यूपीटीईटी अभ्यर्थियों में फिर जगी नौकरी की आस : बेसिक शिक्षा परिषद NEWS
- सीएम के एलान के बाद हरकत में आए अफसर
- एक वर्ष से लटकी है प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती
- बीएड अभ्यर्थियों को तदर्थ शिक्षक नियुक्त करने पर भी होगा फैसला
- नये सिरे से विज्ञापन जारी करने में नियमावली बाधा
सूबे के प्राइमरी स्कूलों में 72825 से ज्यादा शिक्षकों की भर्ती करीब एक
वर्ष से अटकी है। इस भर्ती प्रक्रिया में पहले तो विधानसभा के आम चुनाव
आड़े आए। आचार संहिता लागू होने से भर्ती प्रक्रिया ठप हो गई। इसके बाद
कोर्ट ने शिक्षकों की नियुक्ति के विज्ञापन को अवैध करार दिया। अब
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के दो लाख शिक्षकों की परिषदीय स्कूलों में भर्ती
करने के एलान से अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण कर चुके
अभ्यर्थियों को नौकरी पाने की फिर उम्मीद जगी है। अभी भी नये सिरे से
शिक्षक भर्ती का विज्ञापन जारी करने को लेकर नियमावली बदल नहीं पायी है।
नये सिरे से विज्ञापन के लिए हाईकोर्ट ने शासन को आठ दिसम्बर तक की मोहलत
दे रखी।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए सरकार 80 हजार के करीब बीएड उत्तीर्ण कर चुके बेरोजगारों को तदर्थ शिक्षक के रूप में भर्ती की भी तैयारी है। बीएड अभ्यर्थियों के लिए नियमावली को अंतिम रूप दे दिया गया है और जल्द ही आगे की प्रक्रिया को बढ़ाया जा सकेगा। शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके करीब ढाई लाख अभ्यर्थियों ने 72825 पदों के लिए आवेदन किया था। इन अभ्यर्थियों को पहले तीन और फिर बढ़ाकर नौ जिलों में आवेदन की छूट दी गयी थी। पूरे प्रदेश में करीब सात लाख से अधिक आवेदन पत्र आये थे, लेकिन टीईटी की मेरिट के आधार पर भर्ती को लेकर पेंच फंस गया और सरकार को पूरी भर्ती प्रक्रिया निरस्त करनी पड़ी। शिक्षकों की भर्ती निरस्त हुए भी कई महीने हो चुके हैं। इस दौरान शासन ने आवेदन कर चुके अभ्यर्थियों का शुल्क लौटाने का निर्णय लिया था, लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी आवेदन शुल्क वापसी की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पायी है।
सूबे के मुख्यमंत्री ने अपने गृह कस्बे में दो लाख शिक्षकों की भर्ती का एलान कर दिया है। इस फैसले से नौकरी के लिए आवेदन करके अब आवेदन शुल्क लौटाने का इंतजार कर रहे अभ्यर्थियों को राहत मिली है। सीएम के ऐलान के बाद अब निदेशालय से लेकर बेसिक शिक्षा विभाग शासन तक के अफसर हरकत में आ गये हैं। सरकारी अवकाश में निदेशालय बंद होने के बाद भी अधिकारी जल्द से जल्द विज्ञापन तैयार करने में लग गये हैं। सूत्रों का कहना है कि विधानमंडल के सत्र के बीच या फिर इसके खत्म होने के बाद शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को फिर से शुरू किया जा सकेगा है। मालमू हो कि मायावती के शासन काल में परिषदीय शिक्षकों की भर्ती के लिए नवम्बर में ही विज्ञापन जारी किया गया था और दिसम्बर से पहले चयन पूरा करना था। सरकार ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के दिशा-निर्देश को बदलकर शिक्षक भर्ती का मानक टीईटी की मेरिट कर दिया था। इसके बाद टीईटी की मेरिट को लेकर बवाल हो गया। सपा सरकार ने बाद में पूर्व सरकार के इसी शासनादेश को रद कर दिया था और आवेदकों के शुल्क को लौटाने का निर्णय लिया था। टीईटी की भर्ती को सरकार ने रद नहीं की, लेकिन नियुक्तियों की प्रक्रिया को रद कर दिया है।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए सरकार 80 हजार के करीब बीएड उत्तीर्ण कर चुके बेरोजगारों को तदर्थ शिक्षक के रूप में भर्ती की भी तैयारी है। बीएड अभ्यर्थियों के लिए नियमावली को अंतिम रूप दे दिया गया है और जल्द ही आगे की प्रक्रिया को बढ़ाया जा सकेगा। शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके करीब ढाई लाख अभ्यर्थियों ने 72825 पदों के लिए आवेदन किया था। इन अभ्यर्थियों को पहले तीन और फिर बढ़ाकर नौ जिलों में आवेदन की छूट दी गयी थी। पूरे प्रदेश में करीब सात लाख से अधिक आवेदन पत्र आये थे, लेकिन टीईटी की मेरिट के आधार पर भर्ती को लेकर पेंच फंस गया और सरकार को पूरी भर्ती प्रक्रिया निरस्त करनी पड़ी। शिक्षकों की भर्ती निरस्त हुए भी कई महीने हो चुके हैं। इस दौरान शासन ने आवेदन कर चुके अभ्यर्थियों का शुल्क लौटाने का निर्णय लिया था, लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी आवेदन शुल्क वापसी की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पायी है।
सूबे के मुख्यमंत्री ने अपने गृह कस्बे में दो लाख शिक्षकों की भर्ती का एलान कर दिया है। इस फैसले से नौकरी के लिए आवेदन करके अब आवेदन शुल्क लौटाने का इंतजार कर रहे अभ्यर्थियों को राहत मिली है। सीएम के ऐलान के बाद अब निदेशालय से लेकर बेसिक शिक्षा विभाग शासन तक के अफसर हरकत में आ गये हैं। सरकारी अवकाश में निदेशालय बंद होने के बाद भी अधिकारी जल्द से जल्द विज्ञापन तैयार करने में लग गये हैं। सूत्रों का कहना है कि विधानमंडल के सत्र के बीच या फिर इसके खत्म होने के बाद शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को फिर से शुरू किया जा सकेगा है। मालमू हो कि मायावती के शासन काल में परिषदीय शिक्षकों की भर्ती के लिए नवम्बर में ही विज्ञापन जारी किया गया था और दिसम्बर से पहले चयन पूरा करना था। सरकार ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के दिशा-निर्देश को बदलकर शिक्षक भर्ती का मानक टीईटी की मेरिट कर दिया था। इसके बाद टीईटी की मेरिट को लेकर बवाल हो गया। सपा सरकार ने बाद में पूर्व सरकार के इसी शासनादेश को रद कर दिया था और आवेदकों के शुल्क को लौटाने का निर्णय लिया था। टीईटी की भर्ती को सरकार ने रद नहीं की, लेकिन नियुक्तियों की प्रक्रिया को रद कर दिया है।
यूपीटीईटी अभ्यर्थियों में फिर जगी नौकरी की आस : बेसिक शिक्षा परिषद NEWS
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
12:56 PM
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