प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर सरकार से जवाब-तलब, सर्वोच्च न्यायालय से मिली छूट के बाद भी प्रक्रिया ठप


एक दिन हो चुकी काउंसिलिंग, अभ्यर्थियों को नियुक्ति का इंतजार

सर्वोच्च न्यायालय से मिली छूट के बाद भी प्रक्रिया ठप


इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती-2012 की प्रक्रिया के संबंध में राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती-2012 चयन प्रक्रिया के तहत काउंसिलिंग करा चुके अभ्यर्थियों रवींद्र कुमार व अन्य की याचिका पर दिया है।



याचीगण के अधिवक्ता विनय कुमार श्रीवास्तव व सीमांत सिंह के अनुसार 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती मायावती के शासनकाल में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 के 12वें संशोधन के तहत 30 नवंबर 2011 को विज्ञापित की गई थी। इस भर्ती को हाईकोर्ट के आदेश के अनुक्रम में अखिलेश यादव के शासनकाल में रद कर दिया गया। इसके बाद पुन: सात दिसंबर 2012 को बेसिक शिक्षा सेवा नियमावली 1981 के 15 वें और 16वें संशोधन के तहत विज्ञापित किया गया। इस भर्ती की चयन प्रक्रिया को बढ़ाते हुए एक दिन की काउंसिलिंग भी कराई गई। इसी बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट से उक्त प्रक्रिया पर स्थगन आदेश आ गया और हाईकोर्ट की वृहद पीठ ने 15 वें और 16 वें संशोधन को अल्ट्रा वायरेस घोषित कर दिया। इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील दाखिल की।



लंबी चली सुनवाई के बाद 25 जुलाई 2017 को सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 के 15वें और 16वें संशोधन को सही मानते हुए बहाल कर दिया, साथ ही उक्त संशोधन से निकले 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती 2012 की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए राज्य सरकार को लिबर्टी दे दी। इसके बाद भी उक्त भर्ती प्रक्रिया ठप पड़ी है। हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

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