बदले मानकों ने तोड़ दी शिक्षामित्रों की उम्मीद, शिक्षामित्रों के दरवाजे लगभग बंद
शिक्षामित्रों को लगातार झटका, दो भर्तियों बाद भी खाली हाथ
69000 : अधिक पासिंग मार्क्स से शिक्षामित्रों को लगा झटका
बदले मानकों ने तोड़ दी शिक्षामित्रों की उम्मीद, शिक्षामित्रों के दरवाजे लगभग बंद
प्रयागराज। प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में 10 वर्षों से भी अधिक समय से शिक्षण कार्य कर रहे शिक्षामित्रों का पहले टीईटी न पास कर पाने और अब शिक्षक भर्ती के बदले मानक के चलते नियुक्ति प्रक्रिया से लगभग बाहर होना पड़ेगा। जो शिक्षामित्र टीईटी पास करने के बाद 68500 और 69000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में शामिल हुए उन्हें परीक्षा के बीच बदले मानक के चलते अब बाहर होना पड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश के
1.37 लाख शिक्षामित्र एक झटके में प्राथमिक विद्यालयों से बाहर हो गए। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशिक्षित और टीईटी पास शिक्षकों को परीक्षा पास करने पर शिक्षक भर्ती में वेटेज देकर चयन की बात कही थी प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों को टीईटी पास करने और शिक्षक भर्ती में दावेदारी के लिए दो अवसर दिए, इसके बाद भी बड़ी संख्या में शिक्षामित्र सहायक अध्यापक चयन प्रक्रिया से बाहर रह गए।
उत्तर प्रदेश शिक्षामित्र संघ के जिला मीडिया प्रभारी संतोष शुक्ला का कहना है कि 69000 शिक्षक भर्ती में मात्र दो हजार शिक्षामित्र ही शिक्षक भर्ती परीक्षा में सफल हुए हैं। उनका कहना है कि टीईटी परीक्षा में अधिकांश शिक्षामित्र फेल होकर बाहर हो गए, जो बचे थे वह अब नए मानक के चलते बाहर हो गए हैं।
शिक्षामित्रों के दरवाजे लगभग बंद
68500 शिक्षक भर्ती में सात हजार शिक्षामित्रों की नियुक्ति हो गई थी, परंतु दूसरी शिक्षक भर्ती में कटऑफ बदल जाने से शिक्षामित्र चयन प्रक्रिया से बाहर हो गए। शिक्षामित्रों का कहना है कि उन्होंने सहायक अध्यापक भर्ती में उन्हें कम से कम 2.5 अंक प्रति वर्ष वेटेज देने की मांग की थी।
बेसिक कटऑफ अंक 45 फीसदी व अन्य शिक्षा परिषद के स्कूलों में आरक्षित वर्ग के लिए 40 फीसदी कार्यरत शिक्षामित्रों को फिर झटका अंक पाना अनिवार्य किया इसमें लगा है। 69 हजार शिक्षक भर्ती में कटऑफ अंक कम कराने की उनकी दलीलें टिक नहीं पाईं। डबल बेंच ने शासन के जिस कटऑफ अंक पर मुहर लगाई है उसमें शिक्षामित्रों को कुछ शिक्षामित्रों को ही नियुक्ति मिल पाई थी। दूसरी भर्ती 69 हजार की हुई। सरकार ने इसमें कटऑफ अंक सामान्य का 65 व अन्य आरक्षित वर्ग का 60 प्रतिशत कर दिया। शिक्षामित्र नियुक्ति मिलने की उम्मीद बहुत इसका विरोध कर रहे थे, उनका कहना कम है।
परिषदीय स्कूलों में कार्यरत 1.37 लाख शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन सुप्रीम था कि इससे वह नियुक्ति नहीं पा सकेंगे। अब हाईकोर्ट के डबल बेंच के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 को रद कर देने की तैयारी शुरू हो गई है। दिया था। आदेश था कि शिक्षामित्र आदर्श समायोजित शिक्षामित्र नहीं हटाए जाएंगे, उन्हें दो भतियाँ वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष में शामिल होने का अवसर मिलेगा, जितेंद्र शाही बोले, शिक्षामित्रों को इसमें उन्हें अनुभव का भी वेटेज दिया जाएगा। साथ ही आयुसीमा में यह आदेश धैर्य से लेना चाहिए और संयम बनाए रखें। उन्होंने बताया कि छूट दी जाएगी।
सरकार ने शीर्ष कोर्ट मुख्यमंत्री व बेसिक शिक्षामंत्री से के आदेश पर पहले 68500 सहायक मिलने का समय मांगा है। अनुरोध अध्यापक भर्ती की लिखित परीक्षा करेंगे कि लाखों पखिारों के लिए कराई। उसमें सामान्य व ओबीसी का फैसला किया जाए।
वहीं 69000 शिक्षक भर्ती में न्यूनतम उनकी सेवा के लिए 2.5 अंक प्रति वर्ष कटऑफ अंकों में कोई राहत न मिलने के कारण शिक्षा मित्रों को बड़ा झटका लगा है दो भर्तियों के बाद भी वे खाली हाथ हैं। 25 जुलाई, 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि राज्य सरकार इन्हें आगे आने वाली दो भर्तियों कुछ छूट देते हुए मौका दें। 68500 और 69000 शिक्षक भर्ती के बाद शिक्षामित्र अब निराश हैं।
उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि उनके भविष्य को लेकर सरकार ठोस निर्णय लें। हाईकोर्ट के फैसले के बाद लगभग दो हजार शिक्षा मित्र ही ऐसे हैं जो शिक्षक बनने की रेस में शामिल हो सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाने के लिए कई तरह की और अधिकतम 25 अंक भारांक के रूप में दिए जाएंगे। इसे शिक्षक भर्ती के लिए बनने वाली मेरिट में जोड़ा जाता है। इसके बाद हुई 2018 में हुई 68500 शिक्षक भर्ती में इन्हें मौका मिला और लगभग 7 हजार शिक्षामित्र इस भर्ती में चयनित भी हुए।
69000 शिक्षक भर्ती में शिक्षामित्र 40 व 45 अंकों के क्वालीफाइंग अंक के लिए लड़ाई लड़ रहे थे क्योंकि 69000 शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में शामिल 20 हजार शिक्षामित्र इस दायरे में आ जाते। लेकिन ताजा फैसला 60 व 65% अंकों पर आया है तो लगभग दो हजार ही ऐसे शिक्षामित्र बचे हैं जो शिक्षक बनने के लिए पात्र होंगे।
शिक्षामित्रों को भारांक मिलने से सफल होने की आशंका पर मेधावियों को पिछड़ने के डर से मामला पहुंचा था न्याय की चौखट पर।
शिक्षामित्र से शिक्षक और फिर बन गए शिक्षामित्र
यूपी में 2000 से शिक्षामित्र रखे गए। 2011 में तत्कालीन सपा सरकार ने पौने दो लाख शिक्षामित्रों को शिक्षा का अधिकार कानून के तहत प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया। जून 2014 और अप्रैल 2015 में तत्कालीन सपा सरकार ने नियमों की अनदेखी करते हुए 1.30 लाख शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर तैनाती दे दी। सितम्बर 2015 में हाईकोर्ट ने समायोजन रद्द कर दिया। इस फैसले के खिलाफ शिक्षामित्र सुप्रीम कोर्ट गए और जुलाई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले पर मुहर लगा दी।
मेधावियों को पिछड़ने का था डर
दरअसल मेधावी अभ्यर्थियों को यह डर था कि यदि 40-45 फीसदी न्यूनतम कटऑफ कर दिया गया तो शिक्षामित्र 25 अंकों के भारांक के साथ काफी आगे निकल जाएंगे। वहीं 60 व 65 फीसदी कटऑफ होने पर केवल मेधावी ही इस चयन प्रक्रिया में हिस्सा ले सकेंगे। इस शिक्षक भर्ती में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने भले ही विशेष अपील दायर कर दी हो लेकिन अभ्यर्थी इस बाबत लचर पैरवी का आरोप लगाते रहे। अभ्यर्थियों ने कई बार लखनऊ से लेकर इलाहाबाद तक की सड़कों पर उतरें और महाधिवक्ता के हाईकोर्ट में पेशन होने पर प्रदर्शन किया।
बदले मानकों ने तोड़ दी शिक्षामित्रों की उम्मीद, शिक्षामित्रों के दरवाजे लगभग बंद
Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2
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7:38 AM
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