नगर क्षेत्र के विद्यालयों में ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत शिक्षकों का विकल्प के आधार पर ट्रांसफर किए जाने हेतु महानिदेशक द्वारा शासन के समक्ष प्रस्ताव प्रेषित

बेसिक शिक्षकों को नगर क्षेत्र आने का मौका, जानिये कौन होगा आवदेन का पात्र 

ग्रामीण अंचल के शिक्षकों से सुधरेगी नगर की शिक्षा व्यवस्था, जानिए कौन होगा पात्र 


उत्तर प्रदेश सरकार बेसिक शिक्षा परिषद (UP Basic Education) के प्राइमरी (Primary School) तथा जूनियर हाई स्कूल (Junior High School) के शिक्षा के स्तर को ऊपर लाने के क्रम में लगातार बड़े प्रयोग कर रही है। इसी क्रम में प्रदेश सरकार ने अब ग्रामीण क्षेत्रों के परिषदीय स्कूलों में पढ़ा रहे सहायक अध्यापकों का नगर क्षेत्र के स्कूलों में तबादला करने का फैसला किया है।


नगर के स्कूलों में शिक्षकों के 77 प्रतिशत तक पद खाली

ग्रामीण क्षेत्रों के परिषदीय स्कूलों में 10 वर्ष तक की सेवा दे चुके सहायक अध्यापकों को नगर क्षेत्र के परिषदीय स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत तय मानक के अनुसार नगर क्षेत्र के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के 77 प्रतिशत पद और उच्च प्राथमिक स्कूलों में 40 प्रतिशत तक पद खाली हैं। शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों की सीधी भर्ती पर रोक और लगातार शिक्षकों के सेवानिवृत्त होने के कारण स्थिति काफी खराब है। अंतर जनपदीय तबादले की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी।


ऐसे स्कूल जहां दो या कम शिक्षक वह आवेदन के पात्र नहीं

ग्रामीण क्षेत्रों के ऐसे स्कूल जहां दो या उससे कम शिक्षक हैं, तो उस स्कूल के शिक्षक स्थानांतरण के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे। महिलाओं, दिव्यांगों व असाध्य रोगी शिक्षकों को स्थानांतरण में वरीयता दी जाएगी। महानिदेशक, स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद की ओर से निर्देश जारी कर दिए गए हैं। एनआइसी की मदद से अंतर जनपदीय स्थानांतरण के लिए पोर्टल तैयार किया गया है। जल्द आनलाइन आवेदन मांगे जाएंगे। जिलों में स्थानांतरण के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी गठित की जाएगी। इसमें मुख्य विकास अधिकारी उपाध्यक्ष होंगे, बेसिक शिक्षा अधिकारी सदस्य-सचिव और जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य व बेसिक शिक्षा विभाग के वित्त एवं लेखाधिकारी को सदस्य बनाया गया है।


नगर क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों के 13,349 पद हैं खाली

प्रदेश के नगर क्षेत्रों के कुल 3,906 प्राथमिक स्कूलों में 4.29 लाख छात्र पढ़ते हैं। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत कुल 14,939 शिक्षक होने चाहिए लेकिन 3,390 शिक्षक ही हैं। ऐसे में नगर क्षेत्र के प्राथमिक स्कूलों में 11,549 शिक्षकों की कमी है। यानी 77 प्रतिशत शिक्षकों के पद खाली हैं। वहीं नगर क्षेत्र के कुल 1,198 उच्च प्राथमिक स्कूलों में 1.08 लाख विद्यार्थी पढ़ते हैं। मानक के अनुसार 4,430 शिक्षक होने चाहिए लेकिन सिर्फ 2,630 शिक्षक ही हैं। ऐसे में उच्च प्राथमिक स्कूलों में 1,800 पद खाली हैं। प्राथमिक स्कूलों व उच्च प्राथमिक स्कूलों दोनों को मिलाकर कुल 13,349 शिक्षकों की जरूरत है।


इन मानकों के आधार पर तय की जाएगी तबादले के लिए मेरिट

ग्रामीण क्षेत्र के परिषदीय स्कूलों से नगर क्षेत्र के परिषदीय स्कूलों में स्थानांतरण के लिए आठ मानकों के आधार पर मेरिट तय की जाएगी। शिक्षक को सेवा के प्रत्येक वर्ष पूर्ण करने पर एक अंक मिलेगा। इसके अधिकतम 15 अंक होंगे। असाध्य रोगों से ग्रस्त शिक्षक स्वयं या उनके पति व अविवाहित बच्चे हैं तो 15 अंक, शिक्षक स्वयं दिव्यांग है या उनके पति व अविवाहित बच्चे दिव्यांग हैं तो 10 अंक, ऐसे शिक्षक जिनके पति या पत्नी सेना व अर्द्धसैनिक बलों में तैनात हैं तो 10 अंक, एकल अभिभावक होने पर 10 अंक, अध्यापक अगर महिला है तो पांच अंक, राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले अध्यापकों को पांच अंक व राज्य स्तरीय पुरस्कार पाने वाले शिक्षकों को तीन अंक दिए जाएंगे।



नगर क्षेत्र के स्कूलों को मिलेंगे शिक्षक, ग्रामीण क्षेत्र में दस वर्ष की सेवा दे चुके शिक्षक कर सकेंगे आवेदन

शहरी क्षेत्र में संचालित बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त चल रहे पदों पर नई तैनाती की उम्मीद जगी है। नगर क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों की व्याप्त कमी के कारण पठन पाठन प्रभावित चल रहा है। इसका सीधा फायदा निजी स्कूलों के संचालक उठा रहे थे। नई तैनाती न होने से शहरी सरकारी स्कूलों में बीते लंबे समय से बहुत कम शिक्षक ही तैनात हैं। इनमें से कई स्कूल तो सिर्फ शिक्षामित्रों के सहारे ही हैं।


बीते कई सालों में प्राइमरी शिक्षकों की नियुक्तियां तो बड़े पैमाने पर हुईं, लेकिन शहरी काडर अलग होने से शिक्षकों की नियुक्ति नगर के स्कूलों में नहीं हो सकीं। वहीं हर साल कार्यरत शिक्षक सेवानिवृत्त होते गए।  शिक्षकों की इस कमी का सीधा खामियाजा शहरी स्कूलों में पंजीकृत बच्चों को भुगतना पड़ रहा है।


इस परेशानी से छुटकारा दिलाने के लिए बीते दिनों महानिदेशक स्कूली शिक्षा विजय किरण आनंद ने शासन को शहरी स्कूलों में शिक्षकों के नियुक्ति का एक प्रस्ताव भेजा है। इसके तहत जो शिक्षक ग्रामीण स्कूलों में दस साल की सेवा दे चुके हैं, उन्हें शहरी स्कूलों में नियुक्ति पाने का मौका मिलेगा। इससे उम्मींद जगी है कि आने वाले दिनों में शहरी क्षेत्र संचालित परिषदीय स्कूलों में रिक्त चल रहे शिक्षकों के पद जल्द ही भर सकेंगे।


शिक्षकों की कमी से चौपट हुई पढ़ाई

शहरी क्षेत्र में संचालित परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों के नियुक्ति पर रोक लगी होने के कारण पैदा हुई शिक्षकों की कमी से पढ़ाई लिखाई चौपट होने की कगार पर है। शिक्षकों की कमी के कारण वर्तमान में इन स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है। इन स्कूलों में तैनात बचे हुए शिक्षक भी सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में फंसे रहते हैं। इसी कारण शहरी क्षेत्र के परिषदीय स्कूलों में बच्चों की पंजीयन संख्या लगातार घट रही है। 



नगर क्षेत्र के विद्यालयों में ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत शिक्षकों का विकल्प के आधार पर ट्रांसफर किए जाने हेतु महानिदेशक द्वारा शासन के समक्ष प्रस्ताव प्रेषित।

दस वर्ष की सेवाएं दे चुके ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षकों को नगर क्षेत्र के स्कूलों में आने का मौका


प्रस्ताव के तहत दस वर्ष की सेवाएं ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में पूरी कर चुके शिक्षक तबादले के लिए आवेदन कर सकेंगे। बीमारी या अन्य कारणों वाले शिक्षकों को भी वरीयता मिलेगी। हालांकि ग्रामीण क्षेत्र के जिन विद्यालयों में दो या दो से कम शिक्षक हैं, उन विद्यालयों के शिक्षक का तबादला न करने का प्रस्ताव है।


लंबे समय बाद ग्रामीण से शहरी क्षेत्र में होंगे बेसिक शिक्षकों के तबादले


● नगर क्षेत्र में शिक्षकों के 77 फीसदी पद खाली
● महानिदेशक ने प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा

 परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों के ग्रामीण से नगर क्षेत्र में तबादले हो सकेंगे। नगर क्षेत्र में प्राथमिक के 77 फीसदी और जूनियर स्कूल में 40 फीसदी पद खाली हैं। नवंबर में इसके लिए वेबसाइट खोली जाएगी। महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद ने इस संबंध में शासन को प्रस्ताव भेजा है। इससे पहले 2010 में ग्रामीण से नगर क्षेत्र में तबादले किए गए थे।

प्राइमरी स्कूलों में 11549, जूनियर स्कूलों में 1800 शिक्षकों के पद खाली है। छात्र शिक्षक अनुपात ठीक रखने के लिए सरकार इस संबंध में निर्णय लेगी। शिक्षकों की वरिष्ठता निर्धारित करने के लिए मानक तय किए जाएंगे। इसमें प्रत्येक सेवा वर्ष के लिए एक अंक और अधिकतम 15 अंक दिए जायेंगे इसके अलावा राज्य अध्यापक पुरस्कार, एकल अभिभावक, सैन्य अधिकारी की पति पत्नी समेत दिव्यांग शिक्षक, असाध्य रोग से ग्रसित शिक्षकों के नंबर तय किए जाएंगे। इसके आधार पर मेरिट बनाई जाएगी। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी बनाई जाएगी। ग्रामीण क्षेत्र के ऐसे स्कूल जहां दो या इससे कम अध्यापक कार्यरत हैं वहां से तबादले नहीं होंगे।










Enter Your E-MAIL for Free Updates :   
व्हाट्सप के जरिये जुड़ने के लिए क्लिक करें।
नगर क्षेत्र के विद्यालयों में ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत शिक्षकों का विकल्प के आधार पर ट्रांसफर किए जाने हेतु महानिदेशक द्वारा शासन के समक्ष प्रस्ताव प्रेषित Reviewed by sankalp gupta on 10:01 PM Rating: 5

No comments:

Contact Form

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.