हाईकोर्ट ने पुरुष शिक्षकों के अंतर्जनपदीय तबादले पर मांगी जानकारी, शिक्षिकाओं के समान पुरुष शिक्षकों को भी 5 वर्ष की अनिवार्यता से छूट मिलने की याचिका में मांग
■ एक जिले में पांच साल सेवा की अनिवार्यता से छूट के मामले में जानकारी मांगी गई, शिक्षिकाओं के समान पुरुष शिक्षकों को भी छूट मिलने की याचिका में मांग
इलाहाबाद : हाईकोर्ट ने प्राइमरी व जूनियर स्कूलों में कार्यरत पुरुष शिक्षकों के अंतर जिला तबादलों में एक जिले में पांच साल की सेवा अनिवार्यता से छूट देने के मामले में राज्य सरकार से जानकारी मांगी है। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली 1981 व अन्य नियमों की जानकारी और संबंधित कागजात भी मांगे हैं।
यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने प्रेम सिंह व कई अन्य की याचिकाओं पर अधिवक्ताओं अनूप त्रिवेदी, सीमांत सिंह, विभु राय व अन्य की बहस सुनकर दिया है। याचिकाओं में कहा गया है कि बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली 1981 की धारा 41 में केवल अंतर जिला स्थानांतरण का प्रावधान है। उसमें पांच साल सेवा वाली अनिवार्यता नहीं है। कहा गया कि सरकार ने शिक्षिकाओं को नियम आठ (दो)(डी) के आधार पर अंतर जिला तबादले की छूट दी है लेकिन, पुरुष शिक्षकों को यह छूट नहीं दी जा रही है।
अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि विभा सिंह की याचिका पर कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि जिन शिक्षिकाओं के पति, सास-ससुर दूसरे जिलों में निवास कर रहे हैं उनका अंतर जिला तबादला किया जाए। उसके बाद सरकार ने ऐसी शिक्षिकाओं से आवेदन मांगे हैं। अधिवक्ताओं का कहना है कि विशेष परिस्थितियां पुरुष के साथ भी होती हैं। ऐसे में उन्हें भी यह छूट दी जानी चाहिए।
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