राज्य सरकार ने रखा अपना पक्ष, राज्य कर्मचारी की प्रदेशव्यापी हड़ताल की याचिका खारिज

हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य कर्मियों की प्रदेशव्यापी हड़ताल के मामले में दायर जनहित याचिका को सारहीन मानते हुए खारिज कर दिया है । राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि इस मामले में सरकार ने आठ सदस्यीय कमेटी बना दी है । इसके बाद कर्मचारी यूनियन ने हड़ताल न करने का निर्णय लिया है। लिहाजा याचिका सारहीन हो गई है । यह आदेश न्यायमूर्ति शबीउल हसनैन व न्यायमूर्ति वीरेन्द्र कुमार की पीठ ने याची विनोद कुमार पाठक की ओर से दायर जनहित याचिका को खारिज करते हुए दिए है ।

● यह था मामला

प्रदेश भर के सभी राज्य कर्मियो ने कर्मचारी शिक्षक अधिकारी पेंशन बचाओ मंच के जरिये एलान किया था कि 25 अक्टूबर से सभी कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल करेंगे । कर्मचारी यूनियन की माँग थी कि सरकार काट्रीब्यूटर पेंशन समाप्त कर पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करे । जनहित याचिका दायर कर कहा गया था कि एक साथ प्रदेश भर के कर्मचारिओ के हड़ताल पर जाने से आम आदमी को बहुत परेशानी होगी । कहा गया कि इस प्रकार हड़ताल गैर कानूनी है । याची के वकील गौरव मेंहरोत्रा का कहना था कि कर्मचारियों व सरकार का क्या मुद्दा है इसका सवाल नही उठाया गया है बल्कि इस तरह से प्रदेश भर में हड़ताल करना असंवैधानिक व गैर कानूनी है । याची ने हाईकोर्ट व सुप्रीमकोर्ट की कई दलीलों व न्यायनिर्णयों का हवाला याचिका में देते हुए माग की थी कि इस प्रकार की जा रही हड़ताल पर रोक लगाई जाय । सुनवाई के समय अदालत को बताया गया कि कर्मचारियों की मांग है कि 2005 से लागू कंट्रीब्यूटर पेंशन योजना समाप्त कर पुराने तरीके से कर्मचारियों की पेंशन बहाल की जाये ।अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही व स्थाई अधिवक्ता क्यू एच रिज़वी ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने कमेटी बना दी है इस आधार पर हड़ताल वापस ले ली है । अदालत ने याचिका खारिज कर दी है और भविष्य के लिए याची को छूट भी दे दी है कि आगे अगर कोई मुद्दा उठता है तो याची दोबारा दायर कर सकता है ।

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