स्कूल प्रबंध समितियों में नहीं होंगे अंतिम वर्ष के छात्रों के अभिभावक
लखनऊ । परिषदीय स्कूलों में चुनी जाने वाली स्कूल प्रबंध समितियों
(एसएमसी) के लिए अब अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों के अभिभावकों को जगह नहीं
मिल पाएगी। इसके साथ ही दो वर्ष के लिए बनायी जाने वाली एसएमसी के सदस्यों
के नाम विद्यार्थियों के विद्यालयों में लिखाना होगा। एक और खास बात है कि
एक ही परिसर में विद्यालय स्थापित होने के बाद भी प्रबंध समितियां अलग-अलग
होंगी। एसएमसी के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष में एक पद महिला के लिए जरूरी होगा।
एसएमसी के लिए जारी नये निर्देशों में एक बार चौंकाने वाली है कि आम सहमति
न बनने पर चयन हाथ उठाकर कराया जाए, लेकिन कम से कम 50 फीसद बच्चों के
अभिभावकों की मौजूदगी को जरूरी माना गया है और कोरम पूरा कराने की
जिम्मेदारी कालेज के हेड मास्टर पर होगी। स्कूल प्रबंध समितियों का गठन 16
अगस्त से पांच सितम्बर के बीच होना है। इसके लिए तय की गयी गाइडलाइन में
व्यवस्था दी गयी है कि समिति के सदस्यों और विशेष तौर पर अध्यक्ष के लिए
प्राइमरी स्कूल में कक्षा एक से तीन व उच्च प्राइमरी स्कूल में कक्षा छह या
सात में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक ही होंगे। कक्षा चार या पांच तथा
कक्षा आठ के बच्चों के अभिभावकों को एसएमसी में स्थान नहीं मिल पाएगा।
एसएमसी का कार्यकाल दो वर्ष का है और इसी वजह से प्रबंधन में लगातार दो
वर्ष तक विद्यालय में पढ़ाई करने वाले बच्चों के अभिभावक को ही शामिल किया
जा सकेगा। चुनाव में पर्यवेक्षक के तौर पर ब्लाक से कर्मचारी भेजे जाएंगे
और प्रबंध समिति में सहायक अध्यापक, शिक्षामित्र, रसोइया या फिर शिक्षा
विभाग में काम करने वाले किसी भी स्टाफ को समिति का सदस्य नहीं बनाया
जाएगा। सिर्फ एक हेड मास्टर ही एसएमसी में सदस्य सचिव के तौर पर रहेगा।
समिति में 50 फीसद स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित होगा और अध्यक्ष या
उपाध्यक्ष में एक पद महिला के पास जरूर होगा। समिति में 50 फीसद स्थान
महिलाओं के लिए आरक्षित होगा (साभार-:-राष्ट्रीय सहारा)
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स्कूल प्रबंध समितियों में नहीं होंगे अंतिम वर्ष के छात्रों के अभिभावक
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
5:05 PM
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dond renew only SMS
just complete the sufficient Teachers also in the school
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