आश्चर्यजनक : 100 फीसद अंकों के साथ डीएलएड में दावेदारी, अभ्यर्थियों ने मनमाने तरीके से अंक भरकर किया आवेदन, झूठे दावे करने वालों ने अब कालेज विकल्प से किया किनारा
इलाहाबाद : डीएलएड (पूर्व बीटीसी) 2017 का दो वर्षीय प्रशिक्षण पाने के लिए अभ्यर्थियों ने आवेदन में ही फर्जीवाड़ा किया है। एक नहीं कई अभ्यर्थियों ने अपनी एकेडमिक मेरिट 100 फीसद होने का दावा करते हुए दावेदारी की है, यह मेरिट किसी भी दशा में संभव नहीं है। खास बात यह है कि डीएलएड की राज्य स्तरीय रैंक को ऊंचा उठाने वाले कथित अभ्यर्थियों ने कालेज विकल्प भरने से किनारा कर लिया है।
आमतौर पर परीक्षार्थी गणित, संस्कृत आदि विषयों में ही पूरे अंक पाते हैं, लेकिन अन्य विषयों में सौ फीसद अंक पाना बेहद मुश्किल व असंभव सरीखा है। यह जरूर है कि पिछले दिनों उप्र लोकसेवा आयोग ने आरओ-एआरओ 2014 के जो अंक जारी किए उसमें कई अभ्यर्थियों को 60 में से 60 अंक मिले हैं और कुछ को शून्य में शून्य अंक मिले। आयोग की तर्ज पर ही ऐसा ही कारनामा डीएलएड के आवेदन में भी देखने को मिला है। बीते 27 अगस्त को परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने सात लाख 19 हजार आवेदकों में से चार लाख तक की रैंक वालों की राज्य स्तरीय मेरिट जारी की। इसमें शुरुआत के नौ अभ्यर्थी ऐसे हैं जिन्होंने अपनी एकेडमिक मेरिट 100 फीसद होने का दावा किया है। वहीं, दसवीं रैंक से लेकर 21वीं रैंक तक के अभ्यर्थियों ने अपनी एकेडमिक मेरिट 299.07 बताई है। यह दोनों एकेडमिक मेरिट किसी भी दशा में संभव नहीं है। सीबीएसई व आइसीएसई बोर्ड से भी इस तरह के अंक नहीं मिलते हैं। इसके बाद एक-एक अंक पर अभ्यर्थियों की संख्या बढ़ती गई है।
हालांकि ऊंची मेरिट वाले अभ्यर्थियों ने कालेज आवंटन का विकल्प भरने में किनारा कर लिया है, क्योंकि उनके पास हकीकत में ऐसे शैक्षिक अभिलेख होना संभव नहीं है। इसीलिए एक लाख रैंक वालों में से महज 73 हजार ने ही कालेज विकल्प दिए हैं, बाकी के आवेदन या तो फर्जी हैं या फिर किन्हीं वजहों से उन्होंने अभी दावेदारी नहीं की है, लेकिन जिस तरह से इस वर्ष ऑनलाइन काउंसिलिंग हो रही है उसमें देरी करने में मनचाहा कालेज मिलने की उम्मीद आगे खत्म हो जाएगी।
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