शिक्षक भर्ती में खिंची लक्ष्मण रेखा, बार-बार आवेदन लेने पर न्यायालय गंभीर, शासनादेश निर्गत होने की तारीख को न्यूनतम अर्हता पूरी होनी चाहिए
इलाहाबाद : परिषदीय स्कूलों में 15 हजार शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया डेढ़ बरस चल रही है। इसी माह भर्ती पूरी होने के आसार भी हैं। इस कार्य में शिक्षक बनने के दावेदारों के साथ ही अफसर भी खूब हलकान हुए। एक साल में चार बार आवेदन लिए गए। हर बार तय अभ्यर्थियों को ही आवेदन करना था, लेकिन बीटीसी प्रशिक्षुओं का जैसे-जैसे परिणाम घोषित हो रहा था वह भी दावेदार बनते गए। युवाओं के दबाव के आगे अफसर बेबस नजर आए। चाहकर भी उन युवाओं को भर्ती से बाहर नहीं किया जा सका, जो नियमानुसार दावेदार थे नहीं।
अभ्यर्थी इस मामले को लेकर न्यायालय पहुंचे और बार-बार आवेदन लेने एवं नए-नए दावेदारों को भर्ती में शामिल किए जाने को चुनौती दी। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने महेंद्र प्रताप सिंह व सात अन्य बनाम उप्र राज्य व अन्य याचिका की सुनवाई करते हुए 15 हजार शिक्षक भर्ती के दावेदारों को तो राहत नहीं दी, लेकिन एक नई लकीर जरूर खींच दी। कोर्ट ने कहा कि ‘चयन में आवेदन के लिए अभ्यर्थियों की न्यूनतम शैक्षिक व प्रशिक्षण अर्हता शासनादेश निर्गत होने की तारीख को पूर्ण होनी चाहिए।’ इस निर्देश ने सब स्पष्ट कर दिया कि जिन युवाओं के निमित्त भर्ती होगी, उसमें उन्हीं को मौका मिलेगा। यही नहीं 2013 बैच के जिन युवाओं का परिणाम अगले माह आ रहा है वह भी चाहकर इसमें शामिल नहीं हो सकेंगे, क्योंकि कोर्ट से तय की गई लक्ष्मण रेखा लांघने की जुर्रत अफसर कतई नहीं करेंगे। इसमें 15 हजार शिक्षक भर्ती से बचने वाले अभ्यर्थी बीटीसी 2011, 2012 एवं इसके पहले बैच के युवा दावेदारी कर पाएंगे। बाकी को अगली भर्ती आने का इंतजार करना होगा।
दरअसल, 15 हजार शिक्षक भर्ती भी बीटीसी 2011 तक के करीब 13 हजार से अधिक बीटीसी प्रशिक्षुओं को ध्यान रखकर शुरू की गई थी। पहले इसमें बीटीसी 2012 बैच ने प्रवेश पा लिया।
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