टीईटी 2017 में अचयनित शिक्षामित्रों की याचिका पर सुनवाई दो अप्रैल को, ओएमआर शीट में गलत प्रविष्टियां भरने पर हुए चयन से बाहर
■ टीईटी 2017 में अचयनित शिक्षामित्रों की याचिका पर सुनवाई दो अप्रैल को
■ ओएमआर शीट में गलत प्रविष्टियां भरने पर हुए चयन से बाहर
■ एकलपीठ खारिज कर चुकी है याचिका, अब दाखिल की विशेष अपील
इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उप्र शिक्षक पात्रता परीक्षा यानि टीईटी 2017 में असफल शिक्षामित्रों की याचिका को सुनवाई के लिए दो अप्रैल को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। ये ऐसे अभ्यर्थी हैं जिन्होंने ओएमआर शीट में गलत प्रविष्टियां भरी थीं। एकलपीठ ने इन याचियों की याचिका बलहीन मानते हुए खारिज कर दी थी।
यह आदेश न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता व न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने जय करन सिंह व 53 अन्य शिक्षामित्रों की विशेष अपील पर दिया है। याचियों का कहना है कि राज्य सरकार ने उन्हें सहायक अध्यापक पद पर समायोजित कर लिया था जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने सही नहीं माना। समायोजन रद करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने याचियों को टीईटी में उत्तीर्ण होने के लिए दो अवसरों की छूट दी। जिसके तहत उन्होंने टीईटी 2017 की परीक्षा दी। याचियों का कहना है कि वे सफल हैं लेकिन, ओएमआर शीट भरने में पंजीकरण संख्या, अनुक्रमांक, उत्तर पुस्तिका क्रमांक आदि भरने में त्रुटि हो गई जिसके चलते उन्हें अयोग्य करार दिया गया है। न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने लंबी सुनवाई के बाद याचिकाएं खारिज कर दी। इस पर यह विशेष अपील दाखिल की गई है।
याचियों का कहना है कि टीईटी परीक्षा प्रतियोगी परीक्षा नहीं है। इस चयन से किसी तीसरे पक्ष का हित नहीं बनता। यह मात्र योग्यता के लिए अर्हता परीक्षा है। यदि त्रुटियों को सही करने का अवसर दिया गया तो इससे किसी तीसरे पक्ष का हित प्रभावित नहीं होगा। कहा कि छोटी सी गलती की इतनी बड़ी सजा नहीं दी जा सकती।
विशेष अपील पर दो अप्रैल को सुनवाई होगी। मालूम हो कि टीईटी, कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को पढ़ाने वाले अध्यापकों पद पर नियुक्ति के लिए पात्रता परीक्षा है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी उप्र इलाहाबाद ने परीक्षा कराई थी। 15 दिसंबर 2017 को इसका परिणाम घोषित हुआ।
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