शिक्षामित्रों के लिए राह तलाश रही सरकार, मामला विधान परिषद में गूंजा, नौकरी छीनने वाली सरकार बताने पर सपा सरकार की 90% भर्तियों को कोर्ट द्वारा रद्द किए जाने पर उठाए सवाल
लखनऊ : शिक्षामित्रों का समायोजन रद होने का मुद्दा गुरुवार को विधान परिषद में गूंजा। नेता सदन डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि शिक्षामित्रों के मामले में सरकार ऐसा रास्ता तलाश रही है जिससे कि उनका हित संरक्षित रहे और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन भी हो।
समाजवादी पार्टी के संतोष यादव ‘सनी’ ने सरकार पर बीटीसी/विशिष्ट बीटीसी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के लिए शिक्षकों के 12,460 पदों और उर्दू शिक्षकों के 4000 पदों पर भर्ती प्रक्रिया रोकने का आरोप लगाते हुए इस पर काम रोक कर चर्चा कराने की मांग की। निर्दल समूह के चेत नारायण सिंह ने भी परिषदीय स्कूलों में 12,460 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया रोकने का मुद्दा उठाया। नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन ने कहा कि भाजपा सरकार नौकरी देने वाली नहीं, लेने वाली सरकार है। जवाब में डॉ.दिनेश शर्मा ने कहा कि पिछली सरकार में विभिन्न आयोगों द्वारा की गईं नियुक्तियों में नियम-कानून का पालन न किए जाने से कई तरह की विसंगति पैदा हो गई है। सरकार इसका परीक्षण करा रही है। जहां अनियमितता पाई जाएगी, वह नियुक्तियां रद होंगी, जहां नियमों का पालन हुआ होगा, वह स्वीकार होंगी।
इस पर अहमद हसन ने कहा कि यह नियुक्तियां सपा सरकार ने शुरू की थीं, इसलिए भाजपा सरकार ने उन पर दुर्भावनावश रोक लगा रखी है। समाजवादी सरकार ने शिक्षामित्रों के समायोजन को रद करने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में उनकी लड़ाई लड़ी। वहीं शिक्षामित्रों को लेकर सरकार की नीयत ठीक नहीं है। उन पर पलटवार करते हुए डॉ. दिनेश शर्मा ने उनसे सवाल किया कि ऐसा क्यों है कि सपा सरकार में हुईं 90 फीसद नियुक्तियां कोर्ट ने रद कर दीं। जानते हुए भी नियमों का पालन न कर सपा सरकार बेरोजगार युवाओं को दिग्भ्रमित कर रही थी। शिक्षामित्र मामले में भी सपा सरकार ने जानबूझ कर त्रुटि की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने उजागर किया।
फिर उन्होंने कहा कि यह शिक्षामित्रों के जीवन का प्रश्न है। इसमें राजनीति नहीं करनी चाहिए। सरकार उनके लिए राह तलाश रही है। उन्होंने शिक्षामित्रों से धैर्य व संयम बनाए रखे की अपील की। सरकार के जवाब से असंतुष्ट सपा सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया।
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