परिषदीय अंतर्जनपदीय तबादलों में आधी आबादी का बोलबाला, अलग से भारांक बिना शासनादेश के वेटेज से ही मिल रहा है अधिकांश को लाभ

इलाहाबाद : परिषदीय स्कूल शिक्षकों के अंतर जिला तबादलों में ‘आधी आबादी’ यानि महिला शिक्षकों का बोलबाला है। बेसिक शिक्षा परिषद ने जिन शिक्षकों की सूची वेबसाइट पर अपलोड की है, उसमें महिलाओं की संख्या 84 फीसद से अधिक हैं, जबकि पुरुष शिक्षक महज 16 फीसद से भी कम हैं। ऐसे में अंतिम सूची में भी सर्वाधिक महिलाओं को ही अपने पसंदीदा जिले में जाने का मौका मिलेगा।


परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों का अंतर जिला तबादला 13 जून 2017 की नीति के तहत करने के निर्देश जारी हुए। जनवरी माह में लिए गए ऑनलाइन आवेदन में पहले उन शिक्षक-शिक्षिकाओं ने दावेदारी की जिनकी पांच वर्ष की सेवा अवधि पूरी हो चुकी है।


पहले चरण में करीब 15 हजार आवेदन मिले। हाईकोर्ट के निर्देश पर शासन ने महिला शिक्षकों को अपने पति के निवास या ससुराल वाले जिले में जाने के लिए पांच वर्ष की सेवा अवधि से छूट देकर उनसे दूसरे चरण में आवेदन मांगे। इस दौरान कुल 37602 आवेदन परिषद को मिले।


जिलों के बीएसए कार्यालय में काउंसिलिंग व सत्यापन में 7767 के आवेदन निरस्त कर दिए गए, शेष 29835 शिक्षकों की सूची वेबसाइट पर अपलोड की गई है। इनमें से 25086 केवल महिला शिक्षक हैं, जबकि 4749 पुरुष शिक्षकों को गुणवत्ता मिले हैं। ऐसे में तबादलों की अंतिम सूची में भी महिलाओं की ही भरमार रहेगी, क्योंकि तमाम पुरुष शिक्षकों का गुणवत्ता अंक बेहद कम है।


वीआइपी जिलों में जाने का संकट
अंतर जिला तबादलों में रिक्त पदों के सापेक्ष आवेदन काफी कम हैं। उन शिक्षकों को पसंदीदा जिले में जाने का मौका मिलेगा, जहां पद अधिक संख्या में रिक्त हैं, वीआइपी जिलों लखनऊ, कानपुर, मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, आगरा आदि के लिए दावेदारी अधिक होने से अंतिम सूची से बाहर होंगे। कई शिक्षकों ने तीन जिलों का विकल्प देने की जगह एक जिले को तीनों वरीयता दी है। जिन्होंने तीन अलग-अलग जिले दिए हैं उनकी मुराद पूरी हो सकती है।


190 आपत्तियां निस्तारित होंगी
तबादला सूची पर अब तक परिषद को 190 आपत्तियां मिली हैं, उनमें से 140 प्रकरण को परिषद पहले ही संबंधित बीएसए व मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक को भेज चुका है, जबकि अन्य मामलों को भी भेजकर निस्तारित कराया जा रहा है। अधिकांश शिकायतें वेटेज न मिलने व आवेदन गुम होने की हैं। शिक्षिका की जन्म तारीख 1916 मामले की जांच में प्रिटिंग दोष सामने आया है। शिक्षिका की असली जन्म तारीख 2016 है, उसे दुरुस्त किया जा रहा है।

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