शिक्षामित्रों की खातिर नई लकीर खींचने की तैयारी, नियुक्ति दिलाने के लिए तय उत्तीर्ण प्रतिशत से पांच अंक घटाने की फिर हाईकोर्ट से गुहार लगाने की तैयारी
■ हाईकोर्ट बीच में नियम बदलने से नहीं हुआ था सहमत
■ उत्तीर्ण प्रतिशत कम करने की बहुत कठिन है डगर
इलाहाबाद : प्रदेश सरकार फिर शिक्षामित्रों की खातिर नई लकीर खींचने की तैयारी में है। वजह यह है कि भर्ती की लिखित परीक्षा के चंद दिन उत्तीर्ण प्रतिशत बढ़ने से काफी कम संख्या में अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए हैं, माना जा रहा है सबसे अधिक नुकसान शिक्षामित्रों का ही हुआ है। उन्हें नियुक्ति दिलाने के लिए तय उत्तीर्ण प्रतिशत से पांच अंक घटाने की गुहार हाईकोर्ट में लगाने की है। हालांकि यह मुहिम मुकाम तक पहुंचने की डगर बहुत कठिन है और भर्ती में शायद अपने तरह का अनूठा प्रयास भी है।
परिषदीय स्कूलों की सहायक अध्यापक भर्ती 2018 की लिखित परीक्षा में परिणाम में कुल भर्ती की 26944 सीटें खाली हो रही हैं। परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थी 68500 पदों के लिए अर्ह नहीं मिल सके हैं। भर्ती की सीटें भरने के लिए अब फिर से सरकार कोर्ट की शरण में जाकर पांच फीसदी अंक घटाने की गुहार लगाएगी।
हालांकि सरकार ने शिक्षामित्रों के लिए 21 मई को सामान्य व ओबीसी के लिए 33 व एससी-एसटी के लिए 30 फीसदी अंक का प्रावधान किया था लेकिन, हाईकोर्ट ने उसे नहीं माना। कोर्ट का कहना था कि बीच में भर्ती के नियम नहीं बदले जा सकते। इसलिए शासनादेश का उत्तीर्ण प्रतिशत लागू हुआ। वहीं, शीर्ष कोर्ट इसी तरह के निर्णय कई बार दे चुका है। ऐसे में सरकार की इस दलील को कोर्ट मानेगा इस पर संशय बरकरार है।
■ अंक प्रतिशत घटा तो बनेगी नजीर : भर्ती परीक्षाओं में अब तक इस तरह का मामला सामने नहीं आया है कि कुल पदों के सापेक्ष उतने अभ्यर्थी ही सफल न हुए हों। अब हाईकोर्ट यदि सरकार की गुहार सुन लेता है तो यह भर्ती अपने आप में नजीर होगी। इसके पहले तक लोकसेवा आयोग आदि में अर्ह अभ्यर्थी न मिलने से चयन न होने के कई मामले हैं लेकिन, भर्ती के तय पदों से कम उत्तीर्ण होने का यह अनूठा प्रकरण है।
■ विशेषज्ञ भी दो धड़ों में बंटे
यूपीपीएससी के पूर्व परीक्षा नियंत्रक बादल चटर्जी कहते हैं कि सरकार का यह निर्णय उचित नहीं है, जिस कमेटी ने उत्तीर्ण प्रतिशत का मानक तय किया, उसने इन अंकों पर शिक्षकों की गुणवत्ता देखी होगी, अब कम अंक पर चयन होने से गुणवत्ता प्रभावित होगी। यूपी पीएससी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. केबी पांडेय ने कहा कि इस तरह का यह रिजल्ट पहला है, सरकार चाहे तो सीटें भरने के लिए उत्तीर्ण प्रतिशत कम करने की गुहार लगा सकती है।
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