दो हजार से ज्यादा निजी स्कूल नहीं देंगे गरीब बच्चों को दाखिला, पिछले दो वर्षों से शुल्क की भरपाई नहीं होने से सरकार के सामने खड़ी हुई बड़ी चुनौती
दो हजार से ज्यादा निजी स्कूल नहीं देंगे गरीब बच्चों को दाखिला, पिछले दो वर्षों से शुल्क की भरपाई नहीं होने से सरकार के सामने खड़ी हुई बड़ी चुनौती।
लखनऊ : निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के दाखिले पर संकट के बादल छा गए हैं। पिछले दो वर्षो से फीस की प्रतिपूर्ति न होने पर निजी स्कूलों ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत दाखिला देने से इन्कार कर दिया है। इंडिपेंडेंट स्कूल्स ऑफ फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से नए शैक्षिक सत्र 2018-19 में दाखिला न करने का निर्णय किया गया है।
इंडिपेंडेंट स्कूल्स ऑफ फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष डॉ मधुसूदन दीक्षित ने आरोप लगाया है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा (12) (1) ग के तहत पिछले दो वर्षो से निजी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति नहीं की गई है। शासन द्वारा बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति न किए जाने से निजी स्कूलों ने नए सत्र 2018-19 में इस एक्ट के तहत दाखिला न लिए जाने का निर्णय किया है।
मधुसूदन दीक्षित का कहना है कि धारा (12) (2) के अनुसार राज्य सरकार द्वारा सरकारी स्कूल में प्रति छात्र मासिक व्यय व निजी विद्यालय की मासिक फीस में से जो भी कम हो, उस धनराशि की शासन द्वारा प्रतिपूर्ति की जानी चाहिए। राज्य सरकार की ओर से प्रति माह प्रति छात्र 400 रुपये फीस प्रतिपूर्ति देने का प्राविधान है। आरटीइ के तहत कक्षा एक से पांच तक ही दाखिला लिए जाने का प्राविधान है और प्रदेश सरकार प्री प्राइमरी कक्षाओं में भी दाखिला दिला रही है।
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