बीएसए फिर डीआइओएस बनकर दोनों की मलाई काटने पर लगेगा अंकुश,कोड से पहचाने जाएंगे बेसिक व माध्यमिक शिक्षा अफसर
शिक्षा महकमे में माध्यमिक व बेसिक के अफसरों का बंटवारा होने को है। दोनों का अलग स्थापना पटल होने के साथ ही प्रोन्नति आदि भी उसी के हिसाब से होगी। साथ ही उनकी पहचान कोड के जरिये होगी। अफसरों से विकल्प भी मांगा जाएगा कि आखिर पदोन्नति पाने पर वह कहां सेवाएं देंगे। आमतौर पर बीएसए रहने वाले अफसर डीआइओएस आसानी से बनते रहे हैं। इस पहल से उन पर अंकुश लगेगा।
प्रदेश सरकार में माध्यमिक व बेसिक शिक्षा का महकमा और मंत्रीगण अलग हैं और दोनों के स्कूल कालेज भी अपने नियमों से चल रहे हैं लेकिन, इन्हें संचालित करने वाले अफसर दोनों विभाग में पदासीन होते आ रहे हैं। कुछ अफसरों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश ने दोनों महकमों में सेवाएं दी हैं। तमाम अफसर ऐसे भी हैं जो अपनी पहुंच के दम पर बारी-बारी से फील्ड के पदों पर ही जमे हैं, जिले व मंडल में तैनाती के दौरान ‘खेल’ करके वह आसानी से दूसरे पदों पर काबिज हो जाते रहे हैं, वहीं कई शिक्षा निदेशालय व अन्य कार्यालयों से निकल नहीं सके हैं। शासन स्तर पर पिछले दिनों दोनों विभागों के पदों व अफसरों का अलग-अलग चिन्हांकन करने के लिए चर्चा हुई है। इसमें समूह ‘ख’ के अधिकारियों बीएसए, वरिष्ठ प्रवक्ता डायट, प्रधानाचार्य राजकीय इंटर कालेज आदि अफसरों की स्थापना, अधियाचन, स्थानांतरण, सेवा संबंधी मामले व पदोन्नति आदि की कार्यवाही शिक्षा अनुभाग एक से किए जाने पर मंथन हुआ। यह कहा गया कि समूह ‘ख’ से ‘क’ में प्रोन्नत अफसरों से विकल्प लिया जाए कि आगे ही सेवा वह किस विभाग में करेंगे। सचिवालय प्रशासन विभाग से बेसिक शिक्षा विभाग के लिए अलग कोड आवंटित किए जाने का अनुरोध होगा। दोनों निदेशकों से समूह ‘क’ व ‘ख’ के अधिकारियों के चिन्हांकन के लिए आख्या मांगी जाएगी।
’>>अफसर देंगे विकल्प, संवर्ग ‘क’ में प्रोन्नत होने पर किस विभाग में रहेंगे
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