नए सिरे से तैयार होगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति, अंतिम मसौदे के लिए विशेषज्ञों का चयन अन्तिम चरण में, रोजगार और स्थानीय भाषा को बढ़ावा देने की तैयारी
नई दिल्ली : मोदी सरकार में नई स्वास्थ्य नीति की घोषणा के बाद अब शिक्षा नीति को भी जल्दी जारी करने की तैयारी की जा रही है। पिछली मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इसके लिए लंबी प्रक्रिया के बाद एक मसौदा तैयार करवाया था, जिसे मौजूदा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर नए सिरे से तैयार कराने में जुटे हैं। जल्दी ही वे इसे अंतिम रूप देने के लिए एक समिति गठित करने वाले हैं।
मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रलय इन दिनों नई शिक्षा नीति को तैयार करने के लिए विशेषज्ञों के चयन में जुटा हुआ है। इसके लिए विभिन्न नामों पर विचार हो रहा है। वैज्ञानिक आरए माशेलकर और गोवर्धन मेहता के अलावा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पूर्व अध्यक्ष अरुण निगवेकर जैसे कई नामों पर गौर किया जा रहा है। संघ की ओर से इस पर अंतिम मुहर लगने का भी इंतजार है। पिछले मसौदे में जहां रोजगारपरक शिक्षा को बढ़ावा देने की बात कही गई थी, वहीं प्राथमिक शिक्षा में स्थानीय भाषा को बढ़ावा देने की वकालत भी थी।
प्रकाश जावड़ेकर की के तहत देश भर के सभी गांव, ब्लॉक और जिलों से इसके लिए राय मंगवाई गईं। पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रrाण्यम की अध्यक्षता में बनी एक समिति ने इसके अंतिम मसौदे को तैयार किया था। मगर सुब्रrाण्यम और ईरानी के बीच अनबन के बाद उस मसौदे को सार्वजनिक नहीं किया गया। इसके बाद मंत्रलय ने अपने स्तर पर एक और मसौदा तैयार किया और उसे सार्वजनिक किया। फिर उस मसौदे पर लोगों की एक बार और राय मांगी गई। पिछले साल के 30 सितंबर तक यह प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई थी। मगर इसके बाद से एचआरडी मंत्रलय इसको लेकर कोई कदम नहीं बढ़ा सका है। पिछली राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में बनी थी और 1992 में संशोधित नीति घोषित की गई थी। इसके बाद से बदली जरूरतों को देखते हुए नई शिक्षा नीति को तैयार करना बेहद जरूरी हो गया है।
No comments:
Post a Comment