शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त होने के कारण होगी नई भर्ती, भर्ती से पहले नियमावली में करना होगा बदलाव

अध्यापक सेवा नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से दो साल पहले ही सरकार को भेजा गया था लेकिन आज तक संशोधन नहीं हुआ। नियमावली में किसी भी संशोधन के लिए कैबिनेट की मंजूरी आवश्यक है।

इलाहाबाद  :  1.37 लाख शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन निरस्त होने के बाद शिक्षक भर्ती की तैयारियों में जुटी सरकार को नई नियुक्ति से पहले अध्यापक सेवा नियमावली 1981 में व्यापक बदलाव करने होंगे।

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की गाइडलाइन और यूपी की अध्यापक सेवा नियमावली में अंतर ने ही पांच सालों में कई विवादों को जन्म दिया जिनका निपटारा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को करना पड़ा। पिछले दिनों सरकार ने कैबिनेट बैठक कर शिक्षक भर्ती के लिए अलग से प्रतियोगी परीक्षा कराने का निर्णय लिया। नई व्यवस्था में एकेडमिक गुणांक का 40 प्रतिशत और प्रतियोगी परीक्षा का 60 फीसदी अंक जोड़कर मेरिट तैयार की जाएगी ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

शिक्षामित्रों को भी आयु में छूट के साथ उनके अनुभव पर अधिकतम 25 अंक वेटेज देने की बात है। इन बिन्दुओं को नियमावली में शामिल करना होगा। इसके अलावा नियमावली में संशोधन के लिए 4 अगस्त 2014 को गठित तीन सदस्यीय हाई पॉवर कमेटी की रिपोर्ट को भी शामिल करना होगा। रिपोर्ट के मुताबिक नियमावली में कक्षा 1 से 5 तक बीएड योग्यता को हटाने के अलावा बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी और उर्दू बीटीसी के साथ बीएलएड और डीएड स्पेशल एजुकेशन को सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार नियमावली में जगह देनी होगी। इस बात को भी स्पष्ट करना होगा कि गणित और विज्ञान विषय के शिक्षकों की भर्ती के लिए कौन-कौन से प्रोफेशनल कोर्स मान्य हैं।

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