फल बांटने में लखनऊ विफल, 874 स्कूलों के साथ राजधानी टॉप पर, दूसरे नंबर पर सीतापुर, 72 जिलों के सरकारी स्कूलों में नहीं बांटे जा रहे फल, जांच के निर्देश
इलाहाबाद : प्रदेश में पर्याप्त बजट के बावजूद 72 जिलों के सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिड-डे मील के तहत मिलने वाले मौसमी फल नहीं बांटे गए। बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए 2015 से मौसमी फल दिए जाने का फैसला हुआ था। जिन जिलों में फल नहीं बांटे गए, उनमें लखनऊ 874 स्कूलों के साथ पहले नंबर पर है। दूसरा स्थान 770 स्कूलों के साथ सीतापुर और तीसरा 689 स्कूलों के साथ बाराबंकी का है।
गोरखपुर इसमें 553 डिफाल्टर स्कूलों के साथ चौथे नंबर पर है। लिस्ट में 432 स्कूलों के साथ गाजियाबाद और 329 स्कूलों के साथ वाराणसी भी शामिल है। बच्चों को फल न दिए जाने का यह मामला तब सामने आया, जब मिड-डे मील, अथॉरिटी इंट्रेक्टिव वायस रिस्पॉन्स सिस्टम (आईवीआरएस) के तहत मिले आंकड़ों का विश्लेषण कर रही थी। अब इस मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं।
⚫ सीएम योगी ने भी की थी अपील
दो दिन पहले यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने विधान सभा में नेताओं से अपील की थी कि वे अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजें। इलाहाबाद हाई कोर्ट भी नेताओं और अधिकारियों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजने के आदेश दे चुका है। सरकारी स्कूलों में बच्चों की शत-प्रतिशत उपस्थिति के लिए सरकार ने एक जुलाई से ‘खूब पढ़ो, खूब बढ़ो’ अभियान की शुरुआत की थी।
⚫ 100 कुपोषित जिलों में यूपी के 40
2011 की जनगणना की बात करें तो देश के 100 सबसे कुपोषित जिलों की सूची में यूपी के 40 जिले शामिल हैं। यहां के बच्चों के भोजन में पोषक तत्वों की कमी है। इसे देखते हुए सरकार ने मिड-डे मील में बच्चों को मौसमी फल देने का निर्णय लिया था। मई में सरकार ने मिड-डे मील में फल देने के लिए 200 करोड़ का बजट तय करते हुए 66.05 करोड़ जारी कर दिए थे, ताकि एक जुलाई से सत्र शुरू होते ही मिड-डे मील में बच्चों को फल दिए जा सकें।
करोड़ का बजट मई-2017 में किया गया था तय
प्रदेश के 75 में से 72 जिलों के स्कूलों में बच्चों को फल नहीं बांटे गए। संबंधित जिलों के डीएम को पत्र लिखकर मामले की जांच के लिए कहा है। साथ ही एमडीएम के नियमों के मुताबिक, मिड-डे मील के तहत फल का वितरण करवाने को भी कहा है। -अब्दुल शमद, निदेशक, यूपी एमडीएम
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