लेखा शाखा अधिनियम : 3. शासकीय ऋण तथा अग्रिम
3. शासकीय ऋण तथा अग्रिम
सरकारी सेवकों को उनकी सामाजिक, आर्थिक एवं अन्य आवश्यकताओं हेतु उनके सेवाकाल में
ऋण एवं अग्रिम की सुविधा का प्राविधान वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड-पाँच भाग-1 के
अध्याय 11 में सन्निहित है। इसके अतिरिक्त समय-समय पर निर्गत शासनादेशों द्वारा भी
विविध अग्रिमों से सम्बन्धित नियमों एवं प्रक्रियाओं का निर्धारण किया गया है।
1. विविध अग्रिम एवं
उनके स्वीकर्ता प्राधिकारी
ऋण तथा अग्रिम का प्रकार
स्वीकर्ता प्राधिकारी
क- भवन निर्माण/क्रय
अग्रिम सचिव, विभागाध्यक्ष, मण्डलायुक्त, जिलाधिकारी, जनपद न्यायधीश
ख- भवन मरम्मत/विस्तार
अग्रिम तदैव
ग- मोटर कार अग्रिम
तदैव
घ- मोटर साइकिल/स्कूटर/मोपेड
अग्रिम तदैव
ड. व्यक्तिगत
कम्प्यूटर अग्रिम तदैव
च- साइकिल अग्रिम कार्यालयाध्यक्ष
छ- यात्रा भत्ता
अग्रिम
कार्यालयाध्यक्ष
ज- स्थानान्तरण यात्रा
भत्ता अग्रिम कार्यालयाध्यक्ष
झ- वेतन अग्रिम
कार्यालयाध्यक्ष
¥-
चिकित्सा अग्रिम कार्यालयाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शासन
सामान्यत: राजपत्रित अधिकारियों हेतु क्रम संख्या 1(क) से लेकर क्रम संख्या 1(ड.)
तक के अग्रिमों के लिए स्वीकर्ता प्राधिकारी विभागीय सचिव है लेकिन कतिपय विभागों
में इन अधिकारों का प्रतिनिधायन विभागाध्यक्ष को किया गया है। राजस्व, न्याय तथा
आयुक्त कार्यालय के कर्मचारियों को छोड़कर शेष विभागों के कर्मचारियों के स्वीकर्ता
प्राधिकारी सामान्यत: विभागाध्यक्ष ही हैं। क्रम संख्या 1(च) से लेकर 1(¥)
तक के अग्रिमों के लिए सभी श्रेणी के सरकारी सेवकों (राजपत्रित एवं अराजपत्रित) हेतु
स्वीकर्ता प्राधिकारी कार्यालयाध्यक्ष ही हैं। चिकित्सा अग्रिम के लिए निर्धारित
धनराशि की सीमा तक क्रमश: कार्यालयाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष अथवा शासन सक्षम स्वीकर्ता
प्राधिकारी हैं।
2.
महत्वपूर्ण बिन्दु
2.1 |
उपरोक्त सभी प्रकार के अग्रिम स्थाई कर्मचारियों के साथ ही साथ ऐसे अस्थाई
कर्मचारियों को भी अनुमन्य हैं जो तीन वर्षों या उससे अधिक अवधि से अस्थाई चले आ रहे
हैं व तैनाती की तिथि से निरन्तर कार्य कर रहे हैं, अर्थात् सेवा में व्यवधान नहीं
है तथा कार्य एवं आचरण संतोषजनक है। तदर्थ तथा संविदा के आधार पर नियुक्त कर्मचारियों
एवं अधिकारियों को अग्रिम अनुमन्य नहीं हैं।
|
2.2 |
अस्थाई
सरकारी सेवको को भवन निर्माण/मरम्मत/क्रय हेतु अग्रिम स्वीकृत किये जाने की दशा में
दो स्थायी राज्य सेवकों, जो अग्रिम तथा उस पर देय ब्याज की सम्पूर्ण अदायगी होने तक
की अवधि से पूर्व सेवानिवृत्ति न होने वाले हों, की ओर से फार्म 25 डी में बाण्ड
प्रस्तुत करके स्योरिटी देनी होगी। सम्बन्धित राजसेवक के स्थाईकरण के बाद स्थायी
सेवकों द्वारा दी गयी स्योरिटी स्वत: समाप्त हो जायेगी। अस्थाई सरकारी सेवक को यदि
वाहन अग्रिम स्वीकृत किया जाता तो फार्म नं0 25 सी में दो स्थाई सरकारी सेवकों की
स्यारिटी ली जायेगी।
|
2.3 |
नियमानुसार ऐसे कर्मचारी को ही भवन निर्माण/क्रय और भवन मरम्मत/विस्तार अग्रिम
स्वीकृत किया जा सकता है जिनकी सेवाकाल 10 वर्ष/5 वर्ष से
अधिक अवशेरूष हो। 10 वर्ष/5 वर्ष से कम सेवाकाल वाले
कर्मचारियों को अग्रिम स्वीकृत करने के पूर्व शासन के वित्त विभाग की पूर्व सहमति
आवश्यक है।
|
2.4 |
प्रतिनियुक्ति पर तैनात कर्मचारियों को पैतृक विभाग द्वारा ही अग्रिम स्वीकृत किया
जाना चाहिए। यदि किन्हीं अपरिहार्य मामलों में वाह्य सेवक अग्रिम स्वीकृत करना चाहते
हों तो पैतृक विभाग से अनापत्ति प्रमाण प्राप्त करके ही अग्रिम किया जाना चाहिए।
|
2.5 |
राज्य
सेवा के अधिकारियों जैसे पी0सी0एस0, उ0प्र0 वित्त एवं लेखा सेवा आदि को अग्रिम हेतु
आवेदन पत्र अपने पैतृक विभाग को प्रस्तुत करना चाहिए तथापि यदि किसी मामले मे कोई
विभाग राज्य सेवा अधिकारी को विशेष परिस्थिति में अग्रिम देना ही चाहता है तो पैतृक
विभाग की पूर्व सहमति आवश्यक है।
|
2.6 | निलम्बित एवं अनुशासनिक कार्यवाही हेतु विचाराधीन सरकारी सेवकों को अग्रिम नहीं स्वीकृत किया जा सकता है। |
2.7 |
किसी
कर्मचारी को उसके सेवाकाल में भवन निर्माण/क्रय अग्रिम तथा भवन मरम्मत/विस्तार
अग्रिम नियमानुसार एक ही बार अनुमन्य है। अत: एक बार से अधिक उक्त अग्रिम स्वीकृत
नहीं किये जा सकते हैं।
|
2.8 |
भवन निर्माण अग्रिम स्वीकृत करने के पाँच वर्ष के पश्चात ही भवन मरम्मत/विस्तार
अग्रिम स्वीकृत किया जा सकता है। 5 वर्ष की गणना उस तिथि से की जाती है जिस तिथि से
भवन-निर्माण/क्रय हेतु स्वीकृत अग्रिम की संपूर्ण धनराशि में से कम से कम दो तिहाई
धनराशि आहरित कर ली गई है।
|
3. गृह
निर्माण/क्रय अग्रिम
3.1 |
भूखण्ड/भवन
के सम्बन्ध में वित्तीय नियम संग्रह खण्ड-पाँच भाग-1 के नियम 244-आई के
अपेक्षानुसार स्वीकर्ता अधिकारी द्वारा इस आशय की संतुष्टि आवश्यक है कि जिस संपत्ति
के लिए अग्रिम स्वीकृत किया जाना प्रस्तावित है वह निर्विवाद एवं भारमुक्त है।
संपत्ति को अग्रिम की प्रतिभूति में शासन के पक्ष में बन्धक रखने में कोई विधिक
कठिनाई नहीं है और संपत्ति पर कर्मचारी का निर्विवाद अधिकार है या अर्जित करने पर
निर्विवाद अधिकार प्राप्त हो जायेगा। इस प्रकार का प्रमाण पत्र जिलाधिकारी
द्वारा निर्गत किया जाता है।
|
3.2 |
देश के
किसी भी स्थान पर गृह निर्माण/क्रय हेतु अग्रिम अनुमन्य है। वह स्थान कर्मचारी के
कार्य स्थान पर हो सकता है या भारत में किसी अन्य स्थान पर जहाँ वह सेवानिवृत्ति के
बाद स्थायी तौर पर रहना चाहता हो। (प्रस्तर 244(अ)
|
3.3 |
कर्मचारी की पत्नी/पति, पिता, माता, सगे भाई/भाइयों, पुत्र/पुत्रों के साथ संयुक्त
स्वामित्व की संपत्ति पर भी अग्रिम अनुमन्य है।
|
4. गृह
निर्माण/क्रय तथा गृह मरम्मत विस्तार अग्रिम स्वीकृत करने हेतु अनर्हताएँ
4.1 | कर्मचारी के पास पैतृक भवन के अतिरिक्त कोई अन्य भवन भी होना। |
4.2 |
कर्मचारी के विरूद्ध कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही विचाराधीन हो तथा अस्थाई होने की
दशा में नियुक्ति तदर्थ और संविदा के आधार पर हो।
|
4.3 |
पति/पत्नी
दोनों के राज्य कर्मचारी होने की दशा में उस नगर में जहाँ अग्रिम से गृह निर्माण/क्रय
किया जाना प्रस्तावित है, आवेदक कर्मचारी की पत्नी/पति (यथा स्थिति) उसके अवयस्क
बच्चे का कोई भवन होना।
|
4.4 | केवल भूखण्ड के क्रय हेतु अग्रिम अनुमन्य नहीं है। |
4.5 |
किराया
क्रय पद्धति के आधार पर क्रय करके अर्जित की जाने वाली संपत्ति के लिए अग्रिम
अनुमन्य नही है।
|
4.6 |
आवेदक
कर्मचारी की पत्नी/पति के रिश्तेदारों के नाम की संपत्ति पर अथवा उसके नाम से अथवा
उसके साथ संयुक्त स्वामित्व में संपत्ति अर्जित करने के लिए अग्रिम अनुमन्य नहीं
है।
|
4.7 | यदि कोई सरकारी सेवक भारत के बाहर प्रतिनियुक्ति पर जा रहा है तो उसे अग्रिम देय नहीं है। |
5. गृह
निर्माण/मरम्मत/विस्तार अग्रिम की राशि
(शासनादेश
संख्या-बी-3-1875/दस--2006-100(9)/88, दिनांक 23-08-2006 द्वारा संशोधित)
5.1 |
भवन के
निर्माण/क्रय के लिए गृह निर्माण अग्रिम की सीमा अब 50 माह का मूल वेतन या
7,50,000/- , जो भी कम हो, होगी। उसकी ब्याज सहित वसूली अधिकतम 240 मासिक किश्तों
में होगी।
|
5.2 |
भवन
मरम्मत/विस्तार के लिए अग्रिम की सीमा 50 माह का मूल वेतन या 1,80,000/- रूपये, जो
भी कम हो, होगी। इसकी ब्या ज सहित वसूली अधिकतम 120 किश्तों में होगी।
|
5.3 |
अग्रिम
की वास्तविक रूप से देय राशि भवन निर्माण/मरम्मत/क्रय/विस्तार की वास्तविक लागत से
अधिक नहीं होगी।
|
6.
प्रतिदान हेतु क्षमता (शासनादेश संख्या-बी-3-1875/दस-2006-100(9)/88, दिनांक
23-08-2006 द्वारा संशोधित)
6.1 |
भवन निर्माण अग्रिम स्वीकृति
हेतु प्रतिदान हेतु क्षमता निम्न आधार पर आंकी जायेगी : -
|
अवशेष सेवा अवधि | प्रतिदान हेतु क्षमता का स्लैब |
(1) 20 वर्ष के बाद सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारी। | मूल वेतन का 40 प्रतिशत। |
(2) 10 वर्ष के पश्चात् किन्तु 20 वर्ष से पहले सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारी। | मूल वेतन का 40 प्रतिशत अथवा अधिवर्षता आनुतोषिक के 65 प्रतिशत धनराशि के समायोजन के उपरान्त मूल वेतन का 40 प्रतिशत। |
(3) 10 वर्ष के भीतर सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारी। | मूल वेतन का 50 प्रतिशत अथवा अधिवर्षता आनुतोषिक के 75 प्रतिशत धनराशि के समायोजन के उपरान्त मूल वेतन का 50 प्रतिशत। |
6.2 |
प्रतिदान हेतु क्षमता का आशय यह है कि प्रस्तावित अग्रिम की प्रतिदान हेतु मासिक
किश्त की राशि ऊपर निर्धारित धनराशि से अधिक नहीं होगी। जिन मामलों में उपर्युक्त
प्रस्तर 5.1 तथा 5.2 के अनुसार अनुमन्य अग्रिम के आधार पर मासिक किश्त की राशि ऊपर
निर्धारित स्लैब से अधिक आगणित हो रही हो, उनमें स्वीकृत किये जाने वाले अग्रिम की
राशि उस सीमा तक कम कर दी जायेगी जिसके आधार पर मासिक किश्त की राशि ऊपर निर्धारित
स्लैब से अनधिक हो जाय।
|
6.3 |
किसी
कर्मचारी की प्रतिदान क्षमता निर्धारित करते समय यह भी देखा जायेगा कि स्वीकृत
अग्रिम की वसूली हेतु जो किश्तों की राशि निर्धारित की जा रही हो, उसे
सम्बन्धित कर्मचारी के वेतन से पहले से की जा रही कटौतियों के प्ररिप्रेक्ष्य में
वसूल करना संभव हो।
|
6.4 |
ग्रेच्युटी से उपरोक्तानुसार समायोजन करते हुए अग्रिम तभी स्वीकृत किया जायेगा जब
कर्मचारी उक्त आशय का लिखित अनुरोध करें। अधिवर्षता आनुतोषिक की गणना उस काल्पनिक
मूल वेतन के आधार पर की जायेगी, जो सम्बन्धित कर्मचारी अपनी अधिवर्षता के समय
वर्तमान वेतनमान में अर्हकारी सेवा पूरी करने पर आहरित करेगा। यदि भविष्य में
ग्रेच्युटी की धनराशि में पुनरीक्षण के फलस्वरूप कोई वद्धि हो जाती है तो ग्रेच्युटी
में ऐसे पुनरीक्षण के आधार पर पूर्व में स्वीकृत अग्रिम की धनराशि में कोई वृद्धि
नहीं की जायेगी।
|
7.
अधिकतम लागत सीमा (शासनादेश संख्या-बी-3-1875/दस-2006-100(9)/88, दिनांक 23-08-2006
द्वारा संशोधित)
7.1 |
भवन
निर्माण/क्रय की न्यूनतम लागत सीमा रू0 7.50 लाख तथा अधिकतम लागत सीमा मूल वेतन का
200 गुना अथवा रू0 18.00 लाख, जो भी कम हो, होगी किन्तु प्रशासकीय विभाग यदि किसी
विशिष्ट मामले में संतुष्ट है तो वह उसके गुणवगुण के आधार पर विचार करके उक्त
निर्धारित लागत सीमा में अधिकतम 25 प्रतिशत तक की वृद्धि की स्वीकृति प्रदान कर सकता
है।
|
7.2 |
सेल्फ
फाइनेन्सिंग स्कीम के अन्तर्गत क्रय किये जाने वाले भवनों के सम्बन्ध में उक्त लागत
सीमा में भूखण्ड का मूल्य तथा विकास व्यय को सम्मिलित समझा जायेगा।
|
8. वाहन
अग्रिम
8.1 |
सरकारी
कर्मचारियों को मोटर कार (शासनादेश संख्या-बी-3-1877/दस-2006-125/75-मो0वा0,
दिनांक 23-08-2006 द्वारा संशोधित) तथा मोटर साइकिल/स्कूटर/मोपेड साइकिल (शासनादेश
संख्या-बी-3-1876/दस-2006-125/75-मो0वा0, दिनांक 23-08-2006 द्वारा संशोधित)
क्रय हेतु वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड-पाँच भाग-1 के प्रस्तर 245, 246, 246ए तथा
247 में दिये गये नियमों के अनुसार अग्रिम स्वीकृत किया जा सकता है। अग्रिम की
अधिकतम सीमा, वसूली की किश्तें और अग्रिम की अनुमन्यता हेतु कर्मचारी के न्यूनतम
वेतन का विवरण निम्नवत् है:-
|
क्रम
|
वाहन का विवरण | अनुमन्यता हेतु कर्मचारी का मासिक वेतन |
प्रथम बार अनुमन्य अग्रिम की अधिकतम
सीमा
|
दूसरे अथवा बाद के अवसरों पर स्वीकृति
किये जाने वाले अग्रिम की अधिकतम सीमा
|
वसूली की अधिकतम मासिक किश्तें
|
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 |
1
|
मोटर कार
|
न्यूनतम
रू0 10,500/-
|
11 माह का मूल वेतन या रू0
1,80,000/- या वाहन का मूल्य, जो भी सबसे कम हो।
|
11 माह का मूल वेतन या रू0
1,60,000/- या वाहन का मूल्य, जो भी सबसे कम हो।
|
200
|
2
|
मोटर साइकिल /स्कूटर/मोपेड
|
न्यूनतम
रू0 4,6000/-
|
6 माह का मूल वेतन या रू0 30,000/-
या वाहन का मूल्य, जो भी सबसे कम हो।
|
5 माह का मूल वेतन या रू0 24,000/-
या वाहन का मूल्य, जो भी सबसे कम हो।
|
70
|
3
|
साइकिल
|
अधिकतम
रू0 5,000/-
|
रू0 1,500/- या साइकिल का मूल्य, जो
भी कम हो।
|
------------
|
30
|
8.2 |
राज्य कर्मचारियों
को मोटर साइकिल/स्कूटर/मोपेड तथा मोटर कार के क्रय के लिए दूसरे अथवा बाद के अवसरों
के लिए अग्रिम तभी स्वीकृत किया जायेगा जबकि पिछले अग्रिम के आहरण तिथि से कम से कम
चार वर्ष की अवधि व्यतीत हो चुकी हो। लेकिन मोटर कार के सम्बन्ध में निम्नलिखित
मामलों में चार वर्ष का प्रतिबन्ध लागू नहीं होगा-
|
|
(क)
|
यदि पहला अग्रिम
मोटर साइकिल/स्कूटर/मोपेड के लिए लिया गया हो, अब अग्रिम मोटर कार के लिए माँगा जा
रहा है।
|
|
(ख) |
जब कोई सरकारी
कर्मचारी विदेश में तैनाती होने या एक वर्ष से अधिक अवधि के लिए विदेश में
प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए प्रतिनियुक्ति होने पर अपनी मोटर कार को बेच देता है
और भारत में मोटरकार के बिना वापस आता है।
|
|
(ग) |
जब कोई सरकारी
कर्मचारी विदेश में नियमित पद पर नियुक्त होता है और अपने साथ अपनी मोटर कार को
लेकर नहीं आता है।
|
|
8.3 |
सामान्यत: दूसरे
प्रकार के वाहन अग्रिम तभी स्वीकृत किये जा सकते हैं, जबकि पहले प्रकार के वाहन हेतु
लिये गये अग्रिम की वसूली मय ब्याज पूरी हो चुकी हो।
|
|
8.4 |
वाहन के लिए
अग्रिम तभी स्वीकृत किया जायेगा यदि स्वीकर्ता प्राधिकारी संतुष्ट हो कि सम्बन्धित
सरकारी सेवक के लिए वाहन रखना सार्वजनिक हित में है।
|
|
8.5 |
वाहन अग्रिम की
स्वीकृति के आदेश स्वीकृति के दिनांक से एक माह तक विधि मान्य होते हैं। अत:
स्वीकृति आदेश निर्गत होने की तिथि से एक माह के भीतर अग्रिम का आहरण होना चाहिए।
|
9. व्यक्तिगत
कम्प्यूटर अग्रिम
9.1 |
शासनादेश
संख्या-बी-3-6234/दस-89-4-(1)/89-कम्प्यूटर दिनांक 07-12-1989 (जारी होने की
तिथि से प्रभावी) द्वारा उन राज्य कर्मचारियों को जो मोटर कार अग्रिम स्वीकृत किये
जाने के पात्र हों, मोटरकार अग्रिम के शर्तों एवं प्रतिबन्धों के अधीन व्यक्तिगत
कम्प्यूटर क्रय करने के लिए रूपये 45,000/- या कम्प्यूटर का अनुमानित मूल्य
(सीमा शुल्क छोड़कर, यदि कोई हो), जो भी कम हो स्वीकृत किया जा सकता है। अन्य शर्तें
निम्नवत हैं:-
|
9.2 |
अग्रिम की वसूली
मय ब्याज अधिकतम 150 मासिक किश्तों में की जायेगी। इस अग्रिम पर ब्याज की दर भी वही
होगी जो मोटर कार अग्रिम पर शासन द्वारा समय-समय पर निर्धारित की
जायेगी।
|
9.3 |
अग्रिम आहरण के
पूर्व उपरोक्त शासनादेश में प्रपत्र संख्या 25 ए में कर्मचारी को अनुबन्ध पत्र भरना
होगा तथा अग्रिम स्वीकृति के एक माह के अन्दर कर्मचारी को फार्म नं0 25 पर शासन के
पक्ष में बंधक रखा जाना होगा। अस्थाई राज्य कर्मचारियों की दशा में प्रपत्र 25 सी
में एक स्थायी कर्मचारी की जमानत देनी होगी जो अग्रिमों की वसूली से पूर्व
सेवानिवृत्ति न हो।
|
9.4 |
पर्सनल कम्प्यूटर
के क्रय हेतु अग्रिम स्वीकर्ता प्राधिकारी को समाधान होना चाहिए कि सरकारी कार्य
के हित में कर्मचारी को व्यक्तिगत कम्प्यूटर रखना आवश्यक है।
|
10. अग्रिमों का
आहरण
10.1 |
भवन निर्माण के
लिए अग्रिम आहरण हेतु स्वीकृति सामान्यतया कई किश्तों में की जाती है। यदि अग्रिम
कई किश्तों में स्वीकृत किया जाता है तो प्रत्येक किश्त की धनराशि इतनी होनी चाहिए
कि इसका प्रयोग तीन महीने में किया जा सके। अगली किश्त निर्गत करने के पूर्व
सम्बन्धित सरकारी सेवक से इस आशय का उपभोग प्रमाण पत्र प्राप्त कर लेना चाहिए कि
पूर्व में निर्गत किश्त की धनराशि का उपयोग उसी प्रयोजन के लिए किया गया है जिस
प्रयोजन के लिए अग्रिम स्वीकृत किया गया था। यदि अग्रिम की धनराशि कम है या
स्वीकर्ता प्राधिकारी संतुष्ट है कि अवमुक्त की जाने वाली धनराशि का उपयोग आहरण के
तीन माह के अन्दर संभव है तो ऐसी दशा में अग्रिम की धनराशि के एकमुश्त आहरण की
स्वीकृति भी दी जा सकती है।
|
10.2 |
सभी प्रकार के
अग्रिमों के स्वीकृति विषयक आदेश स्वीकृति के दिनांक से एक मास तक ही प्रभावी होते
हैं अर्थात् इस अवधि के व्यतीत हो जाने के बाद उक्त आदेश के आधार पर कोषागार से
आहरण संभव न होगा।
|
10.3 |
अग्रिमों की
स्वीकृति शासन के वित्त विभाग से बजट आवंटन प्राप्त होने के बाद ही की जानी चाहिए।
प्रत्येक दशा में आवंटित धनराशि से अधिक धन वितरित नहीं किया जाना चाहिएह। अग्रिम
का आहरण तभी किया जाना चाहिए जब उसका वितरण आवश्यक हो। यदि आहरित अग्रिम की संपूर्ण
धनराशि या उसके कुछ अंश का प्रयोग नहीं किया जाता है तो उसे तुरन्त सम्बन्धित
लेखाशीर्षक में वापस किया जाना चाहिए। विभिन्न प्रकार के अग्रिमों के आहरण हेतु
निर्धारित लेखाशीर्षकों को निम्न तालिका में प्रस्तुत किया गया है।
|
क्रम | अग्रिम का प्रकार | मुख्य लेखा शीर्षक | उप मुख्य शीर्षक | लघु शीर्षक | उप शीर्षक | ब्यौरेवार |
(1) | गृह निर्माण के लिए अग्रिम | 7610-सरकारी कर्मचारियों को कर्ज | 00 | 201 गृह निर्माण अग्रिम | 01 | 00 |
(2) | गृह मरम्मत/विस्तार के लिए अग्रिम | 7610-सरकारी कर्मचारियों को कर्ज | 00 | 201 गृह निर्माण अग्रिम | 02 | 00 |
(3) | मोटर वाहन के लिए अग्रिम | 7610-सरकारी कर्मचारियों को कर्ज | 00 | 202 मोटर गाड़ियों के खरीद के लिए अग्रिम | 00 | 00 |
(4) | अन्य गाड़ियों की खरीद के लिए अग्रिम | 7610-सरकारी कर्मचारियों को कर्ज | 00 | 203 अन्य वाहनों के लिए अग्रिम | 00 | 00 |
10.4 | अग्रिमों आहरण के पूर्व कर्मचारी द्वारा अनुबंध किया जाता है। इस हेतु विभिन्न प्रकार के फार्म प्रयोग किये जाते हैं इनका संक्षिप्त विवरण निम्नवत है:- |
क्रम | अग्रिम का प्रकार | आहरण के पूर्व प्रयुक्त किये जाने वाले फार्म |
1 | भवन निर्माण अग्रिम | 22 ए |
2 | भवन मरम्मत/विस्तार अग्रिम | 22 ए |
3 | मोटर कार अग्रिम | 25 ए |
4 | मोटर साइकिल /स्कूटर/मोपेड अग्रिम | 25 ए |
5 | व्यक्तिगत कम्प्यूटर अग्रिम | 25 ए |
राज्य कर्मचारियों को भवन निर्माण/क्रय/मरम्मत/विस्तार, मोटर वाहन/कम्प्यूटर/मोटर
साइकिल/मोपेड/साइकिल क्रय हेतु स्वीकृत अग्रिम की वसूली के सम्बन्ध में
प्राविधान वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड-पाँच भाग-1 के प्रस्तर 244 डी, 245 डी, 246
(3) तथा 247 (3) में दिये गये हैं।
11.1 भवन
निर्माण/क्रय विस्तार अग्रिम यदि एकमुश्त स्वीकृत किया जाता है तो वसूली धन के आहरण
के बाद मिलने वाले दूसरे वेतन से प्रारम्भ की जानी चाहिए। यदि अग्रिम का आहरण एक से
अधिक किश्तों में किया जाता है तो प्रथम किश्त की वसूली आहरण के बाद मिलने वाले चौथे
वेतन से प्रारम्भ की जानी चाहिए। यदि अग्रिम, भूखण्ड के क्रय एवं उस पर भवन निर्माण
अथवा पूर्णतया ध्वस्त भवन के पुन: निर्माण हेतु स्वीकृत किया गया हो तो सम्बन्धित
राज्य कर्मचारी के अनुरोध पर एक से अधिक किश्त में अवमुक्त धनराशि की वसूली प्रथम
किश्त की धनराशि के आहरण के बाद मिलने वाले तेरहवें वेतन से भी प्रारम्भ की जा सकती
है बशर्ते नियमानुसार अग्रिम के ब्याज की वसूली कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के पूर्व
सुनिश्चित हो जाय।
11.2 मोटर
कार/कम्प्यूटर, मोटर साइकिल/स्कूटर/मोपेड एवं साइकिल अग्रिम की वसूली अग्रिम आहरण
के बाद मिलने वाले दूसरे वेतन से प्रारम्भ की जायेगी।
11.3
स्वीकृत अग्रिम के मूलधन की वसूली पूर्ण
होने के तुरन्त बाद अग्रिम पर देय
ब्याज की वसूली प्रारम्भ की जायेगी। देय ब्याज की पुष्टि महालेखाकार, उ0प्र0 से
कराई जायेगी। जब तक महालेखाकार द्वारा प्रारम्भिक आगणन की अंतिम रूप से पुष्टि नहीं
कर दी जाती है, तब तक प्रारम्भिक आगणन के अनुसार ही ब्याज की कटौती की जायेगी।
आगणित ब्याज की वसूली एक या एक से अधिक किश्तों में की जा सकती है लेकिन सामान्यतया
मासिक किश्त की धनराशि मूलधन की किश्त से अधिक नहीं होनी चाहिए।
11.4
अग्रिमों की वसूली निर्धारित किश्तों में सम्बन्धित सरकारी सेवक के प्रत्येक माह के
वेतन से की जायेगी। सामान्यतया अंतिम किश्त को छोडकर मासिक किश्त की धनराशि समान
होनी चाहिए।
11.5 किसी
भी कर्मचारी जिसे भवन निर्माण या अन्य कोई अग्रिम स्वीकृत कर दिया गया है, के दूसरे
कार्यालय में स्थानान्तरण की स्थिति में उसके अंतिम वेतन प्रमाण पत्र में स्वीकृत
अग्रिम, अग्रिम की वसूल की गई मासिक किश्तों की संख्या तथा राशि और वसूल की जाने
वाली किश्तों की संख्या तथा अवशेष राशि का पूर्व विवरण दिया जाना चाहिए।
12.
विभिन्न प्रकार के अग्रिमों पर ब्याज की वसूली हेतु शासन द्वारा निर्धारित
लेखाशीर्षक
क्रम | अग्रिम का प्रकार | मुख्य लेखा शीर्षक | उपमु0 ले0शी0 | लघुशीर्षक | उप शीर्षक | ब्यौरेवार |
1 | गृह निर्माण के अग्रिम पर ब्याज | 0049 | 04 | 800 | 03 | 01 |
2 | मरम्मत एवं विस्तार अग्रिम पर ब्याज | 0049 | 04 | 800 | 03 | 01 |
3 | मोटर वाहन अग्रिम पर ब्याज | 0049 | 04 | 800 | 03 | 02 |
4 | कम्प्यूटर अग्रिम पर ब्याज | 0049 | 04 | 800 | 03 | 02 |
5 | अन्य सवारियों के अग्रिम पर ब्याज | 0049 | 04 | 800 | 03 | 03 |
13.
अग्रिम पर ब्याज
13.1
अग्रिमों पर ब्याज की गणना एवं वसूली वित्तीय नियम संग्रह खंड-पाँच भाग-1 के नियम
242 के नीचे दिये गये नोट सं0 2 में दिये गये प्राविधानों के अन्तर्गत की जायेगी।
13.2 ब्याज
का आगणन प्रत्येक माह के अंतिम दिन के मूलधन-अवशेष के आधार पर किया जाता हे।
13.3 किसी
प्रशासनिक कारण से या वेतन पर्ची (पे स्लिप) के अभाव में वेतन का आहरण किसी माह में
संभव नहीं पाता है, फलस्वरूप अग्रिम के किश्तों की अदायगी भी नही हो पाती है। ऐसी
दशा में आगामी महीनों में वेतन आहरण किये जाने के बावजूद ऐसा माना जायेगा कि किश्तों
की कटौती प्रत्येक माह में नियमित रूप से की गयी है। तदनुसार ब्याज का आगणन भी किया
जायेगा। अवकाश वेतन के आहरण में भी यही सिद्धान्त लागू होगा। लेकिन जानबूझ कर यदि
किसी के द्वारा वेतन आहरण प्रत्येक मास में न करके विलम्ब से किया जाता है तो उसे
नियमित कटौती की श्रेणी में नहीं माना जायेगा और ऐसे सरकारी कर्मचारी को ब्याज में
अनुमन्य छूट नहीं दी जायेगी।
13.4 यदि
आहरित अग्रिम को 30 दिनों के भीतर वापस जमा किया जाता है तो ब्याज आगणन पूरे महीने
के लिए न करके वास्तविक दिनों के लिए किया जायेगा।
13.5 यदि
अग्रिम का आहरण कई किश्तों में किया जाता है तो प्रथम किश्त के आहरण वाले वित्तीय
वर्ष में घोषित ब्याज दर को आधार मानकर ब्याज की गणना की जायेगी।
13.6
अग्रिमों पर ब्याज की गणना प्रत्येक माह के रिड्यूसिंग बैलन्स के योग को आधार मानकर
निम्न सूत्र के माध्यम से किया जाता है-
ब्याज = रिड्यूसिंग
बैलन्स का योग X ब्याज की दर
1200
13.7
शासनोदश संख्या-बी-3-1734/दस-2006-2(41)/77-ब्याज, दिनांक 25-07-2006 द्वारा
वित्तीय वर्ष 2003-04 तथा अनंतर के लिए भवन निर्माण/मरम्मत हेतु ब्याज दरें निम्नवत्
घोषित की गई हैं:-
क्रम | स्वीकृत अग्रिम की राशि | वार्षिक ब्याज दर |
1 | रू0 50,000/- तक | 7.5% |
2 | रू0 1,50,000/- तक | 9.0% |
3 | रू0 5,00,000/- तक | 11.0% |
4 | रू0 7,50,000/- तक | 12.0% |
13.8 उक्त
शासनादेश द्वारा ही अन्य अग्रिमों हेतु ब्याज दरें निम्नवत् घोषित की गई हैं
:-
क्रम | अग्रिम का प्रकार | वार्षिक ब्याज दर |
1 | मोटर कार/व्यक्तिगत कम्प्यूटर अग्रिम | 14.0% |
2 | मोटर साइकिल/स्कूटर/मोपेड अग्रिम | 10.5% |
3 | साइकिल अग्रिम | 7.5% |
13.9 वित्तीय
नियम संग्रह खंड-पाँच भाग-1 के प्रस्तर 242 के नीचे दिये गये नोट संख्या 2 के
अनुसार किसी सरकारी सेवक की असामयिक मृत्यु की दशा में कर्मचारी द्वारा लिये गये
अग्रिम में से यदि किसी भाग की वसूली शेष रह गयी हो तो कर्मचारी के आश्रितों के देय
मृत्यु आनुतोषिक अथवा अवकाश वेतन से अग्रिम के शेष भाग की वसूली की जायेगी।
13.10 शासनादेश
संख्या-बी-3-4086/दस-94-20(24)/92 दिनांक 31-10-1994 के अनुसार सेवाकाल में राज्य
कर्मचारी की मृत्यु की दशा में उनके द्वारा लिये गये भवन निर्माण/क्रय/विस्तार/मरम्मत
अग्रिम पर देय ब्याज की धनराशि को माफ किये जाने की स्वीकृति प्रदान की गई है,
बशर्ते कि अग्रिम के मूलधन की समस्त अवशेष धनराशि की वसूली सुनिश्चित कर ली गयी हो।
सेवा काल में कर्मचारी की मृत्यु की दशा में उसके द्वारा लिये गये भवन निर्माण/क्रय/मरम्मत/विस्तार
अग्रिम पर ब्याज की गणना सम्बन्धित राज्य कर्मचारी की मृत्यु की तिथि तक ही की
जायेगी। परन्तु जिन प्रकरणों में देय ब्याज की आंशिक वसूली कर ली गयी है, अवशेष
ब्याज की धनराशि ही माफ की जायेगी।
13.11 ब्याज की माफी
का अधिकार अग्रिम स्वीकृत करने वाले सक्षम अधिकारी को प्रदान किया गया है लेकिन
ब्याज आगणन की पुष्टि महालेखाकार से करना होगा।
13.12 यदि अग्रिम के
किश्तों का भुगतान नियमित रूप से किया गया है अर्थात किश्तों के भुगतान में यदि
अनधिकृत व्यवधान नहीं है, (प्रशासकीय कारण या वेतन पर्ची के अभाव में वेतन आहरण में
विलम्ब होने से किश्तों की कटौती में भी विलम्ब हो जाता है, इसे व्यवधान नहीं माना
जायेगा) तो ब्याज दर में 2.5% की छूट दी जाती है।
13.13 कर्मचारियों के
सेवाकाल में मृत्यु की दशा में मोटर वाहन/व्यक्तिगत कम्प्यूटर अग्रिमों पर भी देय
ब्याज की गणना मृत्यु की तिथि तक ही की जायेगी। लेकिन मृत्यु की तिथि तक आगणित
ब्याज की वसूली की जानी है। इस प्रकरण में ब्याज भवन निर्माण/मरम्मत की भाँति माफ
नहीं किया जाता है।
14. अग्रिमों से
सम्बन्धित विभिन्न प्रपत्र, अभिलेख और लेखा प्रक्रिया
14.1 अग्रिमों के
क्रय किये गये संपत्ति को सरकार के पक्ष में बंधक रखना अनिवार्य होता है। इस हेतु
वित्तीय हस्तपुस्तिका खण्ड-पाँच भाग-1 में विभिन्न प्रकार के फार्म दिये गये हैं।
इनका विवरण निम्नवत है -
क्र0 सं0 | प्रपत्र संख्या | विवरण |
1 | 22 | इस प्रपत्र का प्रयोग उस दशा में किया जाता है जब कर्मचारी के पास पूर्ण स्वामित्व वाला भूखंड उपलब्ध है, जिस पर भवन निर्माण हेतु अग्रिम चाहता है अथवा पहले से भवन है जिसके मरम्मत एवं विस्तार हेतु अग्रिम चाहता है। ऐसी दशा में संपत्ति को रजिस्टर्ड बंधक कराने के बाद ही अग्रिम की धनराशि अवमुक्त की जाती है। |
2 | 22 बी | सरकारी कर्मचारी को स्वीकृत अग्रिम से पूर्ण स्वामित्व वाले भूखण्ड को रजिस्टर्ड बन्धक रखने हेतु इस प्रपत्र का प्रयोग किया जाता है। इसी प्रकार स्वीकृत अग्रिम से निर्मित पूर्ण स्वामित्व वाले मकान के मरम्मत एवं विस्तार हेतु अग्रिम की दशा में भी प्रपत्र-22 बी का प्रयोग किया जाता है। |
3 | 22 डी | इस प्रपत्र का प्रयोग संयुक्त स्वामित्व वाली संपत्ति को रजि0 बंधक कराने के लिए किया जाता है। |
4 | 23 | पट्टे वाली (लीज) संपत्ति (भूखंड/भवन) के पूर्ण स्वामित्व की दशा में इस प्रपत्र का प्रयोग किया जायेगा। |
5 | 23 ए | पट्टे वाली संपत्ति (लीज पर यदि भूखंड भवन उपलब्ध है) यदि संयुक्त स्वामित्व में है तो संपत्ति को रजि0 बंधक कराने के लिए प्रपत्र 23 ए का प्रयोग किया जाता है। |
6 | 25 | इस प्रपत्र प्रयोग स्वीकृत अग्रिम से क्रय किये गये सभी प्रकार के वाहनों को सरकार के पक्ष में बन्धक कराने के लिए किया जाता है। कम्प्यूटर अग्रिम के लिए भी इसी प्रपत्र का प्रयोग किया जाता है। |
7 | 25 सी | यदि वाहन या कम्प्यूटर अग्रिम अस्थायी सरकारी सेवक को स्वीकृत किया जाता है तो सरकार के पक्ष में बन्धक कराने के लिए प्रपत्र 25 सी का प्रयोग किया जाता है। |
8 | 25 डी | यदि अस्थायी सरकारी सेवक को भवन निर्माण/क्रय/मरम्मत हेतु अग्रिम स्वीकृत किया जाता है तो बन्धक कराने के लिए प्रपत्र-25 डी का प्रयोग किया जायेगा। |
14.2 भूमि
एवं भवन का रजि0 बंधक, क्रय/निर्माण के चार माह के भीतर सरकारी कर्मचारी द्वारा
राज्यपाल के पक्ष में किया जायेगा। जबकि वाहन एवं कम्प्यूटर अग्रिम की दशा
में अग्रिम आहरण की तिथि से एक माह के भीतर रजि0 बंधक कर्मचारी द्वारा राज्यपाल के
पक्ष में किया जायेगा। पंजीकृत बंधक पत्र स्वीकर्ता प्राधिकारी द्वारा सुरक्षित रखा
जायेगा। उल्लेखनीय है कि इसमें स्टाम्प पेपर का प्रयोग नहीं होता है।
14.3
अग्रिम आहरण के पश्चात स्वीकर्ता प्राधिकारी तथा आहरण वितरण अधिकारी को यह
सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि अग्रिम का लेखा महालेखाकार कार्यालय में खुल गया है तथा
महालेखाकार द्वारा आहरण एवं वसूलियों का विस्तृत लेखा रखा जा रहा है और वसूली
नियमित रूप से हो रही है। व्यय के विभागीय आँकड़ों का महालेखाकार कार्यालय में
पुस्तांकित आँकड़ों से मिलान हेतु जब भी मिलान दल महालेखाकार कार्यालय जायें, अपने
साथ सम्बन्धित कर्मचारी को स्वीकृत धनराशि से सम्बन्धित आवश्यक विवरण जैसे-स्वीकृति
आदेश, कोषागार का नाम, व वाउचर सं0, दिनांक वाउचर की धनराशि आदि लेकर जायें और व्यय
के लिए विभागीय आँकड़ों के मिलान के साथ ही उक्त कार्यवाही को भी सुनिश्चित किया
जाना चाहिए।
14.4 कार्यालय मे विभिन्न प्रकार के अग्रिमों के लिए अलग-अलग पंजियाँ रखी जाती हैं। किसी
कर्मचारी को अग्रिम स्वीकृत किये जाने की दशा में उक्त पंजियों में अग्रिम सम्बन्धी
समस्त विवरणों -यथा सरकारी कर्मचारी का नाम, पद, अग्रिम की प्रकृति, स्वीकृति आदेश
की संख्या, स्वीकृत धनराशि, वसूली की मासिक दर, ब्याज की दर, भुगतान की गयी अग्रिम
की धनराशि, वाउचर संख्या व तिथि का अंकन किया जाता है। उक्त सूचनाओं के साथ वसूली
का लेखा भी अग्रिम पंजी के उसी पृष्ठ पर प्रारम्भ किया जाता है।
14.5 यदि
अग्रिम के मूलधन/ब्याज की अधिक वसूली हो गई है तो शासनादेश
संख्या-वी-3-3694/दस-1998 दिनांक 06-10-1998 के अनुसार महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी)
प्रथम उ0प्र0, इलाहाबाद से उक्त धनराशि की वसूली की पुष्टि होने के पश्चात प्रश्नगत
धनराशि की वापसी संगत अनुदान के सुसंगत लेखाशीर्षक जिसके अधीन वेतन आहरित किया जा
रहा है/था, के मानक मद 42-अन्य व्यय से आहरित कर वापस की जायेगी।
14.6 राज्य
सरकार के कर्मचारियों को निम्नलिखित प्रकार के ब्याज रहित अग्रिम स्वीकृत किये जाते
हैं :-
(क)
स्थानान्तरण यात्रा भत्ता अग्रिम, स्थानान्तरण, उच्च अध्ययन तथा शासन की स्वीकृति
से प्रशिक्षण पर जाने की दशा में मौलिक वेतन तथा अनुमन्य अनुमानित स्थानान्तरण भत्ते
की धनराशि अग्रिम के रूप में देय है। (वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड-पाँच
भाग-1 का प्रस्तर-249 ए)
(ख) यात्रा
भत्ता अग्रिम (वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड-पाँच भाग-1 का प्रस्तर-249 सी)
(ग) वेतन
अग्रिम, अर्जित अवकाश तथा निजी कार्य पर अवकाश की दशा में (यदि चिकित्सा प्रमाण
पत्र के आधार पर अवकाश न लिया गया हो तो देय) (वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड-पाँच
भाग-1 का प्रस्तर-249)
क्र0 सं0 | अग्रिम का प्रकार | अग्रिम की शर्तें | स्वीकर्ता प्राधिकारी | अनुमन्य धनराशि | अग्रिम वसूली की किश्तें | नियम |
1 | वेतन अग्रिम | स्थानान्तरण या उच्च शिक्षा या प्रशिक्षण हेतु प्रस्थान किये जाने की दशा में। | कार्यालयाध्यक्ष अपने कार्यालय के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए | एक माह का मूल वेतन | तीन समान मासिक किश्तों में | 249 ए |
2 | स्थानान्तरण यात्रा भत्ता अग्रिम | स्थानान्तरण की दशा में। | तदैव | नियमों में अनुमन्य स्थानान्तरण यात्रा भत्ता की सीमा तक | एक मुश्त स्थानान्तरण यात्रा भत्ता देयक से की जायेगी। | 249 ए |
3 | यात्रा भत्ता अग्रिम | शासन के निर्देश पर उच्च शिक्षा प्रशिक्षण की स्थिति | तदैव | तदैव | यात्रा भत्ता देयक से एक मुश्त की जायेगी | 249ए |
4 | यात्रा भत्ता अग्रिम | शासकीय कार्यों हेतु | तदैव | अनुमानित धनराशि का 90% | मुख्यालय पर वापसी या 31 मार्च जो भी पूर्व हो | 249 सी |
5 | अर्जित अवकाश या निजी कार्य पर अवकाश की स्थिति में वेतन अग्रिम | (क) शासकीय सेवक ने कम से कम तीस दिन या
एक मास का अवकाश का आवेदन किया हो
(ख) चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर अर्जित या निजी कार्य पर एक माह के अवकाश की स्थिति में अग्रिम देय नहीं है। |
कार्यालयाध्यक्ष | अंतिम आहरित वेतन के बराबर | प्रथम अवकाश वेतन से एक मुश्त समायोजन किया जायेगा। यदि एक मुश्त समायोजन संभव नहीं हो पाता है तो आगामी वेतन से किया जायेगा | 249 वाई |
6 | अवकाश यात्रा सुविधा हेतु अग्रिम स्वीकृत करना | नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा अवकाश यात्रा सुविधा की स्वीकृति प्रदान करने के उपरान्त ही अग्रिम स्वीकृति। | कार्यालयाध्यक्ष | अनुमानित व्यय का 90% | मुख्यालय पर वापसी या 31 मार्च जो भी पूर्व हो एक मुश्त समायोजन किया जायेगा। |
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लेखा शाखा अधिनियम : 3. शासकीय ऋण तथा अग्रिम
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
1:54 PM
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