पुस्तकों में दिखे पाठ्यक्रम व स्थानीय परिवेश का संतुलन, परिषदीय विद्यालयों की पाठ्य पुस्तकों को इन दिनों नए सिरे से तैयार किया जा रहा, स्थानीय बोलियों में पठन-पाठन कराने की तैयारी
इलाहाबाद : प्राथमिक विद्यालयों की पाठ्य पुस्तकों को इन दिनों नए सिरे से तैयार किया जा रहा है। उसके लिए शिक्षाविदों के तमाम सुझाव भी आए हैं साथ ही प्रदेश की स्थानीय बोलियों में पठन-पाठन कराने की तैयारी है।
इस कार्य का जायजा लेने राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद उप्र के निदेशक डा. सर्वेद्र विक्रम बहादुर सिंह राज्य शिक्षा संस्थान उप्र इलाहाबाद पहुंचे। उन्होंने कई दिशा-निर्देश दिए साथ ही टेक्नोफ्रेंडली होने पर विशेष जोर दिया।
प्राथमिक स्तरीय शिक्षक संदर्शिका निर्माण की कार्यशाला के प्रतिभागियों से निदेशक डा.सिंह ने कहा कि कक्षा एक, दो व तीन की पाठ्यपुस्तकों के रिव्यू व विकास तथा शिक्षक संदर्शिका निर्माण के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि लंबे अंतराल के बाद पाठ्यपुस्तकें तैयार की जा रही हैं। हमें इनका विकास करते समय अपने पाठ्यक्रम, स्थानीय परिवेश व एनसीईआरटी सहित अन्य राज्यों व प्रकाशकों की उत्कृष्ट पाठ्य पुस्तकों को भी संदर्भ रूप में दृष्टिगत रखना होगा।
शिक्षक संदर्शिका के संबंध में उन्होंने कहा कि संदर्शिका के विकास में शिक्षकों की शिक्षण संबंधी आवश्यकताओं एवं कठिनाइयों को ध्यान में रखकर व्यावहारिक विषयवस्तु का समावेश किया जाए। मौजूदा समय की जरूरत टेक्नोफ्रेंडली होना है। राज्य शिक्षा संस्थान के प्राचार्य दिव्यकांत शुक्ल ने संस्थान के कार्यो की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कार्यो की प्रगति बताई। कार्यक्रम का समन्वयन नीलम मिश्र व शशिबाला चौधरी ने किया।
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