सरकारी स्कूलों से मोहभंग : शिक्षा की गुणवत्ता खराब होने के कारण निजी स्कूलों में दाखिला ले रहे छात्र, गैर मान्यता प्राप्त स्कूल अवैध तरीके से चल रहे


नई दिल्ली : देश में सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता अच्छी नहीं होने के कारण निजी स्कूलों का प्रभुत्व तेजी से बढ़ रहा है। नई शिक्षा नीति को लेकर पूर्व कैबिनेट सचिव टी. एस. आर. सुब्रrाण्यम समिति की रिपोर्ट इस बारे में आंखे खोलने वाली है। रिपोर्ट के अनुसार तीन लाख निजी स्कूलों में 8.56 करोड़ बच्चे पढ़ रहे हैं। जबकि 11 लाख सरकारी स्कूलों में 11.9 करोड़ बच्चे ही रह गए हैं। समिति ने पिछले महीने अपनी रिपोर्ट मानव संसाधन विकास मंत्रलय को सौंपी है। रिपोर्ट हालांकि नई शिक्षा नीति बनाने को लेकर है, लेकिन इसमें शिक्षा की मौजूदा दुर्दशा की तरफ भी ध्यान आकृष्ट किया गया है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि किस प्रकार सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता खराब होने के कारण अभिभावक बच्चों का दाखिला निजी स्कूलों में करा रहे हैं। ज्यों-ज्यों लोगों की आर्थिक स्थिति ठीक हो रही है, वे सरकारी स्कूलों का मोह छोड़ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए बच्चों को निजी स्कूल में भर्ती करा रहे हैं। रिपोर्ट में 2014-15 में देश भर के स्कूलों में एडमिशन के आंकड़ों का हवाला दिया गया है। देश में कुल 14 लाख स्कूलों में 19.77 करोड़ बच्चे पढ़ रहे थे। लेकिन सरकारी स्कूलों की संख्या निजी स्कूलों के करीब-करीब चार गुना है। लेकिन उनमें पढ़ने वाले बच्चों की संख्या निजी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की संख्या से ज्यादा है। सरकारी स्कूलों में औसतन प्रति स्कूल 108 बच्चे पढ़ रहे हैं, जबकि निजी स्कूल में 285 बच्चे पढ़ रहे हैं।

सरकारी स्कूलों से मोहभंग : शिक्षा की गुणवत्ता खराब होने के कारण निजी स्कूलों में दाखिला ले रहे छात्र, गैर मान्यता प्राप्त स्कूल अवैध तरीके से चल रहे Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 8:49 AM Rating: 5

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