प्रदेश के विद्यालयों में 'पठन संस्कृति' (Reading Culture) को सुदृढ़ करने एवं समाचार पत्रों के पठन-पाठन को अनिवार्य करने के संबंध में

स्कूलों में अखबार पढ़ना अब अनिवार्य, अपर मुख्य सचिव ने जारी किया शासनादेश, प्रार्थना सभा में किया जाएगा समाचार वाचन

समाचार पत्र से मित्रता कर मोबाइल फोन से मुक्ति पाएंगे छात्र-छात्राएं, भाषा और संवाद में भी होंगे पारंगत

प्रतिदिन पांच नए कठिन शब्द जानेंगे विद्यार्थी, पर्यावरण, खेल व विज्ञान की खबरों की कटिंग से बनाएंगे स्क्रैप बुक


लखनऊः अगर आपको  स्कूल की प्रार्थन सभा में बच्चे समाचार पत्र पढ़‌कर सुनाते और पांच न्ए शब्दों के अर्थ समझाते नजर आएं तो चौंकिएगा मत। शासन ने मोबाइल फोन की लत में डूबते किशोर मन को अखबारों के मध्यन से उच्चारकर विज्ञान, संस्कृति, इतिहास समेत अन्य विषयों से जोड़ने की बड़ी पहल की है।

माध्यनिक एवं बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा की और से जिला विद्यालय निरीक्षकों, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों सहित सभी मंडलीय शिक्षा निदेशक को शासनादेश जारी कर कक्षा छह से 12 तक के बेसिक व माध्यमिक स्कूले में हिंदी और अंग्रेजी के अखबारों की उपलब्धता अनिवार्य की गई है रोजना अखबार पढ़न, सुन डिस्कसन और समाचारो को कटिंग रखना भो अनिवार्य किया गया है। इससे छात्रों में पढ़ने की प्रवृत्ति बढ़ने से उन्हें न सिर्फ प्रतियोगो परीक्षाओं में मदद मिलेगी बल्कि भषा पर पकड़ होने से वे वाद विवाद प्रतियोगिताओं और संभाषण में भी निपुण बनेंगे। अखबार के जरिये छात्रों की विज्ञान संस्कृति और खेल की भी जानकारी बढ़ेगी।

शासनादेश में कहा गया है कि बच्चों का स्क्रीन टाइम बढ़ने से जहां क्तिबों के प्रति उनको रुचि कम हुई है, वहीं एकाग्रता और भावनात्मकता में भी गिरावट आई है। अखबरों को नियमित पाठ्यचर्या में शामिल कर विद्यार्थियों में पढ़ने के प्रति ललक से जगाने का प्रयास होगा। देश दुनिया से के प्रति छात्रों की जानकारों बढ़ेगी, वहीं नए शब्दों से परिचित होने से संवाद बेहतर होगा अखबारों में छपी संवेदनात्मक व्हानियों छात्र प्रेसि होंगे। पहेलियां उनकी तर्कशक्ति सुधारेंगी।


स्कूलों में अखबार से होगा बच्चों का बौद्धिक विकास, बेसिक व माध्यमिक विद्यालयों में शब्दावली बनाने, संपादकीय लिखने व पहेली सुलझाने का अभ्यास भी होगा


लखनऊ। बेसिक व माध्यमिक विद्यालयों में समाचार पत्रों का पठन-पाठन अनिवार्य किया गया है। इसका मकसद अखबार के माध्यम से स्कूली बच्चों का बौद्धिक विकास करना है। साथ ही भाषा व तार्किक विकास के लिए विविध गतिविधियां होंगी। इस संबंध में बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं।

उन्होंने विद्यार्थियों में पढ़ने की रुचि विकसित करने व स्क्रीन टाइम कम करने के लिए किताबों के साथ समाचार पत्रों को भी विद्यालय में हर दिन की पढ़ाई का अनिवार्य हिस्सा बनाने के निर्देश दिए हैं। बेसिक व माध्यमिक विद्यालयों को उन्होंने निर्देश दिया है कि हर विद्यालय व पुस्तकालय में हिंदी व अंग्रेजी के प्रतिष्ठित व स्तरीय अखबार की अनिवार्य रूप से उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।

हर दिन प्रार्थना सभा में दस मिनट समाचार वाचन के लिए तय किया जाए। इसमें संपादकीय लेख के अंश, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय व खेल जगत की प्रमुख खबरें पढ़कर सुनाई जाएं। हर दिन समाचार पत्र से पांच नए व कठिन शब्दों का चयन कर उनका अर्थ भी प्रार्थना सभा में बताया जाए।

उन्होंने इन शब्दों को डिस्प्ले बोर्ड, ब्लैकबोर्ड पर भी लिखने को कहा है। विद्यार्थियों को समाचार पत्रों की संरचना और प्रस्तुतीकरण समझाएं और उनसे विद्यालय की मासिक या त्रैमासिक स्तर पर समाचार पत्र या मैगजीन तैयार कराएं। इसका संपादन छात्रों की टीम करेगी। उन्होंने सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक, मंडलीय उप शिक्षा निदेशक, मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक, बीएसए व डीआईओएस को इस व्यवस्था को प्रभावी बनाने के निर्देश दिए हैं। 

संपादकीय पर कराएं समूह चर्चा
अपर मुख्य सचिव ने निर्देश दिया है कि कक्षा नौ व 12 विषय पर संपादकीय लिखने के छात्रों को सप्ताह में एक बार किसी महत्वपूर्ण व कक्षा में समूह चर्चा के लिए प्रेरित करें। अखबारों में छपी समस्याओं व विकास से जुड़ी खबरों को पढ़ने और चर्चा के लिए प्रोत्साहित करें ताकि उनका समाज से जुड़ाव बढ़े और वे जिम्मेदार नागरिक बनें। कक्षा छह से आठ के विद्यार्थियों को विज्ञान, पर्यावरण व खेल की खबरों की कतरनें काटकर एक स्क्रैप बुक तैयार करने के लिए प्रेरित करें। सप्ताह में एक दिन समाचार पत्रों में प्रकाशित होने वाले सुडोकू, वर्ग पहेली व ज्ञानवर्धक क्विज को हल करने की प्रतियोगिता भी कराएं ताकि उनकी तार्किक क्षमता बढ़े।



प्रदेश के विद्यालयों में 'पठन संस्कृति' (Reading Culture) को सुदृढ़ करने एवं समाचार पत्रों के पठन-पाठन को अनिवार्य करने के संबंध में


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