जिले और स्कूलों की एक ही रैंकिंग से गुणवत्ता तय होगी

जिले और स्कूलों की एक ही रैंकिंग से गुणवत्ता तय होगी



06 May 2020
बुनियादी शिक्षा में मिशन प्रेरणा और ऑपरेशन कायाकल्प के आधार पर जिले और स्कूलों की एक ही रैंकिंग होगी। अवस्थापना, बुनियादी शिक्षा व अन्य मानकों पर अलग-अलग रैंकिंग के बजाय अब एक ही मेरिट बनाने का निर्णय लिया गया है। इसमें 50 फीसदी अवस्थापना सुविधाएं व 50 फीसदी लर्निंग आउटकम के आधार पर रैंकिंग तय की जाएगी।



अभी तक कई मानकों की अलग-अलग रैंकिंग हो रही थी। इससे भ्रम फैल रहा था कि कौन-सा जिला पढ़ाई में अव्वल है और किस जिले में अवस्थापना सुविधाएं ठीक हैं। अब इस रैंकिंग से एक नजर में देखा जा सकेगा कि किस जिले या स्कूलों की क्या हालत है। इसी आधार पर आगे की योजनाएं तय होंगी और प्रदेश को प्रेरक प्रदेश बनाया जाएगा। विभागीय अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने आदेश जारी कर दिया है। आदेश में अब 9 अवस्थापना सुविधाओं की जगह 18 का जिक्र है। इसमें 11 अवस्थापना सुविधाएं पानी और शौचालयों से संबंधित हैं। इसमें बालक-बालिकाओं, दिव्यांगों के अलग-अलग शौचालय, मूत्रालय, उनमें पानी, शुद्ध पेयजल, हैण्ड वॉश यूनिट आदि शामिल हैं। इसके अलावा अन्य 7 सुविधाओं में फर्नीचर, ब्लैकबोर्ड, टाइल्स, रंगाई पुताई, बिजली आदि के अलग-अगल अंक है। सबसे ज्यादा 8 अंक फर्नीचर होने पर मिलेंगे। वहीं शुद्ध पेयजल और पुताई पर भी 4-4 अंक मिलेंगे।



इसी तरह सभी मानकों के अंक निर्धारित हैं। इनके अंक मिशन प्रेरणा ऐप पर जियो टैग के जरिए दिए जाएंगे। वहीं लर्निंग आउटकम के आधार पर आए नतीजों के आधार पर स्कूलों व जिलों की रैंकिंग का फार्मूला भी तय कर दिया गया है।


■  बुनियादी शिक्षा

◆ ' ऑपरेशन कायाकल्प और लर्निंग आउटकम के आधार पर रैंकिंग

◆ ' स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के लिए 50-50 फीसदी अंकों के आधार पर एक ही रैंकिंग 
जिले और स्कूलों की एक ही रैंकिंग से गुणवत्ता तय होगी Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2 on 8:31 AM Rating: 5

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