सभी निजी स्कूलों में नहीं मिलेंगे गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूल की 25 फीसदी सीटों पर मुफ्त एडमिशन :
राज्य सरकार ने भले ही गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूल की 25 फीसदी सीटों पर मुफ्त एडमिशन देने का निर्णय कर लिया है, लेकिन सभी प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को एडमिशन मिलना आसान नहीं होगा। शिक्षा विभाग के अधिकारी गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में मुफ्त एडमिशन दिलाने के लिए नेवरहुड यानी नजदीक के प्राइवेट स्कूलों का चयन कराते हुए इसकी सूची प्रकाशित कराएंगे और इसके आधार पर ही बच्चों को एडमिशन दिया जाएगा। इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग विस्तृत दिशा-निर्देश तैयार कर रहा है, जिसे शीघ्र जारी करने की तैयारी है।
क्षा का अधिकार अधिनियम के तहत 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देने की व्यवस्था की गई है। इसके लिए बच्चों को घर के पास ही स्कूल की व्यवस्था की जानी है। केंद्र सरकार ने इसके लिए स्कूल खोलने का मानक भी निर्धारित कर रखा है। एक किमी और 300 की आबादी पर एक प्राथमिक और 3 किमी और 800 की आबादी पर एक उच्च प्राथमिक स्कूल खोले जाने हैं। इसके बाद भी यदि सरकारी स्कूल की व्यवस्था नहीं हो पाती है, तो स्थानीय प्राधिकारी यानी ग्राम पंचायत, नगर निगम, पालिका परिषद, नगर पंचायत और शिक्षा विभाग के अधिकारी किसी पड़ोसी विद्यालय को चिह्नित करते हुए बच्चों को मुफ्त में एडमिशन दिलाने की व्यवस्था कराएंगे। इन स्कूलों के न होने पर सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों को चिह्नित करते हुए कुल छात्र संख्या के आधार पर 25 फीसदी सीटों पर एडमिशन दिलाने की व्यवस्था की जाएगी।
ग्रामीण क्षेत्रों में खंड शिक्षा अधिकारी और नगर क्षेत्र में नगर शिक्षा अधिकारी ऐसे स्कूलों को चिह्नित करते हुए सूची तैयार कर प्रकाशित कराएंगे, ताकि बच्चों को एडमिशन दिलाया जा सके। माध्यमिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में भी कक्षा 8 तक के स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। इसलिए बेसिक शिक्षा विभाग की तरह माध्यमिक शिक्षा विभाग भी पड़ोसी स्कूल को चिह्नित करेगा। बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग को स्कूल खुलने से पहले ऐसे प्राइवेट स्कूलों को चिह्नित करते हुए सूची प्रकाशित करानी होगी, ताकि गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन का लाभ मिल सके।
क्षा का अधिकार अधिनियम के तहत 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देने की व्यवस्था की गई है। इसके लिए बच्चों को घर के पास ही स्कूल की व्यवस्था की जानी है। केंद्र सरकार ने इसके लिए स्कूल खोलने का मानक भी निर्धारित कर रखा है। एक किमी और 300 की आबादी पर एक प्राथमिक और 3 किमी और 800 की आबादी पर एक उच्च प्राथमिक स्कूल खोले जाने हैं। इसके बाद भी यदि सरकारी स्कूल की व्यवस्था नहीं हो पाती है, तो स्थानीय प्राधिकारी यानी ग्राम पंचायत, नगर निगम, पालिका परिषद, नगर पंचायत और शिक्षा विभाग के अधिकारी किसी पड़ोसी विद्यालय को चिह्नित करते हुए बच्चों को मुफ्त में एडमिशन दिलाने की व्यवस्था कराएंगे। इन स्कूलों के न होने पर सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों को चिह्नित करते हुए कुल छात्र संख्या के आधार पर 25 फीसदी सीटों पर एडमिशन दिलाने की व्यवस्था की जाएगी।
ग्रामीण क्षेत्रों में खंड शिक्षा अधिकारी और नगर क्षेत्र में नगर शिक्षा अधिकारी ऐसे स्कूलों को चिह्नित करते हुए सूची तैयार कर प्रकाशित कराएंगे, ताकि बच्चों को एडमिशन दिलाया जा सके। माध्यमिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में भी कक्षा 8 तक के स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। इसलिए बेसिक शिक्षा विभाग की तरह माध्यमिक शिक्षा विभाग भी पड़ोसी स्कूल को चिह्नित करेगा। बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग को स्कूल खुलने से पहले ऐसे प्राइवेट स्कूलों को चिह्नित करते हुए सूची प्रकाशित करानी होगी, ताकि गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन का लाभ मिल सके।
सभी निजी स्कूलों में नहीं मिलेंगे गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूल की 25 फीसदी सीटों पर मुफ्त एडमिशन :
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
7:23 AM
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