BTC 2015 प्रवेश : गड़बड़ी डायट की, इल्जाम निजी कालेजों पर, खाली सीटों का ठीकरा निजी कालेजों के सिर फोड़ने की बिसात बिछी, कालेज आवंटन में जमकर धांधली डायट स्टॉफ ने की
इलाहाबाद : बीटीसी 2015 की रिपोर्ट तलब होते ही खाली सीटों का ठीकरा निजी कालेजों के सिर फोड़ने की बिसात बिछ गई है। हकीकत यह है कि कालेज आवंटन में जमकर धांधली डायट स्टॉफ ने की है, लंबी फीस देने के बाद भी मनचाहा स्कूल न मिलने के कारण अभ्यर्थी थोपे गए स्कूल जाना नहीं चाहते हैं। इस पर पर्दा डालने के लिए निजी कालेजों को घेरा जा रहा है। अब भी कालेज संशोधन के नाम पर उगाही का खेल चल रहा है।
प्रदेश के बीटीसी कालेजों में सत्र 2015 के लिए प्रवेश प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। वहां की सभी सीटें नहीं भर पाई हैं। परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने डायट प्राचार्यो से तीन दिन में प्रवेश कार्य की रिपोर्ट मांगी है। इसी के साथ सीटें न भर पाने की तोहमत निजी कालेजों पर लगाने की मुहिम चल पड़ी है। डायट प्राचार्य कह रहे हैं कि निजी कालेजों में अवैध धन उगाही हो रही है इसलिए अभ्यर्थी वहां प्रवेश लेने से कतरा रहे हैं। यदि सीटें नहीं भरती हैं तो निजी कालेज संचालक जिम्मेदार होंगे।
वहीं, इसके उलट निजी कालेजों के आवंटन के नाम पर डायट में ही जमकर धांधली होने की शिकायतें हैं। मेरिट को धता बताकर मनमाने तरीके से कालेज थोपे गए। अभ्यर्थियों का कहना है कि डायट के मुकाबले निजी कालेज में चार गुना अधिक है इसके बाद भी मनपसंद कालेज नहीं दिया गया। वह सवाल करते हैं कि निजी कालेज संचालक अभ्यर्थियों से अवैध धन मांग रहे हैं तो उस पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी किसकी है। डायट प्राचार्य व उनका स्टॉफ जब खुद हेराफेरी में लगा है तो निजी कालेजों से उम्मीद करना ही व्यर्थ है। अभ्यर्थी यह भी कहते हैं कि निजी कालेजों में नियमित अंतराल पर वसूली की जाती है, लेकिन किसी भी कालेज के विरुद्ध सख्त कार्रवाई नहीं हुई।
परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने इस बार सत्र शुरू होने से पहले तीन दिन प्रवेश का मौका निजी कालेजों को देने का निर्देश दिया था। असल में कई निजी कालेजों ने हाईकोर्ट में याचिका की थी कि डायट प्राचार्य उनके यहां सीटें भरने पर गंभीर नहीं होते। इसलिए सचिव ने सीटें न भरने पर अंतिम तीन निजी कालेजों को ही देने का आदेश दिया, लेकिन अधिकांश डायट प्राचार्यो ने इसकी अनदेखी की।
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