शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी से मुक्त रखने की केंद्र सरकार की कवायद तेज, चुनाव आयोग को सौंपे मसौदे में आँगनबाड़ी और आशा जैसे सरकारी योजनाओं के कार्यकर्ताओं की मदद लेने का सुझाव
शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी से मुक्त रखने की केंद्र सरकार की कवायद तेज, चुनाव आयोग को सौंपे मसौदे में आँगनबाड़ी और आशा जैसे सरकारी योजनाओं के कार्यकर्ताओं की मदद लेने का सुझाव।
नई दिल्ली : स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने में जुटी सरकार अब शिक्षकों को पढ़ाई के इतर लिए जाने वाले सभी कामों से मुक्त रखने की .कवायद में जुट गई.है। इनमें चुनाव.ड्यूटी भी एक अहम और गंभीर विषय है।.इसमें बड़े पैमाने पर स्कूली शिक्षकों की सेवाएं ली जाती हैं। सरकार ने इसे लेकर हाल ही में चुनाव आयोग को एक मसौदा सौंपा है जिसमें चुनाव ड्यूटी में शिक्षकों की जगह आंगनबाड़ी या फिर आशा जैसी सरकारी योजनाओं से जुड़े कार्यकर्ताओं की मदद लेने का सुझाव है।
मानव संसाधन विकास मंत्रलय की ओर से आयोग को यह मसौदा भेजा गया है। मौजूदा व्यवस्था के तहत चुनावों के दौरान स्कूलों के ज्यादातर शिक्षक चुनाव ड्यूटी में लग जाते हैं। महीने भर पहले से उनकी ट्रेनिंग आदि शुरू हो जाती है। इसके चलते स्कूलों की पढ़ाई-लिखाई बिल्कुल ठप हो जाती है। इनमें ज्यादातर चुनाव ऐसे समय पर होते हैं जब स्कूलों की परीक्षाएं होती रहती हैं, या होने वाली होती है। ऐसे में बच्चों को शिक्षकों की मदद की सबसे ज्यादा जरूरत इसी समय पड़ती है।
■ आम चुनाव से हो सकता है अमल
मंत्रलय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक चुनाव आयोग भी मंत्रलय की इस पहल से सहमत है, लेकिन मैन पावर की उसकी जरूरत को देखते हुए वह चुनाव से शिक्षकों को एक साथ मुक्त नहीं कर सकती हैं। बावजूद इसके शिक्षकों को एक नियमित प्रक्रिया के तहत चुनाव ड्यूटी से अलग करने की दिशा में काम शुरू हो सकता है। वैसे भी अगले साल होने वाले आम चुनाव का समय मार्च-अप्रैल के आसपास होगा, जो स्कूलों में परीक्षा और प्रवेश का समय होता है। इसलिए वैसे भी सरकार की यह कवायद काफी अहम हो सकती है।
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