राज्य उदासीन, ठंडे बस्ते में ‘बाइट’
- फाइलों में अल्पसंख्यक व अनुसूचित जाति के शिक्षक तैयार करने की मुहिम
- 37 जिलों में बनने हैं ब्लॉक इंस्टीट्यूट ऑफ टीचर्स एजुकेशन
लखनऊ। प्राइमरी और उच्च प्राइमरी स्कूलों के लिए अल्पसंख्यक और अनुसूचित जाति के शिक्षक तैयार करने की केंद्र सरकार की मंशा उत्तर प्रदेश में परवान नहीं चढ़ पाई है। हालांकि केंद्र सरकार ने दस माह पहले ही इसके लिए धनराशि जारी कर दिया है।
सरकारी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक कक्षाओं के लिए अल्पसंख्यक और अनुसूचित जाति के काबिल शिक्षक तैयार करने के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2012 में राज्यों में ब्लॉक इंस्टीट्यूट ऑफ टीचर्स एजुकेशन (बाइट) खोलने के दिशानिर्देश जारी किए थे। इसके तहत उप्र के अल्पसंख्यक बहुल 21 और अनुसूचित जाति बहुल 17 जिलों में बाइट स्थापित करने का इरादा जताया गया था। बाद में महाराजगंज जिले का नाम हटाए जाने की वजह से अब प्रदेश के 37 जिलों में बाइट की स्थापना होनी है। इनकी स्थापना चयनित जिलों के उन ब्लॉक में की जाएगी जहां पहले से डायट संचालित न हों। बाइट में प्रशिक्षु शिक्षकों को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) की तर्ज पर सेवा पूर्व प्रशिक्षण दिया जाएगा। बाइट के निर्माण पर खर्च में केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी 75:25 के अनुपात में होगी। केंद्र सरकार ने 21 अल्पसंख्यक बहुल जिलों में बाइट की स्थापना के लिए पिछले साल सितंबर में 18.79 करोड़ रुपये की धनराशि अनुमोदित की थी। इसमें केंद्र की हिस्सेदारी 14.09 करोड़ रुपये और राज्य की 4.69 लाख रुपये है। पहली किस्त के तौर पर केंद्र ने 7.04 करोड़ रुपये की धनराशि राज्य सरकार को जारी भी कर दी। इसके सापेक्ष राज्य सरकार को 2.34 करोड़ रुपये की धनराशि जारी करनी है जो कि अब तक जारी नहीं हुई है। यह स्थिति तब है जब जिलों में कार्यदायी संस्थाओं का चयन किया जा चुका है। बाइट के नक्शे और निर्माण लागत को अगस्त 2012 में ही मंजूरी मिल चुकी है। सचिव बेसिक शिक्षा एचएल गुप्ता ने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में बाइट के निर्माण के लिए राज्य सरकार के बजट में धनराशि की व्यवस्था नहीं की जा सकी थी। बाइट का निर्माण क्यों नहीं शुरू हुआ, इसकी जानकारी हासिल करेंगे।
सरकारी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक कक्षाओं के लिए अल्पसंख्यक और अनुसूचित जाति के काबिल शिक्षक तैयार करने के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2012 में राज्यों में ब्लॉक इंस्टीट्यूट ऑफ टीचर्स एजुकेशन (बाइट) खोलने के दिशानिर्देश जारी किए थे। इसके तहत उप्र के अल्पसंख्यक बहुल 21 और अनुसूचित जाति बहुल 17 जिलों में बाइट स्थापित करने का इरादा जताया गया था। बाद में महाराजगंज जिले का नाम हटाए जाने की वजह से अब प्रदेश के 37 जिलों में बाइट की स्थापना होनी है। इनकी स्थापना चयनित जिलों के उन ब्लॉक में की जाएगी जहां पहले से डायट संचालित न हों। बाइट में प्रशिक्षु शिक्षकों को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) की तर्ज पर सेवा पूर्व प्रशिक्षण दिया जाएगा। बाइट के निर्माण पर खर्च में केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी 75:25 के अनुपात में होगी। केंद्र सरकार ने 21 अल्पसंख्यक बहुल जिलों में बाइट की स्थापना के लिए पिछले साल सितंबर में 18.79 करोड़ रुपये की धनराशि अनुमोदित की थी। इसमें केंद्र की हिस्सेदारी 14.09 करोड़ रुपये और राज्य की 4.69 लाख रुपये है। पहली किस्त के तौर पर केंद्र ने 7.04 करोड़ रुपये की धनराशि राज्य सरकार को जारी भी कर दी। इसके सापेक्ष राज्य सरकार को 2.34 करोड़ रुपये की धनराशि जारी करनी है जो कि अब तक जारी नहीं हुई है। यह स्थिति तब है जब जिलों में कार्यदायी संस्थाओं का चयन किया जा चुका है। बाइट के नक्शे और निर्माण लागत को अगस्त 2012 में ही मंजूरी मिल चुकी है। सचिव बेसिक शिक्षा एचएल गुप्ता ने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में बाइट के निर्माण के लिए राज्य सरकार के बजट में धनराशि की व्यवस्था नहीं की जा सकी थी। बाइट का निर्माण क्यों नहीं शुरू हुआ, इसकी जानकारी हासिल करेंगे।
- इन जिलों में होनी है स्थापना :
जिन जिलों में ब्लॉक इंस्टीट्यूट ऑफ टीचर्स एजुकेशन की स्थापना की मंशा है उनमें औरैया, आजमगढ़, बदायूं, बागपत, बहराइच, बलरामपुर, बाराबंकी, बरेली, बिजनौर, बुलंदशहर, चित्रकूट, फतेहपुर, गाजियाबाद, हरदोई, हाथरस, ज्योतिबा फुले नगर, जालौन, झांसी, कौशांबी, लखीमपुर खीरी, लखनऊ, महोबा, मेरठ, मीरजापुर, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, पीलीभीत, रायबरेली, रामपुर, शाहजहांपुर, सहारनपुर, संत कबीर नगर, श्रवस्ती, सिद्धार्थनगर, सीतापुर, सोनभद्र और उन्नाव शामिल हैं।
राज्य उदासीन, ठंडे बस्ते में ‘बाइट’
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
6:05 AM
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