हाईकोर्ट ने सरकार से मांगी व्यवस्थागत जानकारी, बेसिक टीचरों के कंप्यूटराइज्ड डाटा पर जानकारी तलब


हाईकोर्ट ने सरकार से मांगी व्यवस्थागत जानकारी, बेसिक टीचरों के कंप्यूटराइज्ड डाटा पर जानकारी तलब

हाई कोर्ट ने बेसिक स्कूलों के शिक्षक-कर्मचारियों के डेटा की मांगी जानकारी, कहा-होना चाहिए खाली पद स्वत: भरने का सिस्टम

शिक्षकों से क्यों ली जा रही बीएलओ की ड्यूटी : हाई कोर्ट

बिना सुने नहीं खारिज कर सकते याचिका• एनबीटी ब्यूरो, इलाहाबाद : हाईकोर्ट ने कहा है कि, बीस साल बाद याचिका वैकल्पिक उपचार के आधार पर खारिज नहीं की जा सकती। वर्षों बीत जाने के बाद बिना सुने याचिका खारिज करना सही नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने एकलपीठ के आदेश को रद करते हुए नए सिरे से निर्णय के लिए याचिका वापस कर दी है। यह आदेश जस्टिस एमसी त्रिपाठी और जस्टिस नीरज तिवारी की खंडपीठ ने आठवीं बटालियन पीएसी बरेली के कॉन्स्टेबल गणेश कुमार की अपील को स्वीकार करते हुए दिया है। याची को लम्बी छुट्टी के बाद नशे की हालत में कार्यभार संभालते समय अधिकारियों से दुर्व्यवहार करने के आरोप में निलम्बित कर दिया गया था।• एनबीटी ब्यूरो, इलाहाबाद : कोर्ट ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा व बेसिक शिक्षा परिषद से हलफनामा मांगते हुए पूछा है कि कोर्ट की रोक के बावजूद सहायक अध्यापकों से शिक्षण के अतिरिक्त बीएलओ का काम क्यों लिया जा रहा है। कोर्ट के उप्र प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ बांदा केस के फैसले का पालन न करने पर यह स्पष्टीकरण मांगा है। यह भी पूछा है कि इस आदेश को लागू करने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं। पूर्व में दिए गए स्पष्ट आदेश का पालन न होने से नाराज कोर्ट ने पूछा कि क्यों न इसे कोर्ट की अवमानना माना जाए। याचिका पर अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी। यह आदेश जस्टिस एसपी केशरवानी ने मनोज कुमार व तीन अन्य सहायक अध्यापकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।याचिका में कहा गया है कि, अध्यापकों से बूथ लेबल ऑफिसर का काम लिया जा रहा है, जो अनिवार्य शिक्षा कानून, हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का खुला उल्लंघन है। याचियों का कहना है कि उन्हें वोटर लिस्ट तैयार करने के कामों में न लगाया जाए। कोर्ट ने प्राइमरी स्कूल अध्यापकों से बीएलओ का काम लेने पर रोक लगा रखी है। कोर्ट की रोक के बावजूद उन्हें गैर शैक्षिक कार्य के लिए भेजा जा रहा है।

स्वतः ऐसे खाली पदों को भरने का सिस्टम बनाया जा सकता है, जिससे पद खाली होने पर भर्ती विज्ञापन की अधिकारियों से अनुमति लेने की जरूरत ही न पड़े। कोर्ट ने पूछा कि अनिवार्य शिक्षा कानून के तहत सत्र शुरू होते ही अध्यापकों की जरूरत पूरी करने में बाधा पहुंचाने वाले अधिकारियों के खिलाफ क्या अर्थदंड लगाया जाना चाहिए, जिससे स्टाफ व शिक्षक की कमी के चलते बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो। 


याचिका में कहा गया है कि, अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 के तहत बच्चों को शिक्षा पाने का अधिकार है। संस्था प्राइमरी व जूनियर हाईस्कूल की कक्षा चलाती है। जहां केवल चार शिक्षक ही है। अतिरिक्त पदों पर भर्ती विज्ञापन निकालने की अनुमति नहीं दी जा रही है, जिससे पढ़ाई प्रभावित हो रही है। कोर्ट ने कहा कि, छात्र संख्या के आधार पर स्टाफ व अध्यापक होने चाहिए। जिससे सरकारी खजाने पर अनावश्यक बोझ न पड़े। इसके लिए कम्प्यूटराइज्ड डाटा तैयार करना बेहतर विकल्प है।• एनबीटी ब्यूरो, इलाहाबाद : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के अध्यापकों व कर्मचारियों के स्वीकृत पदों का कम्प्यूटराइज्ड डाटा उपलब्ध है या नहीं। यदि नहीं है तो कितने समय में डाटा तैयार कर लिया जाएगा। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि, कितने अध्यापक व कर्मचारी इस शिक्षा सत्र में सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। जस्टिस एसपी केशरवानी की कोर्ट ने प्रबंध समिति नागेश्वर प्रसाद पीएमवी स्कूल देवरिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से यह सवाल किया है। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 9 जुलाई को प्रमुख सचिव व बीएसए से व्यक्तिगत हलफनामा मांगते हुए महाधिवक्ता को सरकार का पक्ष रखने के लिए कहा है।


कोर्ट ने कहा कि धारा-25 के तहत अध्यापक या कर्मचारी का पद रिक्त होते ही



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