ड्रापआउट दर कम करने के लिए 5वी से 6ठवीं, 8वीं से 9वीं और 10वीं से 11वीं कक्षा में जाने वाले विद्यार्थियों की होगी सख्ती से निगरानी

ड्रापआउट दर कम करने के लिए 5वी से 6ठवीं, 8वीं से 9वीं और 10वीं से 11वीं कक्षा में जाने वाले विद्यार्थियों की होगी सख्ती से निगरानी

 लखनऊः स्कूली शिक्षा में ड्रापआउट दर को न्यून करने के लिए पांचवी से छठवीं, आठवीं से नौवीं और दसवीं से 11वीं कक्षा में जाने वाले विद्यार्थियों की अब सख्ती से निगरानी होगी। शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों को स्पष्ट जिम्मेदारी दी गई है कि वे यह सुनिश्चित करें कि कोई भी छात्र-छात्रा बीच में पढ़ाई न छोड़े। इसका उद्देश्य है कि हर बच्चा अगली कक्षा तक पहुंचे और शत-प्रतिशत नामांकन बना रहे।


स्कूली शिक्षा में निरंतरता की दृष्टि से तीन चरण महत्वपूर्ण होते हैं। इनमें विद्यार्थियों का पांचवी से छठवीं, आठवीं से नौवीं और दसवीं से 11वीं कक्षा में जाना शामिल है। इसी दौरान अधिकतर बच्चे या तो स्कूल बदलते हैं या उनके पढ़ाई छोड़ने का जोखिम रहता है। इसे रोकने के लिए अब प्रत्येक विद्यालय को अपने छात्रों की ठीक से निगरानी करनी होगी। खासतौर पर जूनियर हाईस्कूलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कक्षा आठ पास करने वाले हर विद्यार्थी का कक्षा नौ में प्रवेश हो। 


इसी प्रकार हाईस्कूलों को अगले चरण तक नियमित उपस्थिति और लगातार पढ़ाई पर ध्यान देना होगा। बेसिक और माध्यमिक शिक्षा के मंडलीय और जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे हर स्कूल से ट्रांजीशन यानी बदलाव की रिपोर्ट प्राप्त करें और यह सुनिश्चित करें कि कोई भी बच्चा सूची से गायब न रहे। यदि किसी बच्चे ने विद्यालय बदला है, तो उसका नया विद्यालय दर्ज किया जाए और उसकी पढ़ाई निर्बाध रूप से जारी रहे। 


शिक्षकों से अपेक्षा की गई है कि वे विद्यार्थियों से लगातार संवाद रखें, उन्हें प्रेरित करें और अभिभावकों को भी नियमित रूप से समझाएं कि पढ़ाई बीच में छोड़ने से बच्चों के भविष्य पर गंभीर असर पड़ता है। बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग का लक्ष्य है कि प्रदेश में ड्रापआउट दर न्यूनतम हो और हर बच्चा अपनी शिक्षा पूरी कर सके। स्कूलों में शिक्षकों, प्रधानाध्यापकों और शिक्षा अधिकारियों की संयुक्त निगरानी से यह अभियान और अधिक प्रभावी करने की योजना है। विभाग का मानना है कि यदि विद्यालय स्तर पर नियमित फालो-अप किया गया, तो स्कूल छोड़ने की समस्या को काफी हद तक खत्म किया जा सकता है।
ड्रापआउट दर कम करने के लिए 5वी से 6ठवीं, 8वीं से 9वीं और 10वीं से 11वीं कक्षा में जाने वाले विद्यार्थियों की होगी सख्ती से निगरानी Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2 on 6:58 AM Rating: 5

No comments:

Contact Form

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.