लेखा शाखा अधिनियम : 6. चिकित्सा परिचर्या-व्यय प्रतिपूर्ति
8 चिकित्सा
परिचर्या-व्यय प्रतिपूर्ति
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चिकित्सा परिचर्या के परिप्रेक्ष्य में सन् 1946 में
उ0प्र0 सरकारी सेवकों की चिकित्सा परिचर्या नियमावली सृजित की गयी। सरकार द्वारा इस
संबंध में समय-समय पर अनेक शासनादेश जारी किये
जाते रहे हैं, जिसमें सरकारी सेवकों को
चिकित्सा परिचर्या के संबंध में परिवर्तित परिस्थितियों, रोगों एवं मूल्य-मानकों के
अनुरूप व्यवस्था का प्राविधान किया गया है। इसी क्रम में उ0प्र0 सरकारी सेवकों
की चिकित्सा परिचर्या नियमावली में पुनरीक्षण करके अद्यतन स्वरूप दिया गया है।
उ0प्र0 के सेवारत एवं सेवानिवृत केवल वही कर्मचारी/अधिकारी चाहे वह स्थायी हो अथवा
अस्थायी, चिकित्सा परिचर्या के पात्र हैं जो उ0प्र0 सरकार के नियंत्रण में है तथा
उ0प्र0 सरकार द्वारा निर्मित नियमावली के अधीन राज्यपाल द्वारा नियुक्त किये गये
हैं।
सेवारत एवं सेवानिवृत सरकारी सेवक के परिवार के वे सदस्य भी चिकित्सा परिचर्या
सुविधा के पात्र हैं जो सरकारी सेवक पर पूर्णतया आश्रित हैं। चिकित्सा परिचर्या
के प्रयोजन हेतु
'परिवार' का तात्पर्य सरकारी सेवक का निजी परिवार है अर्थात सरकारी
सेवक की पत्नी/पति, धर्मज पुत्र तथा पुत्री, सौतेले पुत्र तथा पुत्री और माता-पिता।
चिकित्सा उपचार का तात्पर्य
1- उन सभी चिकित्सकीय एवं शल्य चिकित्सकीय
(Surgical) सुविधाओं का प्रयोग, जो उस अस्पताल में उपलब्ध हो, जहां सरकारी सेवक की
चिकित्सा की जा रही है।
2- ऐसी दवाओं, शीरा (Syrup), टीका (Vaccine)
और अन्य उपचारार्थ (Theraputic) द्रव्यों का प्रयोग जो उस अस्पताल में उपलब्ध हो
या जिन्हें सरकार द्वारा प्राधिकृत चिकित्सक लिखित रूप में रोगी के आरोग्य लाभ के
लिए आवश्यक समझे, इसके अन्तर्गत टानिक्स नहीं आते।
3- ऐसा आवास जैसा कि सामान्यत: अस्पताल में
उपलब्ध है और सेवक की स्थिति के अनुरूप हैं।
विभिन्न श्रेणी के अधिकारियों एवं कर्मचारियों आदि के अधिकृत चिकित्सकों का निर्धारण -शासनादेश संख्या-761/5-7-1149/86, दिनांक 22, अप्रैल 1987, चिकित्सा अनुभाग-7 द्वारा प्रदेश के समस्त जनपदों में अधिकृत चिकित्सकों का निर्धारण निम्नवत् है:
विभिन्न श्रेणी के अधिकारियों एवं कर्मचारियों आदि के अधिकृत चिकित्सकों का निर्धारण -शासनादेश संख्या-761/5-7-1149/86, दिनांक 22, अप्रैल 1987, चिकित्सा अनुभाग-7 द्वारा प्रदेश के समस्त जनपदों में अधिकृत चिकित्सकों का निर्धारण निम्नवत् है:
अधिकारी/कर्मचारी | प्राधिकृत चिकित्सक |
1- समूह क के अधिकारी | 1- मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य अथवा रोग से
सम्बन्धित विभाग के प्रोफेसर 2- मुख्य चिकित्साधिकारी 3- राजकीय अस्पतालों के प्रमुख/मुख्य/वरिष्ठ अधीक्षक |
2- समूह ख के अधिकारी | 1- मेडिकल कालेज के रोग से संबंधित विभाग में
प्रोफेसर 2- राजकीय अस्पताल के मुख्य/वरिष्ठ सलाहकार |
3- समूह ग तथा घ के अधिकारी | 1- मेडिकल कालेज के संबंधित रोग के रीडर/लेक्चरर 2- राजकीय अस्पताल के अधीक्षक/वरिष्ठ फिजिशियन 3- राजकीय चिकित्सालयों/औषधालयों, सा0स्वा0 केन्द्रों/प्रा0स्वा0 केन्द्रों में कार्यरत समस्त श्रेणी के चिकित्साधिकारी |
शासनादेश संख्या- 5451/5-7-1334/73 दिनांक 12 जनवरी, 1990 (चिकित्सा
अनुभाग-7) द्वारा राजकीय अस्पतालों में सरकारी सेवक के वेतनमान की प्रास्थिति के
अनुरूप निम्न प्रकार से वार्डों में चिकित्सा सुविधा देय है :
कर्मचारी का मूल वेतन | अधिकृत वार्ड | |
रू0 8000/- से अधिक | प्राइवेट वार्ड | |
रू0 6000/- से रू0 7999 | पेइंग वार्ड | |
3- रू0 6000/- से कम मूल वेतन | जनरल वार्ड |
जो राजकीय कर्मी काफी समय पूर्व सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उनके सम्बन्ध में पुराने
वेतनमान के सापेक्ष नये वेतनमान की गणना की जायेगी।
चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति के प्रतिहस्ताक्षरण हेतु सक्षम
प्राधिकारी
शासनादेश संख्या-1942/पाँच-6-2003-294/1996 दिनांक 18 जुलाई, 2003 द्वारा
रू0 2,000 तक तथा रू0 2000 से रू0 10,000 तक के निजी चिकित्सालयों/चिकित्सकों
से कराये गये चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति दावों का तकनीकी परीक्षण/प्रतिहस्ताक्षरित
करने हेतु प्रदेश के प्रमुख महानगरों के निम्न अस्पतालों के मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों
को अधिकृत किया गया है :
1- लखनऊ |
-
|
डा0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल, लखनऊ |
2- कानपुर | - | यू0एच0एम0 चिकित्सालय, कानपुर |
3- आगरा | - | जिला चिकित्सालय, आगरा |
4- वाराणसी | - | पं0 दीनदयाल उपाध्याय, जिला चिकित्सालय, वाराणसी |
5- इलाहाबाद | - | मोती लाल नेहरू जिला चिकित्सालय, इलाहाबाद |
चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति को सरलीकृत किये जाने को दृष्टिगत रखते हुए मेडिकल
अटेन्डेन्टस रूल्स के प्रस्तर-4 (1) (2) के अन्तर्गत निजी चिकित्सकों/चिकित्सालयों
में चिकित्सा की अनुमति/कार्येत्तर अनुमति दिये जाने हेतु प्रस्तर-1 में उल्लिखित
महानगरों के अस्पतालों के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के साथ उक्त महानगरों के मुख्य
चिकित्सा अधिकारी भी अधीकृत होंगे। उक्त अधिकारियों के कार्यालय में प्रशासकीय
विभाग द्वारा चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति के चिकित्सा दावा तकनीकी परीक्षण हेतु भेजे
जायें तो उन्हें किसी भी दशा में बिना परीक्षण के वापस नहीं किया जाना चाहिए।
शासनादेश संख्या- 3824/5-6-2003-409/2002 दिनांक 6 फरवरी, 2004 द्वारा यह भी
स्पष्ट कर दिया गया है कि सरकारी सेवकों द्वारा लखनऊ महानगर में निजी चिकित्सालयों
में रू0 10,000 तक की धनराशि के कराये गये उपचार के चिकित्सा
प्रतिपूर्ति दावों का तकनीकी परीक्षण/प्रतिहस्ताक्षरण तथा रोगी के इलाज की
कार्येत्तर स्वीकृति अपने स्तर से निर्गत कराने का कष्ट करें।
राज्य सरकार के अधीन सेवा करते हुए सेवानिवृत्त अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों/सेवानिवृत्त
सरकारी सेवकों एवं उनके परिवार के आश्रित सदस्यों को चिकित्सा सुविधाएँ -
शासनादेश संख्या 3687/पाँच-7-35/3579/71 (चिकित्सा अनुभाग-7) दिनांक 30 नवम्बर,
1977 द्वारा समस्त सेवानिवृत्त राजकीय कर्मचारियों तथा उनके परिवार के आश्रित
सदस्यों को प्रदेश में राजकीय अस्पतालों/डिस्पेन्सरियों में उसी स्तर और सीमा पर
चिकित्सा सुविधाएँ नि:शुल्क प्राप्त होगी जो उन्हें सेवानिवृत्त के ठीक पूर्व
प्राप्त थी। यदि विशेष उपचार की आवश्यकता है जो स्थानीय रूप से उपलब्ध नहीं है तो
शासनादेश संख्या-2854/पांच-7-1004/80 (चिकित्सा अनुभाग-7) दिनांक 3 जून, 1980
के द्वारा उन्हें प्रदेश के भीतर किसी सरकारी अथवा गैर सरकारी संस्था में
उपचारार्थ सन्दर्भित किया जा सकता है। प्रदेश की सरकारी संस्थाओं में सन्दर्भित किये
जाने पर उन्हें वे सब सुविधाएँ नि:शुल्क प्राप्त होंगी जो शासकीय सेवकों
को मिलती
है। गैर सरकारी संस्थाओं में सन्दर्भित किये जाने पर शासन द्वारा उनके रोग के उपचार
के लिए निर्धारित दवाओं (जिनमें टानिक्स) जैसी दवायें सम्मिलित नहीं है, निर्धारित
फीस, कृत्रिम अंग एवं अपरिहार्य ऐसे उपकरण जो शरीर में लगाये जाते हों, पर व्यय,
आपरेशन आदि पर व्यय, रोग के निदान हेतु विविध जांचों पर व्यय, इलाज के दौरान
संस्थान के किराये के व्यय तक सीमित होगा। इसमें भोजन का व्यय शामिल नहीं होगा। रोगी
तथा अटेन्डेंट को उसके निवास के नगर से उस नगर तक जिसमें इलाज का संस्थान है, एक
बार आने जाने का मार्ग व्यय उसी दर से किया जायेगा जिसके लिए
सेवानिवृत्ति के ठीक
पूर्व अर्ह था।
यदि ऐसे जटिल असाध्य रोग से पीड़ित है जिसमें विशेषज्ञों द्वारा इलाज की भी आवश्यकता
है जो प्रदेश के अन्दर संस्थान में उपलब्ध नहीं है तो ऐसे रोगियों को प्रदेश के
बाहर किन्तु भारतवर्ष में ही स्थित संस्थानों में इलाज के लिए सन्दर्भित किया जा
सकता है और इस प्रकार सन्दर्भित होने वाले रोगी के इलाज पर होने वाले व्यय को राज्य
सरकार द्वारा वहन किया जायेगा।
उपरोक्त मामलों में इलाज के लिए प्रदेश के भीतर तथा प्रदेश के बाहर स्थित चिकित्सा
संस्थान में संदर्भित करने की निम्न प्रक्रिया अपनाई जायेगी।
क- प्रदेश के भीतर - अथराइज्ड मेडिकल अटेन्डेंट मामले में
पूरे विवरण और कागजात सहित केस को डिवीजनल मेडिकल बोर्ड को भेजेगा। उक्त बोर्ड यदि
आवश्यक समझे तो संबंधित अथराइज्ड मेडिकल अटेन्डेंट को अपनी बैठक के दौरान बुलाकर
केस के बारे में विचार-विमर्श करेगा और यह संस्तुति करेगा कि रोगी को प्रदेश में
स्थित किस संस्थान में भेजा जाये। डिवीजनल मेडिकल बोर्ड की संस्तुति और औपचारिक
संदर्भ बोर्ड के सचिव संबंधित संस्थान को भेजेंगे एवं उसकी सूचना स्वास्थ्य
सेवा निदेशक एवं शासन को भेजेंगे जिसके आधार पर ऊपर पैरा के अनुसार रोगी के इलाज पर
होने वाले व्यय को शासन द्वारा वहन किया जायेगा।
ख- प्रदेश के बाहर- अथराइज्ड मेडिकल अटेन्डेंट मामले
में पूरे विवरण और कागजात स्टेट मेडिकल बोर्ड को अपनी संस्तुति के साथ संदर्भित
करेंगे कि रोगी को प्रदेश के बाहर अमुक संस्थान में विशेषज्ञ उपचार की आवश्यकता है।
स्टेट मेडिकल बोर्ड अपनी बैठक के दौरान अथराइज्ड मेडिकल अटेन्डेंट को बुलाकर
विचार-विमर्श करेगा और आवश्यकता हुई तो विवेकानुसार आवेदक के रोग से संबंधित किसी
स्थानीय विशेषज्ञ की राय प्राप्त करने के उपरान्त यह संस्तुति करेगा कि रोगी को
प्रदेश के बाहर विशेषज्ञ एवं विशिष्ट इलाज की नितान्त आवश्यकता है और इसके लिए उसे
संस्थान में भेजा जाये।
राज्य सरकार के सेवानिवृत्त
कर्मचारियों तथा अधिकारियों तथा राज्य सरकार के अधीन सेवा करते हुए सेवानिवृत्त
अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों और उनके परिवार के आश्रित सदस्यों को श्रवण
यन्त्र (Hearing Aid) तथा कृत्रिम दन्तावली की सुविधा
शासनादेश संख्या-एम0एम0 188/पांच-7-1035-86 दिनांक 24 जून, 1987 के अनुसार
सेवानिवृत्त कर्मचारियों एवं अधिकारियों एवं उनके परिवार के आश्रित सदस्यों को उनकी
स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए उपर्युक्त संवर्ग के व्यक्तियों को श्रवणयन्त्र एवं
कृत्रिम दन्तावली लगवाने की संस्तुति चिकित्सक द्वारा की जाती है तो उन्हें उपरोक्त
यन्त्रों की सुविधाएं निदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवायें, उत्तर प्रदेश की
पूर्वानुमति से नि:शुल्क प्रदान की जायेगी। राजकीय अस्पतालों में इनकी उपलब्धता की
स्थिति में नियमानुसार इन मदों पर व्ययों की प्रतिपूर्ति अनुमन्य की जायेगी।
शासनादेश संख्या-1402/5-7-89-1035/86 (चिकित्सा अनुभाग-7) दिनांक 11 मई, 1989
द्वारा राज्य सरकार के सेवानिवृत्त सरकारी सेवकों व उनके परिवार के आश्रित
सदस्यों को कृत्रिम अंग, पेसमेकर लगवाने की सुविधा प्रदान की गई है। नि:शुल्क
सुविधाओं के अभाव में व्यय की प्रतिपूर्ति शासनादेश दिनांक 3-10-88 में निर्धारित
प्रक्रिया के अनुसार अनुमन्य होगी।
इन्द्राआकुलर लेंस को भी कृत्रिम अंगों की श्रेणी में मानते हुए शासनादेश
संख्या-3355/पांच-7-95-1035/86 (चिकित्सा अनुभाग-7) दिनांक 14-11-95 द्वारा
इन्द्रा आकुलर लेंस लगवाने की सुविधा प्रदान की गयी है।
शासनादेश संख्या-3652/5-7-1035-86 दिनांक 3-10-88 द्वारा इसमें आंशिक संशोधन करते
हुए अनुमन्य यंत्रों की सुविधा पात्र सेवारत और सेवानिवृत्त सेवक तथा आश्रितों को
शीघ्रता से उपलब्ध कराने हेतु प्राधिकृत चिकित्सकों की संस्तुति के उपरान्त संबंधित
चिकित्साधिकारियों के प्रमुख/मुख्य/वरिष्ठ चिकित्सा, अधीक्षक अथवा संबंधित
चिकित्सालय में इन चिकित्साधिकारियों के अभाव में मुख्य चिकित्साधिकारी की
पूर्वानुमति आवश्यक होगी।
प्राधिकृत चिकित्सक द्वारा यदि इन यंत्रों की संस्तुति की गयी हो, द्वारा संबंधित
यंत्र व्यय विषयक बिल/बाउचर्स के सत्यापित किये जाने तथा अनिवार्यता प्रमाण पत्र के
निर्गत किये जाने और संबंधित चिकित्सालय के प्रमुख/मुख्य/वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक
अथवा मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा प्रतिपूर्ति योग्य अनुमन्य धनराशि के अनिवार्यता
प्रमाण-पत्र पर अंकित किये जाने तथा प्रतिहस्ताक्षर किये जाने पर नियमानुसार
प्रतिपूर्ति की जायेगी।
सरकारी सेवकों के इलाज पर व्यय का वर्गीकरण
सरकारी सेवकों के चिकित्सा परिचर्या पर उपगत व्यय का निस्तारण निम्न प्रकार किया
जायेगा
क- जब सरकारी सेवक का इलाज सरकारी
अस्पताल में किया जाता है तो व्यय का वहन सम्बद्ध अस्पताल द्वारा किया जायेगा, जब
सेवा सरकार के वाणिज्यिक विभाग या उपक्रम को प्रदान किया जाता है, तो चिकित्सा
विभाग सम्बद्ध विभाग या उपक्रम से व्यय को वसूल करेगा।
ख- राजपत्रित सरकारी सेवक/अराजपत्रित
सरकारी सेवक को चिकित्सा परिचर्या और इलाज पर उपगत व्यय और प्रतिपूर्ति किया जाने
वाला व्यय उसके द्वारा वेतन बिल में महालेखाकार, उत्तर प्रदेश के पूर्व
अनुमोदन के बिना सम्बद्ध विभाग के बजट में उपशीर्षक
"भत्ता और मानदेय" के अधीन
स्थापन भुगतान बिल में आहरित किया जा सकेगा, यदि दावे के भुगतान की स्वीकृति
सम्बद्ध विभागाध्यक्ष या सरकार के प्रशासकीय विभाग द्वारा दी गयी है। बिल में आहरित
धनराशि का समर्थन नियमावली के अधीन यथा अपेक्षित चिकित्सा प्राधिकारी द्वारा सम्यक
रूप से प्रति हस्ताक्षरित समुचित रसीद एवं वाउचरों द्वारा किया जायेगा।
ग- उक्त प्रक्रिया कम वेतन प्राप्त
करने वाले सरकारी सेवकों के विशेषज्ञ दन्त इलाज और एक्सरे परीक्षण के विषय में भी
लागू होंगे।
घ- उक्त परिच्छेदों में आदेश के मद
पर विभिन्न विभागों के बजट में अपेक्षित धनराशि की मांग की जा सकेगी। विभागाध्यक्ष
इस सम्बन्ध में कार्यवाही करेगा।
विभागाध्यक्ष या सरकार के प्रशासनिक विभाग की
स्वीकृति प्राप्त करने की प्रक्रिया :
-
सरकारी सेवकों द्वारा स्वयं या अपने आश्रित परिवार के सदस्यों के चिकित्सा परिचर्या और इलाज पर उपगत व्यय की वापसी का दावा, जहां सिविल शल्य चिकित्सक प्राधिकृत चिकित्सा परिचारक नहीं है, विभागाध्यक्ष द्वारा प्राधिकृत चिकित्सा परिचारक के प्रमाण-पत्र के आधार पर स्वीकार किया जा सकेगा, जिस पर उस जिले के शल्य चिकित्सक का हस्ताक्षर होगा, जिसमें सरकारी सेवक या उसके परिवार के सदस्यों का इलाज किया जाता है और जहां सिविल शल्य चिकित्सक प्राधिकृत चिकित्सा परिचारक है, वहां निदेशक, चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित प्रमाण-पत्र के आधार पर स्वीकार किया जायेगा।
-
जिला मजिस्ट्रेट/आई0ए0एस0 अधिकारी, डिप्टी कलेक्टर और न्यायिक और विशेष रेलवे मजिस्ट्रेट और अन्य अधीनस्थ या कर्मचारी वर्ग के सरकारी सेवक, जो आयुक्त के अधीन कार्यरत हों, शामिल पदाधिकारियों के चिकित्सा इलाज बिल को स्वीकृत करने के कर्तव्य का निर्वहन उनके द्वारा उपर्युक्त शर्तों के अधीन किया जायेगा।
-
दावा जो चिकित्सा परिचर्या नियमावली के नियम 13 एवं 14 के अधीन आता है, स्वीकृति के लिए सरकार के समक्ष प्रशासनिक विभाग को भेजा जायेगा।
-
जहाँ विभागाध्यक्ष स्वयं दावेदार है, वहाँ दावे की स्वीकृति सरकार के प्रशासनिक विभाग द्वारा की जायेगी।
-
सन्देहास्पद बिन्दु या रियासत को अन्तर्गस्त करने वाले सभी मामले जो नियमावली के अधीन स्वीकार्य नहीं हैं, आदेश के लिए सरकार के प्रशासनिक विभाग को भेजा जायेगा।
राज्य सरकार के अधीन सेवा करते हुए सेवानिवृत्त
अखिल भारतीय सेवाओं के आश्रित अधिकारियों एवं उनके आश्रित सदस्यों, सेवानिवृत्त
सरकारी सेवक व उनके आश्रितों के चिकित्सा परिचर्या व्यय प्रतिपूर्ति की प्रक्रिया -
-
चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति के आहरण एवं वितरण के संबंध में वही प्रक्रिया अपनायी जायेगी जो कि उनके पेंशन के आहरण एवं वितरण के संबंध में अपनायी जाती है अर्थात चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति का देयक वह उस कोषागार में जहाँ से नियमित पेंशन आहरित कर रहा है, अपने हस्ताक्षर से प्रस्तुत करेगा।
-
पेंशनर चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति से संबंधित विभाग की स्वीकृति का सन्दर्भ देयक पर देते हुए स्वीकृति आदेश मूल रूप से देयक के साथ संलग्न करेगा जिसके आधार पर कोषाधिकारी द्वारा सीधे भुगतान किया जायेगा।
-
चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति करने वाले सक्षम अधिकारी स्वीकृति आदेश की एक प्रति उस कोषागार को पृष्ठांकित करेंगें जिस कोषागार से पेंशनर पेंशन आहरित कर रहा है।
-
चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति उसी लेखाशीर्षक से वहन की जायेगी जिस लेखाशीर्षक से संबंधित कर्मचारी की पेंशन आहरित की जाती है। पेंशनर द्वारा पेंशन प्रपत्र के शीर्ष पर चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति शब्द लिखकर पेंशनर द्वारा कोषाधिकारी को प्रस्तुत किया जायेगा।
-
चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति पर हुए व्यय की पोस्टिंग कोषाधिकारियों द्वारा पेंशन बिल पोस्टिंग पर अलग कालम खोलकर की जायेगी।
-
ऐसे पेंशनर जिनकी पेंशन की धनराशि कोषाधिकारी द्वारा नकद भुगतान की जाती है उनके चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति का नकद भुगतान कोषागार द्वारा चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति की स्वीकृति आदेश प्रस्तुत करने पर आवश्यक जांच के बाद पेंशन की भांति नकद किया जायेगा, परन्तु इसके लिए पेंशनर को पेंशन बिल प्रपत्र पर अलग से दावा कोषाधिकारी को प्रस्तुत करना होगा। पेंशनर्स के चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति के आहरण वितरण का अधिकार कोषाधिकारी को होगा।
-
जिन पेंशनरों का भुगतान राष्ट्रीकृत बैंकों के माध्यम से किया जाता है उनमें भी उपरोक्त प्रक्रिया अपनायी जायेगी।
-
सेवानिवृत्त कर्मचारियों से संबंधित चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति लेखाशीर्षक का उल्लेख इस प्रकार किया जायेगा।
अनुदान संख्या | - | 62 |
लेखाशीर्षक | - | 2071 (पेंशन तथा अन्य सेवानिवृत्तिक हितलाभ) आयोजनेत्तर- |
01-सिविल | ||
800- अन्य व्यय | ||
04- राज्य सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारियों एवं
अधिकारियों तथा राज्य सरकार के अधीन सेवानिवृत्त अखिल भारतीय सेवा के
अधिकारियों व उनके परिवार के आश्रित सदस्यों के विशेष चिकित्सा उपचार हेतु
सहायता
|
||
42- अन्य व्यय |
चिकित्सा अग्रिम
शासनादेश संख्या-1209/पांच-6-2004-294/96 टी0सी0 दिनांक 9 अगस्त, 2004 के
अनुसार सरकारी सेवक के उपचार हेतु उसके लिखित आवेदन पर देश के अन्दर चिकित्सा विभाग
द्वारा विशिष्ट उपचार के लिए चिन्हित/सन्दर्भित चिकित्सालय/संस्थान के प्रमुख/मुख्य
चिकित्सा अधीक्षक/प्रभारी प्रशासक द्वारा दिये गये व्यय प्राक्कलन के आधार पर
स्वीकर्ता अधिकारी कार्यालयाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष तथा शासन के प्रशासकीय विभाग जिस
सीमा तक चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति हेतु सक्षम है, उसके 75 प्रतिशत
तक चिकित्सा अग्रिम स्वीकृत करने के लिए भी अधिकृत होंगे। रू0 2.00 लाख (दो लाख) से
अधिक के चिकित्सा अग्रिम के मामले में प्रशासकीय विभाग द्वारा वित्त विभाग की
स्वीकृति के संबंध में निम्न शर्तों का अनुपालन आवश्यक होगा-
-
अग्रिम स्वीकृत होने की तिथि से 3 माह के अन्दर अथवा निरन्तर उपचार चलते रहने की दशा में उपचार समाप्ति के तीन माह के अन्दर जो भी पहले हो, उसके समायोजन हेतु प्रतिपूर्ति का दावा प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।
-
अग्रिम का समय से समायोजन सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक कार्यालयाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष के कार्यालय में ऐसे अग्रिमों का एक रजिस्टर सेवारत कर्मचारियों/अधिकारियों के लिए रखा जायेगा, जिसकी जांच प्रत्येक माह के प्रथम सप्ताह में आहरण वितरण अधिकारी द्वारा दी जायेगी। निर्धारित समय के अन्दर चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति के दावे के प्रस्तुत न किये जाने पर अग्रिम की वसूली एकमुश्त सम्भव न होने पर उसे मासिक किश्तों पर वसूल किया जायेगा।
-
जब तक अग्रिम का समायोजन नहीं हो जाता है तब तक दूसरा अग्रिम किसी भी दशा में स्वीकृत नहीं किया जायेगा।
-
अग्रिम के बिल पर आहरण वितरण अधिकारी द्वारा यह प्रमाण-पत्र अंकित किया जाना आवश्यक होगा कि स्वीकृत अग्रिम की प्रविष्टि अग्रिम के निर्धारित रजिस्टर में कर ली गयी है।
देश के अन्दर चिकित्सा परिचर्या हेतु
स्वीकृत अग्रिमों का रजिस्टर
कार्यालय का नाम
क्र0 सं0 | अधिकारी का नाम व पद | अग्रिम स्वीकृति आदेश संख्या व तिथि | स्वीकृत धनराशि | अग्रिम आहरण की तिथि एवं वाउचर | प्रतिपूर्ति का दावा प्रस्तुत करने की निर्धारित तिथि | प्रतिपूर्ति का दावा कार्यालया -ध्यक्ष/ विभागा -ध्यक्ष के कार्यालय में प्राप्त होने की तिथि | प्रतिपूर्ति के दावे भुगतान/ अग्रिम की वसूली हेतु कृत कार्यवाही का विवरण | उपचार व्यय की प्रतिपूर्ति की स्वीकृति आदेश सं0 एवं तिथि | प्रतिपूर्ति हेतु स्वीकृत धनराशि | समायोजन हेतु अग्रिम की अवशेष धनराशि यदि कोई हो | अग्रिम की अवशेष धनराशि यदि कोई हो जमा करने संबंधी ट्रेजरी चालान की संख्या एवं तिथि तथा जमा की गयी धनराशि | समा योजन बिल की संख्या व तिथि | आहरण वितरण अधिकारी द्वारा जांच के ह0 | अभ्युक्ति |
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 |
चिकित्सा प्रतिपूर्ति दावा स्वीकृत किये जाने से
पूर्व निम्नलिखित चेकलिस्ट के अनुसार औपचारिकताएं पूर्ण होना अनिवार्य होगा
-
अनिवार्यता प्रमाण-पत्र ए आउटडोर से उपचार कराने पर तथा प्रपत्र बी भरती रहकर उपचार कराने पर अलग-अलग संलग्न करें तथा चिकित्सक से सत्यापित कराकर तथा संबंधित संस्थान के प्रभारी से भी प्रतिहस्ताक्षरित कराकर प्रस्तुत करें।
-
समस्त बिल/बाउचर्स की मूल प्रतिलिपि चिकित्सक द्वारा सत्यापित कराकर संलग्न करें।
-
अनिवार्यता प्रमाण-पत्र में रोग का नाम, उपचार की अवधि, व्यय की गई धनराशि अंकित करें तथा संबंधित धनराशि के व्यय विवरण सूची संलग्न करें जो संबंधित चिकित्सक से सत्यापित हो।
-
अनिवार्यता प्रमाण-पत्र में उल्लिखित उपचार अवधि के भीतर के तिथियों के ही बिल/बाउचर्स का भुगतान किया जाये।
-
अनिवार्यता प्रमाण-पत्र उपचार करने वाले चिकित्सक द्वारा हस्ताक्षरित तथा चिकित्सालय के प्रभारी चिकित्सक द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित होना चाहिए।
-
प्रदेश के भीतर विशिष्ट चिकित्सा संस्थान तथा संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान तथा प्रदेश सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान में उपचार कराने हेतु सेवारत कर्मचारियों/अधिकारियों के प्रकरण में मण्डलीय चिकित्सा परिषद/राज्य चिकित्सा परिषद का सन्दर्भ/कार्येत्तर स्वीकृति संलग्न किया जाये।
-
प्रदेश के बाहर अन्य राज्य के चिकित्सा संस्थान में उपचार कराने पर शासकीय अनुमति/कार्येत्तर अनुमति संलग्न करें। राजकीय चिकित्सक का सन्दर्भ (रिफर लेटर) भी संलग्न करें।
-
संबंधित चिकित्सा व्यय शासकीय नियमों के विपरीत प्राइवेट संस्था में चिकित्सा उपचार कराने पर किया गया है। अत: उक्त चिकित्सा व्यय को संबंधित जिले के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक राजकीय जिला अस्पताल के सरकारी दरों के अनुसार सत्यापित करा कर प्रतिहस्ताक्षर हेतु प्रस्तुत करें। दोनों में से जो कम होगा वही प्रतिहस्ताक्षर किया जायेगा।
-
राजकीय जिला चिकित्सालय/मेडिकल कालेज जो भी सम्बन्धित हो, से (यह मुख्य चिकित्सा अधीक्षक) प्रमाण-पत्र प्राप्त कर संलग्न करें कि उक्त उपचार सुविधा राजकीय स्तर पर उपलब्ध नही थी।
-
ओ0पी0डी0 भर्ती रहने एवं डिस्चार्ज दोनो पर्चे तथा डिस्चार्ज स्लिप संलग्न करें।
चिकित्सा प्रतिपूर्ति के दावों की स्वीकृति उसी दशा में प्रदान की जाये जब इस हेतु
समस्त शर्त/औपचारिकताओं की पूर्ति हो चुकी हो, यदि किन्ही मामलों में अपवाद अथवा
कार्येत्तर स्वीकृति प्राप्त की जानी हो तो उन्हें पूर्व व्यवस्था के अनुसार शासन
को सन्दर्भित कर दिया जाना चाहिए।
क्र0 सं0 | प्रतिपूर्ति दावे की अधिकतम धनराशि | प्रतिहस्ताक्षरकर्ता अधिकारी | स्वीकर्ता अधिकारी |
क
|
प्रदेश के अन्दर एवं बाहर
|
||
1
|
रू0 40,000 तक
|
राजकीय चिकित्सालय का प्रभारी चिकित्साधिकारी/अधीक्षक जहां
उपचार किया गया हो अथवा जहां से सन्दर्भित किया गया हो।
|
कार्यालयध्यक्ष
|
2
|
रू0 40,000 से अधिक किन्तु रू0 1,00,000 तक
|
उपचार करने वाले अथवा सन्दर्भित करने वाले राजकीय
चिकित्सालय के प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक
|
विभागाध्यक्ष
|
3
|
रू0 1,00,000 से अधिक किन्तु रू0 2,00,000 तक
|
मण्डलीय अपर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
विभाग (जिन मण्डलों में अपर निदेशक
नहीं है वहां संयुक्त निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण)
|
शासन के प्रशासकीय विभाग
|
ख
|
प्रदेश के अन्दर एवं बाहर
|
||
रू0 2,00,000 से अधिक
|
मण्डलीय अपर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
विभाग (जिन मण्डलों में अपर निदेशक नहीं है, वहां संयुक्त निदेशक, चिकित्सा
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण)
|
शासन के प्रशासकीय विभाग द्वारा चिकित्सा विभाग के परामर्श
एवं वित्त विभाग की सहमति से
|
शासनादेश संख्या- 2865/5-7-2002-सात-51/102 दिनांक 23 जुलाई,
2002 द्वारा चिकित्सा प्रतिपूर्ति
के प्रस्ताव शासन को प्रेषित करने से पूर्व
निम्नलिखित सूचनाओं का संकलित रूप से प्रस्ताव के साथ शासन को उपलब्ध कराया जाना
आवश्यक है :
-
संबंधित कर्मचारी/अधिकारी को उसके द्वारा कराये गये उपचार हेतु कोई अग्रिम स्वीकृत किया गया है अथवा नहीं।
-
संबंधित कर्मचारी/अधिकारी को प्रस्तावित संबंधित बिलों का भुगतान पूर्व में किया गया है अथवा नहीं।
-
संबंधित कर्मचारी/अधिकारी जिसे प्रस्तावित चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति की जानी है, का वेतन वर्तमान में किस लेखाशीर्षक के अन्तर्गत आहरित किया जा रहा है। (पूर्ण विवरण सहित)
-
यदि प्रकरण सम्बन्धित कर्मचारी/अधिकारी के ऊपर आश्रित पारिवारिक सदस्य का है तो सम्बन्धित कर्मचारी/अधिकारी द्वारा इस आशय से स्वयं के द्वारा प्रतिशपथ पत्र उपलब्ध कराया जाना अपेक्षित है कि संबंधित सदस्य आर्थिक रूप से पूर्णतया उसी के ऊपर आश्रित हैं। इस संबंध में गलत सूचना देने या तथ्य छिपाये जाने पर संबंधित कर्मचारी/अधिकारी स्वयं उत्तरदायी होगा।
-
चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति किये जाने के संबंध में संबंधित कर्मचारी/अधिकारी द्वारा दिये गये आवेदन पत्र की एक प्रति भी आवेदन पत्र के साथ उपलब्ध करायी जाये।
-
प्रस्ताव के साथ संलग्न समस्त मूल बिल/वाउचर्स संबंधित चिकित्सक द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित होना चाहिए।
उत्तर प्रदेश के सरकारी सेवकों की चिकित्सा परिचर्या के
सम्बन्ध में दिशा निर्देश :
उत्तर प्रदेश शासन चिकित्सा अनुभाग-6 के शासनादेश संख्या
427/पाँच-6-2005-294/96 टी0सी0 दिनांक 18 फरवरी 2005 के अनुसार निम्नलिखित दिशा
निर्देश जारी किये गये हैं -
-
चिकित्सा अनुभाग-6 के शासनादेश दिनांक 18 जुलाई 2003 एवं 07 दिसम्बर 2004 द्वारा कार्यरत/सेवानिवृत्त ऐसे सरकारी सेवकों एवं उनके परिवार के आश्रित सदस्यों जिनके द्वारा आकस्मिकता को देखते हुए निजी चिकित्सालयों/चिकित्सकों के बिना पूर्व अनुमति प्राप्त किये हुए उपचार कराया गया, उपचार की अनुमति/कार्योत्तर अनुमति दिये जाने हेतु आदेश निर्गत किये गये किन्तु इसके बाद भी चिकित्सा अधीक्षकों/मुख्य चिकित्साधिकारियों द्वारा उनके समक्ष प्रस्तुत दावों को यह कहकर लौटाया जा रहा है कि शासनादेश दिनांक 09 अगस्त 2004 द्वारा ऐसे दावों के परीक्षण/कार्योत्तर अनुमति आदि ऐसे दिये जाने का अधिकार उनके पास शेष नहीं बचा है।
इस
सम्बन्ध में सम्यक् विचारोपरान्त यह निर्णय लिया गया है कि जिन प्रकरणों में निदेशक
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, मण्डलीय अपर निदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य एवं परिवार
कल्याण अथवा उनकी अनुपस्थिति में संयुक्त निदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य एवं
परिवार कल्याण दावों के तकनीकी परीक्षण/प्रतिहस्ताक्षर हेतु अधिकृत होंगे तथा जिन
प्रकरणों में प्रदेश के भीतर के उपचार के दावों का तकनीकी परीक्षण/प्रतिहस्ताक्षर
करने/कार्योत्तर अनुमति दिये जाने/सन्दर्भ प्रदान करने/मण्डलीय चिकित्सा परिषद/राज्य
चिकित्सा परिषद के सन्दर्भों से छूट प्रदान करने हेतु निम्न शर्तों/प्रतिबन्धों के
अधीन प्रदेश के समस्त मुख्य चिकित्साधिकारियों, डॉ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल)
अस्पताल, लखनऊ, बलरामपुर चिकित्सालय, लखनऊ, यू0एच0एम0 चिकित्सालय, कानपुर, जिला
चिकित्सालय, आगरा, पं0 दीनदयाल उपाध्याय जिला चिकित्सालय, वाराणसी, मोती लाल नेहरू,
जिला चिकित्सालय इलाहाबाद के मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों को अधिकार प्रदान किये जाते
हैं :-
-
दावों के साथ अति गम्भीर रोग से पीड़ित होने तथा अपरिहार्य परिस्थितियों का प्रमाण-पत्र जो उपचार करने वाले चिकित्सक द्वारा निर्गत हो संज्ञान में लिया जाये।
-
निजी चिकित्सालयों में उपचार की तत्काल सूचना निजी चिकित्सक द्वारा जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को सूचित करने का प्रमाण-पत्र।
-
कार्योत्तर अनुमति/मण्डलीय चिकित्सा परिषद/राज्य चिकित्सा परिषद के सन्दर्भ से छूट प्रदान करने विषयक प्रकरणों में तकनीकी परीक्षणकर्ता के समक्ष छूटयुक्त कारण दर्शाते हुए प्रार्थना पत्र।
इस आदेश के निर्गत होने के पहले के प्रकरणों में उक्त शर्त
संख्या-2 में छूट प्रदान करते हुए उक्त सन्दर्भित
समस्त परीक्षण, प्रति हस्ताक्षरित करने
वाले मुख्य चिकित्साधिकारियों/मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों से अनुरोध है कि उनके
यहाँ प्राप्त होने वाले/लम्बित दावों का निस्तारण नियमानुसार शीघ्रता से करें।
फार्म
कार्यालय का नाम ...................................................... | |
रोगी का नाम ............................................................ | पिता/पति का नाम ..................................................... |
उपचार संस्थान ........................................................... | दिनांक ........................................................................ |
उपचार अवधि ............................................................. | से ........................................................................ तक |
क्र0सं0 | बिल/बाउचर दिनांक | संस्थान/केमिस्ट का नाम | धनराशि | देय धनराशि | अदेश धनराशि | विवरण |
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 |
नोट- (कृपया कालम संख्या 5, 6 एवं 7 स्वीकृत करने वाला
विभाग भरेगा। सूचनार्थ)
स्वीकृत अधिकारी के पद नाम की सील
उक्त के साथ ही अस्पताल में भर्ती किये गये मरीजों के लिए प्रमाण-पत्र ए पर इलाज कराये गये चिकित्साधिकारी के हस्ताक्षर के साथ संबंधित चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित कराना होता है। भर्ती न कराने की स्थिति में प्रमाण-पत्र बी का प्रयोग किया जाता है, जिसका प्रारूप निम्नवत् है:
स्वीकृत अधिकारी के पद नाम की सील
उक्त के साथ ही अस्पताल में भर्ती किये गये मरीजों के लिए प्रमाण-पत्र ए पर इलाज कराये गये चिकित्साधिकारी के हस्ताक्षर के साथ संबंधित चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित कराना होता है। भर्ती न कराने की स्थिति में प्रमाण-पत्र बी का प्रयोग किया जाता है, जिसका प्रारूप निम्नवत् है:
CERTIFICATE-A
(To be completed in the case of patients who are not
admitted to hospital for treatment)
I Dr.
.................................................................. hereby
certify -
(A) that I charged and received Rs
................... for consultations on ....................................
(date to be given) ....................................... at the residence of
the patient.
(B) that I charged and received Rs
......................... for administering
......................................... intra-muscular/subcutaneous
....................... on ............................... at my consulting room
(date to be given) at the residence of the patient.
(C) that the injections were for/were not
immunizing or prophylactic purposes.
(D) that the patient has been under
treatment at ................................... hospital/my consulting room and
that the under mentioned medicines prescribed by me in this connection were
essential for the recovery/prevention of serious deterioration in the condition
of the patient. The medicines are not stocked in the ...........................
(name of the hospital) for supply to private patients and do not include
proprietary preparations for which cheaper substances of equal therapeutic value
are available for preparations which are primarily foods, toilets or
disinfections.
Name of Medicine | Prices | ||
1. | |||
2. | |||
3. | |||
4. |
(E) that the patient is/was suffering from
........................................ and is /was under my treatment from
....................... to .......................
(F) that the patient is/was not given
prenatal or postnatal treatment.
(G) that the X-ray, laboratory test etc.
for which an expenditure of Rs. .............................. was incurred were
necessary and were undertaken on my advice at ...............................
(Name of hospital or laboratory)
(H) that I referred the patient to Dr.
............................... for specialist consultation and that the
necessary approval o the ....................... (Name of the Chief
Administrative Medical Officer of the State) as required under the rules was
obtained.
(I) that the patient did not
require/required hospitalization.
Dated | Signature & Designation of the | |
Medical Officer and the | ||
Hospital | Dispensary to which attached |
CERTIFICATE-B
(To be completed in the case of patients who are admitted
to hospital for treatment)
PART-A
I Dr. .......................................................
hereby certify -
(a) that the patient was admitted to
hospital on my advice/the advice of
.............................................. (Name of the medical officer)
(b) that the patient has been under
treatment .......................................... and that the under mentioned
medicines prescribed by me in this connection were essential for the
recovery/prevention of serious deterioration in the condition of the patient.
The medicines are not stocked in the ...................................
(name of hospital) for supply to private patients and do not include proprietary
preparations for which cheaper substances of equal therapeutic value are
available nor preparation which are primarily foods, toils or disinfectants.
Name of Medicine | Prices | ||
1. | |||
2. | |||
3. | |||
4. |
(c) that the injections administered were
not for immunizing on ..................................
prophylactic purposes.
(d) that the patient is/was suffering from
............... and is/was under my treatment from ............... to
.................
(e) that the X-ray, laboratory test,
etc, for which an expenditures Rs. ..................... was incurred were
necessary and were undertaken on my advice at ...................... (name of
hospital or laboratory)
(f) that I called in Dr.
............................ for specialist consultation and that the necessary
approval of the ............... (Name of the Chief Administrative Medical
Officer of the State) as required under the rules was obtained.
Signature & Designation of the | |
Medical Officer Incharge of the | |
case at the hospital |
COUNTERSIGNED
Medical Superintendent | |
...................... Hospital |
I certify that the patient has been under treatment at the
..................................... hospital and that the facilities provided
were the minimum which were essential for the patients treatment.
Medical Superintendent
Place .....................Date ......................
उपर्युक्त प्रपत्र पर निजी चिकित्सालय से इलाज कराने की स्थिति में उस चिकित्सालय
के चिकित्सा अधीक्षक द्वारा प्रतिहस्ताक्षर करने के उपरान्त उसे संबंधित विभाग
द्वारा परीक्षण करने हेतु मुख्य चिकित्साधिकारी को भेजा जाता है। परीक्षणोपरान्त
मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा निम्न प्रारूप पर परीक्षण करने के उपरान्त संबंधित
विभाग को वापस किया जाता है :
प्रेषक,
मुख्य
चिकित्साधिकारी
जनपद------------------
सेवा में,
पत्रांक --------------
दिनांक ------------------
विषय : श्री/श्रीमती/कु0 ------------------------- की चिकित्सा
व्यय के संबंध में।
महोदय,
उपर्युक्त विषयक आपके पत्र संख्या ------------------------- दिनांक ------------------ के सन्दर्भ में अवगत कराना है कि श्री/श्रीमती/कु0 --------------------- द्वारा प्रदेश के अन्दर/बाहर के संस्थान से ------------ में दिनांक ------------------ से दिनांक ------------------ तक रोग --------------- का उपचार कराया गया है जिस पर हुए व्यय रूपया ----------------------------- की प्रतिपूर्ति का दावा चिकित्सा अनुमति, एवं बिल प्रतिहस्ताक्षर हेतु प्रस्तुत किया गया है।
उपर्युक्त विषयक आपके पत्र संख्या ------------------------- दिनांक ------------------ के सन्दर्भ में अवगत कराना है कि श्री/श्रीमती/कु0 --------------------- द्वारा प्रदेश के अन्दर/बाहर के संस्थान से ------------ में दिनांक ------------------ से दिनांक ------------------ तक रोग --------------- का उपचार कराया गया है जिस पर हुए व्यय रूपया ----------------------------- की प्रतिपूर्ति का दावा चिकित्सा अनुमति, एवं बिल प्रतिहस्ताक्षर हेतु प्रस्तुत किया गया है।
चिकित्सा अनुभाग-6 के शासनादेश संख्या-1942(1)/पांच-6-2003, दिनांक 18 जुलाई,
2003 एवं शासनादेश संख्या- 1209/पांच-6-2004-294/96 टी0सी0 दिनांक 9-8--2004
में निहित प्राविधानों के अन्तर्गत परीक्षणोपरान्त कुल रू0
------------------------- मात्र की देय धनराशि प्रतिपूर्ति हेतु संस्तुति की जाती
है। अनिवार्यता प्रमाण पत्र तद्नुसार प्रतिहस्ताक्षरित है।
समस्त अभिलेख मूल रूप में संलग्न कर इस पत्र के साथ प्रेषित कि आप अपने स्तर से
नियमानुसार कार्यवाही करें।
संलग्नक: उपरोक्तानुसार (मूल रूप में)
भवदीय, | |
मुख्य चिकित्साधिकारी |
पत्रांक -----------------------
तद्दिनांक
प्रतिलिपि : निम्नलिखित को सूचनार्थ प्रेषित : | |
1- | |
2- | |
3- |
मुख्य चिकित्साधिकारी
TTTTTTTTTTTTTTTTTTT
लेखा शाखा अधिनियम : 6. चिकित्सा परिचर्या-व्यय प्रतिपूर्ति
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
12:00 PM
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