स्वच्छ स्कूलों की राष्ट्रीय रैकिंग से उत्तर प्रदेश व बिहार बाहर, विभिन्न राज्यों के 172 स्कूलों को ही मिली जगह, अगले साल से निजी स्कूल भी होंगे प्रतियोगिता में शामिल

नई दिल्ली: मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने शुक्रवार को देशभर के साफ-सुथरे स्कूलों की राष्ट्रीय रैकिंग जारी की। इसमें विभिन्न प्रदेशों के 172 स्कूलों को जगह मिली है। मंत्रलय ने राष्ट्रीय रैकिंग में जगह बनाने वाले स्कूलों को 50 हजार रुपये और प्रमाण पत्र देकर पुरस्कृत भी किया। खास बात यह है कि इसमें उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे बड़े राज्यों के एक भी स्कूल को जगह नहीं मिली। प्रतियोगिता में देश के सभी 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जिला और राज्य स्तर के सरकारी विद्यालयों ने हिस्सा लिया था।



 केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वच्छता रैकिंग के स्कूलों को पुरस्कृत करते हुए कहा कि अगले साल यानी वर्ष 2017-18 में स्वच्छ स्कूलों की इस प्रतिस्पर्धा में सरकारी स्कूलों के साथ देश के निजी स्कूल भी शामिल होंगे। उन्होंने इस संबंध में विभागीय अधिकारियों को निर्देश दे दिए हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2016-17 में आयोजित प्रतिस्पर्धा में देशभर के करीब 2.68 लाख स्कूलों ने भागीदारी की। राष्ट्रीय रैकिंग में तमिलनाडु के सबसे अधिक 25 स्कूलों ने जगह बनाई। 


वहीं आंध्र प्रदेश के 21, राजस्थान के 15, महाराष्ट्र के 15, तेलंगाना के 14, पश्चिम बंगाल के 10, कर्नाटक व हिमाचल प्रदेश के आठ- आठ, गुजरात व असम के छह-छह, दिल्ली के पांच, मध्य प्रदेश के चार, पंजाब के तीन और छत्तीसगढ के दो स्कूलों को जगह मिली है। इस प्रतिस्पर्धा में स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के अलावा यूनीसेफ और एएससीआइ तकनीकी और ज्ञान भागीदार थे। स्कूलों की एक स्वतंत्र टीम से जांच भी कराई गई थी, जिसके बाद इसे अंतिम रूप दिया गया।


स्वच्छ स्कूलों की राष्ट्रीय रैकिंग से उत्तर प्रदेश व बिहार बाहर, विभिन्न राज्यों के 172 स्कूलों को ही मिली जगह, अगले साल से निजी स्कूल भी होंगे प्रतियोगिता में शामिल Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 1 on 8:07 AM Rating: 5

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