दोनों पॉलिसी को वर्ष 2014 से ही बंद करने का नोटिस उच्च शिक्षा विभाग को दे दिया था। इसके बावजूद शिक्षकों व कर्मचारियों से वेतन से हर महीने प्रीमियम के तौर 87 रुपये की कटौती बंद नहीं की गई। 


इस तरह सभी शिक्षकों के प्रीमियम से सरकारी खजाने में हर महीने लगभग 1.80 करोड़ रुपये और सालाना 20 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा हो रही है। पर शिक्षकों और कर्मचारियों को कोई दूसरी बीमा पॉलिसी नहीं दी गई है।  ऐसा पहली बार हो रहा है, जब शिक्षकों के वेतन से प्रीमियम की कटौती के बावजूद उनको बीमा लाभ नहीं मिल रहा है।


एलआईसी से नहीं हुई जमा प्रीमियम की वसूली

एलआईसी ने 31 मार्च 2014 के बाद नियुक्त हुए शिक्षकों और कर्मचारियों की पॉलिसी को वर्ष 2014 से ही बंद कर दी थी। जबकि विभाग की ओर से एलआईसी को वर्ष 2014 से 2019 तक प्रीमियम की राशि जमा कराई गई है। एलआईसी के पास जमा प्रीमियम की वसूली भी अब तक नहीं हुई है।


शासन स्तर पर लंबित है प्रीमियम कटौती बंद करने का निर्णय

 प्रीमियम कटौती बंद करने का निर्णय शासन स्तर पर लंबित है। शासन के निर्णय के बाद शिक्षकों और कर्मचारियों के प्रीमियम की राशि उन्हें वापस भी लौटाई जा सकती है। सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालयों से जिलों में 31 मार्च 2014 के पहले और बाद में नियुक्त शिक्षकों, कर्मचारियों का रिकॉर्ड मांगा गया है। - रवींद्र कुमार, वित्त नियंत्रक, बेसिक शिक्षा परिषद


गड़बड़झाला  : कहां गए शिक्षकों के वेतन से कटे ₹208.80 करोड़?  बेसिक शिक्षकों के लिए 2014 में बंद कर दी गई थी ग्रुप इंश्योरेंस स्कीम, लेकिन वेतन से कट रहा प्रीमियम


लखनऊः उत्तर प्रदेश में 2014 के बाद भर्ती परिषदीय प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों (वेसिक शिक्षक) के लिए ग्रुप इंश्योरेंस स्कीम बंद कर दी गई। लेकिन शिक्षकों के वेतन से हर महीने 87 रुपये प्रीमियम काटा जा रहा है। आठ साल में अब तक इन शिक्षकों के लगभग 208.80 करोड़ रुपये काटे जा चुके हैं। शिक्षक लगातार पूछ रहे हैं कि यह प्रीमियम क्यों काटा जा रहा है? अब तक जमा इतनी बड़ी रकम कहां गई ? विभाग में इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं है।


अन्य शिक्षकों और कर्मचारियों की तरह ही वेसिक शिक्षकों का भी ग्रुप इंश्योरेंस होता है। वेसिक शिक्षकों की सैलरी से इंश्योरेंस के प्रीमियम के तौर पर 67 रुपये प्रति माह काटे जाते हैं। दुर्घटना होने उसका क्लेम मिलता है। इसमें एक लाख रुपये बीमा कवर है। यदि दुर्घटना नहीं होती है तो रिटायरमेंट के बाद पॉलिसी की परिपक्वता राशि मिलती है। एलआईसी ने 2014 में वेसिक शिक्षकों के लिए यह पॉलिसी बंद कर दी। विभाग को कह दिया कि भविष्य में नियुक्त वेसिक शिक्षकों का बीमा नहीं किया जाएगा। 2014 में ऐडेड माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों के लिए भी यह वीमा बंद कर दिया गया। वेतन से होने वाली उनकी कटौती भी बंद हो गई पर वेसिक शिक्षकों की कटौती जारी है।


क्लेम के लिए दबाव से अफसर भी परेशान : आठ साल में शिक्षकों और विभाग की ओर से इसको लेकर सवाल जवान हुए और पत्राचार हुआ, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकला। शिक्षक संगठनों ने विभाग को कई बार पत्र लिखे।


जिलों के वित्त एवं लेखाधिकारियों ने भी वेसिक शिक्षा परिषद के वित्त नियंत्रक को पत्र लिखे। अप्रैल में एक लेखाधिकारी ने वित्त नियंत्रक को इस बारे में पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा है। इसमें उन्होंने लिखा है कि 1 अप्रैल 2014 के बाद नियुक्त परिषदीय शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन से सामूहिक वीमा के प्रीमियम की कटौती की जा रही है। अब मृत अध्यापकों के आश्रित वीमा क्लेम के लिए भी दबाव बना रहे हैं। इस बारे में मार्गदर्शन दें। हालांकि वित्त नियंत्रक खुद भी विभाग को पत्र लिखकर ऐसे शिक्षकों और कर्मचारियों का ब्योरा मांग चुके हैं। अब तक न तो शिक्षकों के खाते से कटौती बंद हुई और न बीमा क्लेम मिल रहा।


2.50 लाख शिक्षक भर्ती हुए 2014 के बाद

2014 के बाद से आठ साल में लगभग 2.75 लाख शिक्षक भर्ती हो चुके हैं। करीब 25 हजार शिक्षकों ने जॉइन नहीं किया। वह संख्या घटा दी जाए तो आंकड़ा 2.50 लाख होता है। एक शिक्षक का 87 रुपये प्रति माह के हिसाब से साल भर में 1,044 रुपये होते हैं। आठ साल में यह राशि 8,352 रुपये होती है। इस तरह कुल 2.50 लाख शिक्षकों की अब तक की जमा राशि ही 208.80 करोड़ रुपये बनती है। आठ साल का ब्याज जोड़ें तो यह रकम और ज्यादा हो जाएगी।


न तो अफसर कुछ बता रहे, न ही कटौती रुक रही: असोसिएशन

प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह कहते हैं कि हमने संगठन की ओर से कई बार इस बारे में पूछा। अफसर न तो कुछ बता रहे हैं. और न कटौती बंद की जा रही। महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वित्त नियंत्रक ही इस बारे में कुछ बता पाएंगे। वहीं वित्त नियंत्रक रवींद्र कुमार ने फोन तो उठाया, लेकिन सामूहिक बीमा की बात कहने पर बोले कि वह अभी अस्पताल में हैं। कुछ दिन बाद इस बारे में बता पाएंगे।
बीमा पॉलिसी बंद, फिर भी शिक्षकों के वेतन से हो रही प्रीमियम की कटौती, हर महीने लगभग दो लाख शिक्षकों के वेतन से कट रहे 87-87 रुपये Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2 on 7:11 PM Rating: 5

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